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चैक बाउंस मामलों में न्यायालय को मानना होता है कि वह किसी दायित्व के अधीन दिया गया था

समस्या –

मैंने फ़रवरी 2012 में कैच मसाला की एजेंसी ली थी। सेल्स प्रमोशन की जिम्मेदारी कंपनी की थी। कंपनी ने पहली बार मुझे  35000 रुपए का मसाला भेजा।  कंपनी के सेल्समेन ने ठीक से काम नहीं किया। मैंने इसकी शिकायत कम्पनी में की।  वहाँ से जबाब मिला कि ठीक है कुछ करते है। लेकिन कुछ नहीं हुआ। तब मैंने कम्पनी में मेल किया।  उसके बाद कंपनी का सेल्स मैनेजेर ने कहा कि आपकी एजेंसी बंद चुकी है,  आपके यहाँ जो भी माल पड़ा है उसे मेरे बताए पते पर भेज दें। और चैक ले लो। मैं ने उन के बताए पते पर मसाला भेज दिया और 30000 रुपए का का पोस्ट डेटेड चेक ले लिया वह चैक रिटर्न हो गया। कारण खाते में बैलेंस न होना बताया गया। मैंने एजेंसी से बात की तो वह कहते हैँ तुम्हारा माल पड़ा है, वापस ले लो। मुझे क्या करना चाहिए?

– दिनेश पाण्डेय, मुंबई, महाराष्ट्र

समाधान-

प का मामला सीधे सीधे चैक बाउंस का है। चैक बाउंस होने के उपरान्त तीस दिनों की अवधि में चैक की राशि का भुगतान करने के लिए नोटिस देना होता है। यदि आप का चैक बाउंस हुए अभी 30 दिन न हुए हों तो आप तुरन्त एक नोटिस कंपनी को तथा चैक को हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति को भिजवा दें। यदि उक्त नोटिस देने के पन्द्रह दिनों में उक्त राशि का भुगतान आप को न किया जाये तो नोटिस मिलने के 45 दिनों में आप को न्यायालय में धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के अंतर्गत परिवाद प्रस्तुत कर देना चाहिए। यदि आप का चैक बाउंस हुए 30 दिन हो गए हों और चैक की अवधि (छह माह या तीन माह) समाप्त न हुई हो तो उसे दुबारा भुगतान के लिए बैंक में प्रस्तुत करें और दुबारा बाउंस होने पर उस की सूचना मिलने पर 15 दिनों की अवधि में परिवाद प्रस्तुत करें। किसी भी चैक को जब तक उस की अवधि है तब तक कितनी ही बार बैंक में प्रस्तुत किया जा सकता है। किन्तु बाउंस चैक के भुगतान के लिए एक बार नोटिस दे देने पर 15 दिनों के उपरान्त परिवाद के लिए कारण उत्पन्न हो जाता है। यदि नोटिस मिलने के 45 दिनों की अवधि में परिवाद न प्रस्तुत किया जाए तो फिर उस चैक के आधार पर धारा 138 परक्राम्य अधिनियम के अंतर्गत परिवाद प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।

चैक बाउंस हो जाने के उपरान्त चैक की राशि का भुगतान न किए जाने पर परिवाद प्रस्तुत करने पर न्यायालय यह मानता है कि उक्त चैक किसी दायित्व के अधीन ही दिया गया था। यदि वह किसी दायित्व के अधीन न दिया गया हो तो यह साबित करने का दायित्व चैक जारी करने वाले व्यक्ति का होता है, जिसे साबित करना लगभग असंभव है। आप के मामले में कम्पनी किसी भी तरह यह साबित नहीं कर सकती कि आप को उक्त चैक माल वापस करने के बदले नहीं दिया गया था और वह किसी दायित्व के अधीन नहीं था। इस कारण आप बिना कोई चिंता किए धारा 138 परक्राम्य अधिनियम के अंतर्गत परिवाद प्रस्तुत कर दें।

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