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हिन्दू पत्नी के लिए भरण पोषण हेतु कानूनी उपाय

 बाल मुकुन्द शाह ने पूछा है –
क्या धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता और धारा 12 घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत मुकदमे एक साथ चल सकते हैं, या कोई प्रतिबंध हैं?
 उत्तर –

बालमुकुन्द जी,
त्नी के लिए गुजारा भत्ता/भरण पोषण प्राप्त करने के लिए अनेक विधिक उपाय हैं। जिन में सब से पहला और उत्तम उपाय हिन्दू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम की धारा 18 के अंतर्गत दीवानी वाद प्रस्तुत करना। यदि इस उपाय के अंतर्गत किसी हिन्दू पत्नी का गुजारा भत्ता निर्धारित कर दिया गया है तो फिर कोई भी अन्य उपाय किया जाना संभव नहीं है और न्यायालय के समक्ष अन्य किसी भी अधिनियम में आवेदन पोषणीय नहीं होगा। हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24  केवल वैवाहिक विवाद के लंबित रहने के दौरान भरणपोषण दिलाती है और धारा 25 विवाद के निपटारे के बाद के लिए। यदि इन में से किसी धारा में गुजारा भत्ता निर्धारित कर दिया गया है तो हिन्दू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम की धारा 18 के अतिरिक्त अन्यत्र कहीं भी आवेदन पोषणीय नहीं होगा।

दि धारा 125 दं.प्रक्रिया संहिता में गुजारा भत्ता निर्धारित कर दिया गया है तो उक्त वर्णित दोनों उपाय उस  के बाद भी उपयोग में लिए जा सकते हैं, घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम की धारा-12 के अंतर्गत  गुजारे भत्ते का आवेदन पोषणीय नहीं होगा। इस सम्बन्ध में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 30 अगस्त 2010 को रचना कथूरिया बनाम रमेश कथूरिया के मामले में दिया गया निर्णय महत्वपूर्ण है। घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम में महिलाओं को गुजारा भत्ता प्राप्त करने के लिए कोई अधिकार प्राप्त नहीं होता, अपितु वह केवल तुरंत महिला को सहायता प्रदान करने के लिए एक उपाय मात्र है। यदि किसी भी अन्य उपाय द्वारा गुजाराभत्ता निर्धारित कर दिया गया है तो फिर इस अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही नहीं चलाई जा सकती है।

गुजारे भत्ते के लिए एक हिन्दू पत्नी के पास चार तरह के उपाय उपलब्ध हैं। लेकिन उस में मजेदार बात यह है कि यदि उसे किसी भी न्यायालय से गुजारा भत्ता मिलने का आदेश या निर्णय नहीं हुआ है तो फिर चारों अधिनियमों के अंतर्गत एक साथ चार आवेदन अलग अलग न्यायालयों में प्रस्तुत किए जा सकते हैं और चारों मामलों में विचारण एक साथ हो सकता है। लेकिन यदि  हिन्दू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम की धारा 18 में गुजारा भत्ता तय हो जाए तो धारा 125 दं.प्रक्रिया संहिता और घरेलू हिंसा के आवेदन आगे नहीं चल सकेंगे।   धारा 125 में आदेश हो जाने पर घरेलू हिंसा अधिनियम में कार्यवाही नहीं की जा सकती। लेकिन शेष दोनों उपाय प्राप्त किए जा सकते हैं। किसी भी अधिनियम में आदेश हो जाए तो घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत गुजारा भत्ता के लिए आवेदन पोषणीय नहीं होगा।




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