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चेक अनादरण से संबंधित कुछ जरूरी बातें …

समस्या

बालोदा बाजार, छत्तीसगढ़ से संतोष चावला ने पूछा है-

चेक अनादरित होने के बाद चेक जारीकर्ता को कितने समय में सूचना देना आवश्यक है? चेक अनादरित होने के कितने समय में अदालत में परिवाद प्रस्तुत करना जरूरी है? चेक पर अलग अलग स्याही का प्रयोग किया गया हो तो उस का क्या प्रभाव होगा? चेक पर की लिखावट चेक जारी करने वाले की हस्तलिपि में न हो तो क्या प्रभाव होगा? और चेक पर की लिखावट और डाली गई तारीख की लिखावट में तीन वर्ष का अंतर है उस का क्या प्रभाव होगा?

समाधान-

Signing a Checkब से पहली बात तो यह है कि कोई भी चेक उस की वैधता की अवधि में बैंक में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। वैधता की यह अवधि पहले तीन से छह माह तक की हो सकती है। आज कल अधिकांश बैंकों ने यह अवधि तीन माह कर दी है। चेक उस की वैधता की अवधि में एक बार अनादरित होने पर भी कितनी ही बार बैंक में प्रस्तुत किया जा सकता है। उस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। लेकिन यदि आप चेक अनादरण के लिए धारा 138 परक्राम्य अधिनियम के अंतर्गत परिवाद प्रस्तुत करना चाहते हैं और चेक को एक से अधिक बार बैंक में प्रस्तुत किया गया है तो आप जब भी अंतिम बार उसे बैंक में प्रस्तुत किया गया हो उस के अनादरण की सूचना बैंक से आप को प्राप्त होने की तिथि से 30 दिन की अवधि में चेक जारीकर्ता को चैक अनादरण की सूचना दे देनी चाहिए। यह सूचना सदैव ही लिखित होनी चाहिए और अच्छा यह है कि इसे रजिस्टर्ड ए.डी. डाक द्वारा प्रेषित किया जाए। यदि बैंक से चेक अनादरण की सूचना प्राप्त होने की तिथि से 30 दिन की अवधि समाप्त हो जाती है तो फिर चेकधारक उक्त धारा के अंतर्गत लाभ प्राप्त नहीं कर सकता।

चेक अनादरण की सूचना यदि आप ने अनादरण की सूचना प्राप्त होने की तिथि से 30 दिनों में चेक जारीकर्ता को प्रेषित कर दी है तो चेक जारी कर्ता पर यह दायित्व है कि वह चेक की राशि का भुगतान आप को जिस दिन उसे आपकी भेजी हुई सूचना प्राप्त होती है उस से पंद्रह दिन की अवधि में कर दे। यदि वह सूचना प्राप्त होने के 15 दिनों की अवधि में आप को चेक की राशि का भुगतान नहीं करता है तो ठीक पन्द्रहवें दिन परिवाद प्रस्तुत करने के लिए वादकारण उत्पन्न हो जाएगा और चेक धारक वाद कारण उत्पन्न होने की तिथि से एक माह में न्यायालय के समक्ष लिखित परिवाद प्रस्तुत कर सकता है। आप के लिए यह मानना उचित होगा कि आप नोटिस जारी करने के 15 दिनों के उपरान्त एक माह में अपना परिवाद न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। लेकिन कोई भी न्यायालय उक्त अवधि के बाद भी आप के परिवाद को स्वीकार कर सकता है यदि आप ने उक्त अवधि में परिवाद प्रस्तुत नहीं कर सकने का उचित कारण न्यायालय को बताया हो और न्यायालय उस से संतुष्ट हो।

किसी चेक पर अलग अलग स्याही का प्रयोग होने से, हस्ताक्षरों, लिखावट और तारीख की स्याही अलग अलग होने से कोई फर्क चेक की वैधता पर नहीं होता है। बस चेक पर कोई काटा-फाँसी नहीं होनी चाहिए। चेक पर हस्ताक्षर चैक जारीकर्ता के होने चाहिए। अन्य लिखावट अन्य हस्तलिपि में और अलग स्याही होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

चेक पर लिखावट और तारीख की अवधि में फर्क केवल चेक की फोरेंसिक जाँच से ही जाँचा जा सकता है। उस का भी सामान्य रूप से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन यदि किसी तरह यह सिद्ध हो जाए कि चेक की लिखावट और तारीख में तीन वर्ष का फर्क है तो उस का कोई उचित स्पष्टीकरण भी होना चाहिए।

चेक किसी कर्ज या अन्य दायित्व के भुगतान के लिए दिया गया होना चाहिए। यदि चेक जारीकर्ता यह प्रमाणित कर दे कि चैक किसी कर्ज या दायित्व के चुकारे के लिए नहीं अपितु किसी अन्य कारण से दिया गया था तो चेक अनादरण के आरोप के लिए दोष सिद्ध नहीं किया जा सकेगा।

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