क्या पूर्व में बेचे गए टिकटों पर बढ़ा हुआ किराया वसूल किया जा सकता है?
|समस्या-
गोरखपुर, उत्तरप्रदेश से विभा पूछती हैं –
19 जनवरी को रेल किराया बढ़ने के पूर्व मैंने अपना टिकट बुक कराया था। 9 फ़रवरी को रेल यात्रा के दौरान रास्ते में मुझसे टिकट निरीक्षक द्वारा बढ़ा हुआ किराया वसूला गया। मेरी समस्या यह है कि मैंने अपना टिकट आई आरसीटीसी की वेबसाईट से प्राप्त किया था। फिर भी रेलवे द्वारा या आईआरसीटीसी द्वारा मुझको न तो मेरे मोबाइल फोन पर न ही मेरे ई-मेल पर बढ़े हुए किराये की धनराशि के सम्बन्ध में कोई सूचना दी गई। यहाँ तक कि इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की कोई व्यक्तिगत सूचना भी नहीं दी गई। जिससे मुझे परेशानी का सामना करना पड़ा। इस सम्बन्ध में मुझे क्या करना चाहिए। क्या मैं उपभोक्ता फोरम से कोई अनुतोष प्राप्त कर सकती हूँ?
समाधान-
जब भी कोई व्यक्ति किसी वाहन में यात्रा के लिए टिकट खरीदता है तो टिकट की यह खरीद एक संविदा होती है। इस तरह की संविदा में ट्रांसपोर्टर टिकट का मूल्य प्राप्त कर के यह वायदा करता है कि वह नियत तिथि को, नियत समय पर चलने वाले नियत वाहन से उसे यात्रा की सुविधा प्रदान करेगा। आप ने जब टिकट खरीदा तो रेल्वे ने आप से ऐसा ही वायदा किया था। अब इस संविदा को केवल दोनों पक्षों की सहमति से ही बदला या संशोधित किया जा सकता है। लेकिन रेलवे बोर्ड ने इस बीच टिकट का मूल्य बढ़ा दिया। मूल्य बढ़ाने की तिथि के बाद से जो टिकट बेचे गए उन पर तो बढ़ा हुए किराए पर ही दोनों पक्षों के बीच संविदा हुई है इस कारण से वह तो उचित था लेकिन जिन लोगों ने पहले ही टिकट खरीद लिया था उन से यात्रा के समय टिकट का मूल्य वसूलना एक तरह से पूर्व में हुई संविदा को इकतरफा रीति से बदला गया जो संविदा विधि के अंतर्गत उचित नहीं था और इस तरह पूर्व में बेचे गए टिकटों पर बढ़ा हुआ मूल्य वसूलना पूरी तरह से गलत था।
केवल कानून को बदल कर ही इस तरह संविदा को बदला जा सकता था। लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कानून में ऐसा संशोधन किया गया था कि रेलवे द्वारा किराया बढ़ाने से पूर्व में बेचे गए टिकटों पर भी बढ़ा हुआ किराया वसूल कर सकती है। क्यों कि कानून केवल संसद में विधेयक पारित कर के या फिर सरकार द्वारा राष्ट्रपति के अनुमोदन से ही किया जा सकता है। हमारे ज्ञान में ऐसा कोई कदम सरकार द्वारा नहीं उठाया गया। एक और स्थिति में बढ़ा हुआ किराया पूर्व में बेचे गए टिकटों पर वसूल किया जा सकता था कि पहले से ही रेलवे के कानून में यह प्रावधान हो कि पूर्व में बेचे गए टिकटों पर रेलवे चाहे तो यात्रा के समय बढ़ा हुआ किराया वसूल कर सकती है। लेकिन ऐसे किसी कानून की जानकारी भी नहीं हो सकी है।
इस तरह मेरी राय में यात्री को व्यक्तिगत सूचना देने की बात तो दूर रही इस तरह की सूचना दे कर भी पूर्व में विक्रय किए गए टिकट पर बढ़ा हुआ किराया वसूल करना गलत था। मैं ने भी किराया बढ़ने के पहले टिकट खरीदा था और किराया बढ़ने के उपरान्त यात्रा की थी किन्तु मुझ से बढ़ा हुआ किराया वसूल करने के लिए कोई भी प्रकट नहीं हुआ। यदि ऐसा मेरे साथ होता तो मैं अवश्य ही उपभोक्ता न्यायालय के समक्ष अपना परिवाद प्रस्तुत करता। चूंकि यह मामला मात्र कुछ सौ रुपयों का हो सकता है। इस कारण से इस में मिलने वाली राहत की कीमत भी बहुत कम हो सकती है तथा इस के लिए उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज करवाना और फिर उस की पैरवी करना या करवाना। उस के बाद रेलवे अपील कर दे तो उस अपील को लड़ने का कष्ट और खर्च बहुत अधिक हो सकता है। लेकिन अकादमिक नीयत से ऐसा मुकदमा लड़ा जाना चाहिए जिस से यह साबित किया जा सके कि रेलवे द्वारा पूर्व में बेचे गए टिकट पर बढ़ा हुआ किराया वसूल करना अनुचित तो था ही गैर कानूनी भी था। यदि आप मुकदमा लड़ने में परेशानी महसूस न करें तो ऐसी शिकायत उपभोक्ता प्रतितोष मंच के समक्ष अवश्य उठायें जिस से सरकार दुबारा कोई मनमानी न कर सके।
रेडियो पैर सूचना मात्र सूचना कही जा सकती सहमती और सुचना में बड़ा फर्क he
उपभोक्ता प्रतितोष मंच के समक्ष अवश्य उठायें (पर कान्हा से और कैसे)
यात्रा के समय बढ़ा हुआ किराया लेना गलत तो है ही. पर इस बार जो किराया बढ़ाया गया था तो यह कहा गया था कि पहले से ली गयी टिकट पर यात्रा के समय बढा हुआ किराया देना होगा. यह बात मैं रेडिओ पर समाचार में सुना था पर इस संबंध में कोई अधिकारिक तौर पर लिखित घोषणा हुयी थी या नहीं यह मैं नहीं कह सकता हूँ.
Mahesh Kumar Verma का पिछला आलेख है:–.भारतीय गणतंत्र के 63 वर्ष