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घरेलू हिंसा के मामले में स्त्री किस किस न्यायालय में अपनी अर्जी प्रस्तुत कर सकती है?

  राजू पवार ने पूछा है-
मेरी बीवी ने मेरे खिलाफ घरेलू हिंसा के तहत नासिक के न्यायालय में दर्ज करवा दिया है, क्या मैं उसे मुम्बई स्थानान्तरित नहीं करवा सकता?
उत्तर – – – 
राजू जी,
रेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत यह प्रावधान है कि व्यथित व्यक्ति (इस मामले में आप की पत्नी) उस  न्यायिक मजिस्ट्रेट या महानगर मजिस्ट्रेट के न्यायालय में अपनी अर्जी दाखिल कर सकती है जिस की सीमाओं के भीतर-
1-  व्यथित व्यक्ति स्थाई रुप से या अस्थाई रूप से निवास करता है या कोई कारोबार करता है या कोई नौकरी करता है; या
2- प्रत्यर्थी अर्थात जिस के विरुद्ध अर्जी दी गई है वह निवास करता है या कारोबार करता है; या
3- वाद हेतुक उत्पन्न हुआ है।
स तरह व्यथित व्यक्ति को अर्जी दाखिल करने के लिए तीन विकल्प दिए गए हैं और वह तीनों में से किसी भी विकल्प का उपयोग कर सकता है। उसे इन तीनों ही स्थानों की अदालतों में अपनी अर्जी दाखिल करने का अधिकार है। मेरा अनुमान है कि आप की पत्नी अस्थाई रूप से नासिक में निवास कर रही है ऐसी स्थिति में उसे नासिक में अपनी अर्जी दाखिल करने का अधिकार है। जिस के कारण आप को उस अर्जी को स्थानांतरित कराने का अधिकार नहीं है। हाँ नासिक में अर्जी का विचारण न हो सकने के बहुत ही गंभीर कारण हों तो किसी अन्य न्यायालय में उक्त अर्जी से उत्पन्न मुकदमे को स्थानान्तरित कराया जा सकता है लेकिन तब अदालत का चुनाव आप नहीं कर सकते। स्थानान्तरित करने वाली अदालत ही उस अदालत का चुनाव करेगी जिस में उक्त मुकदमा स्थानांतरित किया जाएगा। उस में भी यह देखा जाएगा कि अर्जी दाखिल करने वाले पक्ष की सुविधा क्या है। 
स अधिनियम के अंतर्गत  किसी भी क्षेत्राधिकार प्राप्त न्यायालय का आदेश पूरे भारत में प्रवृ्त्त कराया जा सकता है। इस कारण से आप के विरुद्ध दाखिल की गई अर्जी में पारित हुए आदेशों का पालन मुम्बई अथवा भारत के किसी भी क्षेत्र में कराया जा सकता है। 
प को अपना मुकदमें नासिक जा कर ही प्रतिरक्षा करनी होगी।
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