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चैक अनादरण का मुकदमा कैसे करें?

समस्या-

मैं ने एक भाजपा नेता को सरकारी काम कराने के लिए 10000/- रुपए अग्रिम दिए।  वह नेता काम नहीं करवा सका और रुपए वापस देने में बहाने बनाने लगा कि मैं ने अमुक अधिकारी को रुपए दे दिए हैं, जब वह वापस दे देगा तो मैं आप को लौटा दूंगा।  मैं ने अधिक दबाव दिया तो उस ने बैंक का पोस्ट डेटेड चैक मुझे दे दिया।  मैं ने चैक भुगतान हेतु बैंक में दिया तो वह एक पत्र के साथ मुझे वापस दे दिया जिस में लिखा है कि खाते में पर्याप्त राशि नहीं होने से चैक वापस लौटाया जाता है।  क्या मैं चैक बाउंस होने का मुकदमा अदालत में कर सकता हूँ?  यह किस अदालत में लगेगा?  इस में अनुमानित खर्चा कितना आएगा?

-पी.पी.गुप्ता, बरेली, मध्यप्रदेश

समाधान-

नेता जी को  आप का रुपया लौटाना था, उन्हों ने आप को चैक दिया और वह बाउंस हो गया।  आप चैक बाउंस होने का मुकदमा नेता पर धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के अंतर्गत कर सकते हैं। चैक बाउंस होने का मुकदमा करने के लिए यह आवश्यक है कि चैक बाउंस होने की सूचना बैंक से आप को मिलने की तारीख के 30 दिनों के भीतर आप उस व्यक्ति को जिस के खाते का चैक है एक लिखित नोटिस रजिस्टर्ड ए.डी. डाक से भेजें जिस में लिखा हो कि आप ने मेरा रुपया चुकाने के लिए जो चैक दिया था वह बैंक से अनादरित (बाउंस) हो गया है। आप मुझे 15 दिनों में उक्त चैक का भुगतान कर दें।  इस नोटिस के मिलने के 15 दिन के भीतर चैक देने वाला व्यक्ति आप को उस चैक की राशि का भुगतान नहीं करता है तो उस के विरुद्ध मुकदमा करने के लिए वाद कारण उत्पन्न होगा। वाद कारण उत्पन्न होने के दिन से 30 दिनों के भीतर आप परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं। इस तरह आप नोटिस मिलने की तारीख से 45 दिन के भीतर अदालत में उस व्यक्ति के खिलाफ परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं।  यह एक फौजदारी मामला है जिस में चैक देने वाले को कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है।  अदालत चैक की धनराशि की दुगनी राशि तक का जुर्माना चैक देने वाले पर कर सकती है और आप को न केवल चैक की धनराशि अपितु उस के बराबर राशि तक क्षतिपूर्ति दिला सकती है जिस से आप का मुकदमा खर्चा आदि निकल जाता है।

हाँ एक बात ध्यान रखें कि यदि चैक अनादरित होने की सूचना मिले 30 दिन से अधिक हो चुके हैं और आप ने नोटिस नहीं दिया है और यदि चैक पर लगी तारीख को छह माह या चैक पर इस से कम अवधि की वैधता लिखी या छपी हो वह अवधि समाप्त नहीं हुई हो तो आप उस अवधि में चैक को दुबारा बैंक में प्रस्तुत कर सकते हैं।  यदि चैक देने वाले के खाते में धन हुआ तो आप का चैक भुन जाएगा।  यदि इस बार भी उस के खाते में धनाभाव हुआ तो चैक पुनः अनादरित हो जाएगा।  तब आप चैक अनादरण की सूचना प्राप्त होने की तिथि से 30 दिनों में नोटिस दे कर अभियुक्त को नोटिस प्राप्त होने की तिथि से 45 दिनों के भीतर अदालत में परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं।  अनेक बार यह पता नहीं लगता है कि चैकदाता को नोटिस कब मिला है।  इसलिए यह मान कर चलना चाहिए कि नोटिस डाक में छोड़े जाने के अगले से दसवें दिन तक अवश्य ही मिल गया होगा और आप नोटिस को डाक में छोड़े जाने के दिन से पन्द्रहवें दिन से ले कर पैंतालीसवें दिन तक परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं।

प का बैंक खाता जिस बैंक शाखा में है, जहाँ चैकदाता निवास करता है या जहाँ आप को चैक दिया गया है उन स्थानों में से किसी एक स्थान पर क्षेत्राधिकार रखने वाले मजिस्ट्रेट के न्यायालय में आप यह परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं।  बाउंस का नोटिस आप स्वयं देंगे तो केवल नोटिस टाइप कराने और डाक का शुल्क ही खर्च होगा।  यदि नोटिस किसी वकील से दिलाएँ तो वह आप से तीन सौ से पाँच सौ रुपए तक लेगा।  इस मुकदमे में दो से पाँच सौ रुपए तक का खर्चा आएगा और वकील की फीस चैक की राशि पर निर्भर करेगी।  आप के मामले में वकील को 1100 रुपए से ले कर 2200 रुपए तक फीस देनी पड़ सकती है।   लेकिन ये सब खर्चे आप को मिलने वाली क्षतिपूर्ति के कारण अखरेंगे नहीं।

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