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क्या राज्य शासन का कर्मचारी रहते हुए पत्रकारिता की जा सकती है और लेख आदि प्रकाशित कराए जा सकते हैं?

समस्या-

काँकेर, छत्तीसगढ़ से सुधीर लकड़ा ने पूछा है –

मैं राज्य शासन का शासकीय कर्मचारी हूँ। क्या मैं पत्रकारिता में समाज से जुड़ी समस्याओं को उजागर कर सकता हूँ या लेख लिख सकता हूँ? मैं यह कार्य निशुल्क करने का इच्छुक हूँ। क्या मैं नौकरी में रहते हुए यह सब कर सकता हूँ?

समाधान-

भी सरकारी, अर्धसरकारी नियोजनों के लिए आचरण नियम बने हुए होते हैं जिन में यह उल्लेख होता है कि एक कर्मचारी नियोजन में रहते हुए कौन कौन से काम नहीं कर सकता। केन्द्र और राज्य सरकारों ने अपने कर्मचारियों लिए आचरण नियम पृथक पृथक बनाए हुए हैं। यहाँ तक कि अलग अलग विभागों और विशिष्ठ सेवाओँ के लिए आचरण नियम अलग अलग हैं और उन में उन के नियोजन के चरित्र को देखते हुए भिन्नताएँ भी हैं। प्रत्येक कर्मचारी को नियोजन प्रदान करने के समय दिए जाने वाले नियुक्ति पत्र में यह उल्लेख होता है कि वह आचरण नियमों का पालन करेगा। यदि उल्लेख न भी हो तो भी सरकारी और अर्धसरकारी संस्थाओं के नियोजन नियमों में यह अंकित होता है कि कर्मचारी आचरण नियमों का पालन करेगा और आचरण नियमों का उल्लंघन करना दुराचरण माना जाएगा जिस के लिए उस के विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही की जा कर उसे दंडित किया जा सकता है। इस कारण प्रत्येक कर्मचारी को चाहे वह सरकारी/अर्ध सरकारी सेवा में हो या फिर किसी निजि सेवा में, उसे उन सभी नियमो का अध्ययन  अवश्य कर लेना चाहिए जो उस पर प्रभावी हैं, जिस से वह जान सके कि उसे नियोजन में रहते हुए किस तरह का आचरण करना है और किस तरह का आचरण नहीं करना है।

ह प्रश्न अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि क्या सरकारी/अर्ध कर्मचारी समाचार पत्र पत्रिकाओं व अन्य प्रकाशनों के लिए काम कर सकते हैं?  एक सरकारी/अर्ध सरकारी कर्मचारी अपने नियोजक की पूर्व स्वीकृति के बिना किसी समाचार पत्र या समयावधि प्रकाशन (Periodical) का पूर्ण रूप से अथवा आंशिक रूप से स्वामित्व ग्रहण नहीं कर सकता। वह ऐसे किसी प्रकाशन का संपादन या प्रबंधन भी नहीं कर सकता, और न उस में भाग ले सकता है। वह किसी भी रेडियो/टेलीविजन प्रसारण में नियोजक की पूर्वानुमति के बिना भाग नहीं ले सकता। नियुक्ति अधिकारी की पूर्व स्वीकृति के बिना वह किसी समाचार पत्र, पत्रिका में कोई लेख या पत्र अपने नाम से या बेनामी या किसी अन्य के नाम से प्रकाशनार्थ प्रेषित नहीं कर सकता। लेकिन यदि ऐसा लेख, रचना या अन्य सामग्री साहित्यिक, कलात्मक, या वैज्ञानिक प्रकार की हो, और उस में ऐसा कोई मामला न हो जिसे किसी कानून, नियम या उपनियम के अंतर्गत सरकारी कर्मचारी द्वारा प्रकट करना निषेध हो, तो सरकारी/अर्धसरकारी कर्मचारी को उस के प्रसारण, प्रकाशन के लिए पूर्वानुमति की आवश्यकता नहीं है। यदि उस लेख, रचना या अन्य सामग्री में सरकारी कर्मचारी के विभाग से सम्बन्धित मामले चाहे वे सरकारी स्रोत से तैयार किये गए हों या नहीं, तो कर्मचारी उस के लिए सरकार द्वारा एक कर्मचारी के लिए निश्चित मानदेय से अधिक मानदेय प्राप्त नहीं कर सकता।

कोई भी सरकारी/अर्धसरकारी कर्मचारी रेडियो/टेलीविजन प्रसारण या किसी प्रलेख में जो उस के नाम से, बेनामी या कल्पित नाम या किसी अन्य के नाम से प्रकाशित हो या प्रेस व मीडिया को दिए जाने वाले पत्र व्यवहार या सार्वजिनिक बयानों के या विचारों में ऐसे कथन नहीं करेगा जो –

1.  केन्द्रीय या किसी राज्य सरकार की वर्तमान या हाल ही की नीति या कार्यवाही पर प्रतिकूल आलोचना का प्रभाव रखता हो;

2.  केन्द्र व किसी भी राज्य सरकार के मध्य सम्बन्धों में उलझन पैदा कर सकता हो; या

3.  जो केन्द्रीय सरकार या किसी मित्र विदेशी सरकार के मध्य सम्बन्धों में उलझन पैदा कर सकता हो;

 लेकिन ..

क्त नियम किसी सरकारी/अर्धसरकारी कर्मचारी द्वारा किए गए ऐसे कथनों या विचारों पर जो उस के द्वारा सरकारी पद की हैसियत से अपने कर्तव्य का समुचित पालन करने हुए प्रकट किये गए हों लागू नहीं होता।

तनी जानकारी के उपरान्त आप को स्वयं यह तय करना होगा कि आप पत्रकारिता में किस हद तक भाग ले सकते हैं और किस हद तक अपने लेख पत्र-पत्रिका आदि में प्रकाशित करवा सकते हैं।

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