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क्या मामूली रूप परिवर्तन के साथ पुस्तक का पुनः प्रकाशन कॉपीराइट का उल्लंघन है?

डॉ. भूपेन्द्र ने पूछा है –
एक प्रकाशक ने 18 वर्ष पूर्व मेरे द्वारा प्रकाशित मेरी पुस्तक को मामूली रूप परिवर्तन के साथ पुनः प्रकाशित किया है। क्या इस मामले पर कॉपीराइट अधिनियम लागू होगा। मेरी पुस्तक साहित्यिक पुस्तक  है। इस दृष्टि से क्या कुछ किया जा सकता है?यद्यपि मेरी पुरानी पुस्तक में कोई आई. एस.बी .एन .नंबर आदि नहीं थे और प्रकाशन व्यक्तिगत रूप से किया गया था जबकि नई पुस्तक में नंबर भी है ,क्या इनका प्रभाव होगा ?
उत्तर-
डॉ. साहब!
मैं पहले भी स्पष्ट कर चुका हूँ कि किसी भी कृति (work) का प्रतिलिप्याधिकार (copyright) उस कृति के रचनाकार का होता है। आप की पुस्तक पर आप का प्रतिलिप्याधिकार है। इस का सबूत यह भी है कि आप की पुस्तक 18 वर्ष पूर्व प्रकाशित हो चुकी थी। उस पुस्तक की प्रकाशित प्रतियाँ, मुद्रक की गवाही आदि उस के प्रमाण हैं।  आप की इस पुस्तक को आप की अनुज्ञप्ति के बिना कोई अन्य व्यक्ति प्रकाशित करता है तो यह आप के प्रतिलिप्याधिकार का उल्लंघन होगा। यह उल्लंघन कॉपीराइट एक्ट की धारा 63 के द्वारा दंडनीय अपराध है। यदि ऐसा अपराध मुनाफा कमाने के लिए किया गया है तो इस अपराध को करने वालों को 50 हजार रुपए से दो लाख रुपए तक का जुर्माना और छह माह से तीन वर्ष तक के कारावास का दंड दिया जा सकता है। इस के अतिरिक्त आप दीवानी उपाय भी कर सकते हैं। न्यायालय मे दावा प्रस्तुत कर उल्लंघन कर प्रकाशित की गई पुस्तकों की बिक्री को रुकवा सकते हैं, उन्हें नष्ट करने का आदेश प्राप्त कर सकते हैं और हर्जाने की मांग कर सकते हैं।
आप का कहना है कि आप की पूर्व में प्रकाशित पुस्तक में मामूली रूप परिवर्तन किए जा कर नई पुस्तक प्रकाशित की गई है  और प्रकाशक ने उस में आईएसबीएन नंबर भी डाला है। मामूली रूप परिवर्तनों के साथ भी किसी कृति को अनधिकृत रूप से प्रकाशित करना प्रतिलिप्याधिकार का उल्लंघन है। फिर भी आप यह जानने के लिए किसी ऐसे वकील की सेवाएँ प्राप्त कर सकते हैं कि आप के प्रतिलिप्याधिकार का उल्लंघन हुआ है या नहीं। वह दोनों पुस्तकों को पढ़ कर यह निर्णय कर सकता है। जहाँ तक आईएसबीएन नंबर का प्रश्न है इस से किसी का प्रतिलिप्याधिकार प्रभावित नहीं होता है। यह केवल किसी पुस्तक के प्रकाशन की उसी तरह पहचान है जिस तरह किसी मोटर गाड़ी की पंजीयन संख्या होती है। इस का लाभ केवल मात्र यह है कि इस से तुरंत जाना जा सकता है कि यह पुस्तक किस प्रकाशक ने, कब, कहाँ से, किस ग्रुप और किस शीर्षक से  प्रकाशित की है।

कॉपीराइट के बारे में अधिक जानकारी यहाँ चटका लगा कर प्राप्त की जा सकती है।

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