गाली गलौज, अपशब्द और झूठी गवाही दे कर मुकदमे में फँसा देना गंभीर अपराध है पुलिस को रिपोर्ट करें।
|समस्या-
नीतिश कुमार ने कटिहार बिहार से समस्या भेजी है कि-
मेरी चाची हमेशा मेरे परिवार (मुझसे और मेरी मम्मी) से लड़ती रहती है और हम लोगों को परेशान करती है, गाली देना, अपशब्द कहना तो रोज की बात हो गई है। वो हमेशा मुझे धमकी देती है कि मुझे झूठे केस में फँसा देगी क्योंकि मेरे घर में मैं और मेरी माँ ही रहते है और दूसरा कोई मर्द सदस्य नहीं है। मुझे डर लगा रहता है कि अगर वो झूठा केस कर देगी तो मेरा जीवन बर्बाद हो जायेगा क्योंकि मैं एक छात्र हूँ और मुझे कहीं नौकरी नही मिलेगी। बिहार की कानून व्यवस्था कैसी है ये बताने की जरुरत नही है। ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए कृपा कर बताएं।
समाधान-
आप ने यह नहीं बताया कि आप की चाची ऐसा क्यों करती है। क्या आप लोग एक ही मकान में एक साथ रहते हैं और वह चाहती है कि आप लोग मकान से निकल जाएँ, या क्या कोई संपत्ति है जिसे हड़पने के लिए वह ऐसा करती है? या फिर कोई और कारण है? यदि आप ने कारण बताया होता तो बात स्पष्ट होती और समाधान भी उतना ही स्पष्ट होता। पूरा जरूरी विवरण हमेशा समस्या को सही समाधान की और ले जाता है। खैर।
किसी को भी गाली देना और अपशब्द कहना अपराध है। लेकिन इतना बड़ा अपराध भी नहीं है जिस के लिए पुलिस कोई कार्यवाही करे। इस तरह के अपराध की सूचना पुलिस दर्ज कर लेती है और फिर सीधे न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करने को कहती है। लेकिन झूठी गवाही दे कर किसी मुकदमे में फँसा कर उस के सम्मान या धन को क्षति पहुँचाने की धमकी देना धारा 195ए आईपीसी के अंतर्गत गंभीर अपराध है जिस की शिकायत आप पुलिस को कर सकते हैं, पुलिस इस मुकदमे को दर्ज कर जाँच कर सकती है तब गाली देने और अपशब्द कहने का अपराध भी उस के साथ जुड़ जाएगा। लेकिन आप को इस धमकी का सबूत और गवाही पुलिस को देनी होगी।
इस तरह के कृत्य का बड़ा सबूत इस तरह की धमकी, गालीगलौज व अपशब्दों की रिकार्डिंग हो सकती है। आज कल हर फोन में बातचीत को रिकार्ड करने की सुविधा होती है। अब जब भी चाची ऐसा करें तब उस की आवाज को रिकार्ड करें। जब धमकी सहित गालीगलौज व अपशब्दों की दो चार रिकार्डिंग इकट्ठा हो जाएँ तो पुलिस को रिपोर्ट कराएँ। पुलिस कार्यवाही करेगी। इस तरह आप का डर तो निकलेगा ही चाची को भी मुकदमा झेलना पडे़गा हो सकता है सजा ही हो जाए। आप की समस्या हल हो जाएगी।
Thnks..बात ये है कि हम सब एक ही घर में रहते है जो की मेरी दादी के नाम पर है जिनका देहांत हो चूका है। बटवारे पर आपसी बात नही बन पा रही है इस बात को लेकर ही विवाद होता है। उन्होंने तो बिना बटवारें के भाड़ा भी लगा दिया है और हमलोगों को किसी तरह का किराया नही देती है। क्या बिना बटवारा के भाड़ा लगाना कानूनी जायज है??
आपसी सहमति से बँटवारा नहीं हो पा रहा है तो बँटवारे का वाद संस्थित कर दें। उसी वाद में संपत्ति को खुर्द बुर्द न करने के लिए आदेश 39 सीपीसी में अस्थाई व्यादेश का संपत्ति को कमिश्नर के कब्जे में दिए जाने हेतु आदेश 40 सीपीसी का आवेदन प्रस्तुत करें।
बहुत बहुत धन्यवाद सर, ऐसा करने से क्या परिणाम हो सकता है। क्या मुझे कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाना पड़ेगा ये सब करने के लिए??? या इसके लिए मुझे भारी भरकम कीमत चुकानी पड़ेगी वकील को। इसके अलावे मुझे क्या फायदा मिलेगा ऐसा करने से। कृपया मार्गदर्शन करें।