गलती से किसी व्यक्ति को दे दी गई राशि प्राप्त करने का अधिकार वास्तविक स्वामी को है
| रंजन सिंह पूछते हैं –
मेरे पिता जी ने कई साल पहले एलआईसी का प्लान लिया था। जिस में सभी दस्तावेज जमा कराने के बाद एलआईसी द्वारा पिता जी को पिछले पाँच वर्ष से पेंशन भेजी जा रही है। उन्हें दो चैक मिलते थे जिन की राशि अलग-अलग होती थी। दोनों चैक में जो पॉलिसी नं. लिखा हुआ है उन में दो अंक का अंतर है। अब एलआईसी द्वारा एक पत्र भेजा गया है कि आप को जो दो चैक से जो राशि भेजी जा रही है उन में एक चैक की राशि अधिक भेजी जा रही है, अतः आप वह राशि वापस कर दें। जब तक आप वह राशि वापस नहीं करते हैं तब तक आप को पेंशन की राशि नहीं भेजी जाएगी। इस में हमारी कोई गलती नहीं है हम पहले समझ रहे थे कि पेंशन के रूप में भेजी जाने वाली राशि हमारी ही है,क्यों कि वह पिताजी के नाम से थी।
मैं जानना चाहता हूँ कि क्या वह राशि हमें वापस करनी पड़ेगी?
उत्तर –
रंजन जी,
आप के पिता जी को उन्हें एलआईसी द्वारा गलती से अधिक भुगतान कर दी गई राशि लौटानी होगी। वस्तुतः आप के और एलआईसी के बीच जो संविदा (कट्रेक्ट) है। आप के पिता जी उस के अनुरूप ही राशि प्राप्त करने के अधिकारी हैं। यदि कोई राशि गलती से आप के पिता जी को प्राप्त हो जाती है तो वह उन के पास अमानत है, चाहे उन को यह गलतफहमी रही हो कि यह राशि उन की ही है। निश्चित रूप से आप के पिता जी को यह जानकारी तो रही ही होगी कि उन्हें पेंशन की राशि कितनी मिलनी है? जब अधिक राशि उन्हें मिली तो उन्हें आश्चर्य अवश्य हुआ होगा और तब हो सकता है उन्हों ने पूछताछ भी की हो। प्रत्येक व्यक्ति को गलती से किसी को दी गई संपत्ति वापस प्राप्त करने का अधिकार है। यदि वह व्यक्ति संपत्ति लौटाने से इन्कार करता है तो उस संपत्ति को प्राप्त करने का अधिकार संपत्ति के वास्तविक स्वामी को है। लौटाने से इन्कार करने पर वास्तविक स्वामी न्यायालय में वाद भी प्रस्तुत कर सकता है। यदि मुझे किसी से कोई रुपया लेना है और मुझे उसे किस्तों में कोई अन्य रुपया देना भी है। यदि वह व्यक्ति मुझे मेरा रुपया देने से इन्कार करे तो मैं उसे दिए जाने वाला रुपया तब तक देने से मना कर सकता हूँ, जब तक कि मेरा अपना रुपया वसूल न हो जाए। इस सिद्धांत के अनुसार एलआईसी आप के पिताजी को दिया गया अधिक रुपया वसूल होने तक आप के पिता जी की पेंशन रोक सकती है।
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6 Comments
… gyaanvardhak post !!!
अच्छी सलाह… बढ़िया जानकारी दी आपने!
@सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
आप यदि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के संदर्भित निर्णय या आदेश की लिंक दे सकें तो उचित होगा। मेरे विचार से अभी यह मामला विचाराधीन होना चाहिए तथा उच्चन्यायालय का स्थगन अंतरिम होना चाहिए।
फिर इस मामले में और उस मामले में अंतर है। वहाँ पेंशनर को एक मुश्त राशि प्राप्त होती रही है। जब कि इस मामले में प्राप्त होने वाली पेंशन राशि के अलावा एक अन्य बीमा पालिसी की राशि एक अलग चैक के द्वारा गलती से दूसरे व्यक्ति के पास पहुँचती रही है।
इलाहाबाद हाई-कोर्ट में एक दूसरा दृष्टिकोण अपनाया गया है। इलाहाबाद ट्रेजरी से सरकारी पेंशन के भुगतान में कुछ गलत आगणन के कारण कुछ पेंशनर्स को अधिक पेंशन का भुगतान हो रहा था। एक-दो साल बाद जब ऑडिट में गलती का पता चला तो अधिक भुगतानित राशि जोड़कर उसकी किश्तों में वसूली के आदेश जारी किए गये। मासिक पेंशन की राशि से ही आसान किश्तों में सरकारी क्षति की भरपायी कर लेने का उद्देश्य था।
लेकिन कोर्ट ने वसूली आदेश पर स्थगनादेश पारित करते हुए यह व्यवस्था दी कि चालू माह से सही पेंशन दी जाय लेकिन पुराने अधिक भुगतान की वसूली न की जाय, क्योंकि पेंशनर द्वारा इस प्रकरण में कोई गलती नहीं की गयी है। प्रारंभ से ही उसे वही बढ़ी हुई पेंशन मिलती रही है।
सही सलाह , धन्यवाद
सही सलाह जी धन्यवाद