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जब आप का मन खुद आप को सताए तो क्या करें?

समस्या-1

श्री चन्द्र ने दिल्ली से समस्या भेजी है कि-

ब पत्नी और बच्चे सताएं तो पति कहाँ जाये? मेरी पत्नी सरकारी नौकरी करती है तथा दोनों बच्चे वयस्क व अविवाहित हैं, तीनों मुझे लगभग 6 महीने पहले छोड़ कर चले गए, ये मेरी पत्नी द्वारा शादी के पहले दिन से ही रचा हुआ षड़यंत्र था क्योंकि 24 साल हुए परन्तु वो अपने पिता के दबाव में इस रिश्ते को निभाती रही। अब तक बच्चों को मानसिक रूप से इतना तैयार कर लिया था कि वो मुझ पर हाथ भी उठाने लगे थे। ( प्रश्न कर सकते हैं कि वो ऐसा क्यों करते थे तो मेरा जवाब यही है कि मै उनकी मन-मानी जिद व जवान लड़की का घर से रात को बाहर रहना पसंद नहीं करता था) जिस की मैंने पुलिस-कमिश्नर को मेल द्वारा शिकायत भी की, स्थानीय पुलिस -स्टेशन में शिकायत भी दर्ज करायी, परन्तु पुलिस हर बार समझौता कराती रही। कई बार घर छोड़ कर गयी या किसी ना किसी रूप से मानसिक परेशान करती रही। ,मै लोक-लिहाज की शर्म करता हुआ तथा घर की पूरी जिमेवारी संभालता हुआ, हर बार समझौता करता रहा। मैं भी एक सरकारी बैंक में कार्यरत हूँ, और अकेला रह कर इतना डिप्रेशन में आ गया हूँ कि नौकरी पर भी नहीं जा पा रहा हूँ। जाते-जाते घर, जो की किराये का है ,वहां से मेरे कच्छा-बनियान तक उठा ले गयी, जिस की पुलिस ने रोजनामचा रिपोर्ट दर्ज की किन्तु कोई कारवाही नहीं की। मैं किसी भी हालत में ‘तलाक’ लेना चाहता हूँ। मेरी उम्र ५२ साल व पत्नी की उम्र ४७ साल है। समझौते की कोई गुंजाईश नहीं है, तलाक ना देने की धमकी के साथ वो और उसके सगे मुझे धमकी देते हैं कि ना तो तुम्हें तलाक देंगे ना ही कोई पैसा। कोर्ट के धक्के लगवाएंगे और सड़ा-सड़ा कर मारेंगे, मेरे साथ कोई सहयोगी नहीं है। कई बार आत्म-हत्या का ख्याल आया। परन्तु अपने खानदान की इज्जत का ख्याल आ गया, पुलिस और वकील मेरी आर्थिक -दशा को देखते हुए उन्हीं के साथ हैं। वकीलों और कानूनी प्रकिया को तो आप जानते हैं कि कितने लंबे खींच जाते हैं ऐसे केस, और फिर वकीलों के चक्कर, उनकी फीस?  मैं एक कमरे में बंद हो कर रह रहा हूँ, लोक -लाज की शर्म में ,बहुत ज्यादा डेप्रेसिन में हूँ। आप कोई व्यायाम आदि की सलाह देंगे तो मैं बता दूँ कि मेरा बिस्तर तक से उठने का मन नहीं करता। बेटी  M.S.C कर चुकी है, बेटा B.S.C कर रहा है, जिसका EDUCATION -लोन भी सह-ऋणी होते हुए मुझे ही चुकाना है, क्यों की उस की अभी नौकरी नहीं लगी। मेरा सारा पैसा वो किसी ना किसी रूप में खर्च करवाते रहे, तथा बैंक-लोन भी काफी हो गया है। नौकरी पर ना जाने की वजह से सैलरी भी नहीं मिल रही है। २६ साल की नौकरी होने के बावजूद बैंक मुझे नौकरी से निकाल सकता है क्यों कि हम अपनी पूरी सर्विस के दौरान ३६० दिन से अधिक अवैनिक अवकाश नहीं रह सकते, पत्नी ब्रह्मकुमारी धर्म अपना चुकी है जिसे मैं कोर्ट में प्रूव नहीं कर सकता। परन्तु शारीरिक संबंध लगभग एक साल से नहीं बने। कृपया इस अँधेरी-जिंदगी में आप ही एक उम्मीद की किरण नजर आये हैं, मार्गदर्शन करें वर्ना आत्महत्या के अलावा मुझे कुछ नहीं सूझ रहा।

समाधान-

प की इस बात से हम मुतमइन नहीं कि शादी के पहले दिन से ही पत्नी आप के विरुद्ध षड़यंत्र कर रही थी और अब 24 वर्ष बाद उस षड़यंत्र का परिणाम सामने आया। हाँ यह हो सकता है कि आप की पत्नी आप के साथ रिश्ते को किसी दबाव में निभा रही हो। लेकिन यह दबाव पिता का नहीं अपितु एक स्त्री की सामाजिक स्थिति का माना जा सकता है। हो सकता है यह रिश्ता आप की पत्नी की इच्छा के विरुद्ध हुआ हो। वह विवाह ही न करना चाहती हो या उस के लिए तैयार न हो। वैसी स्थिति में विवाह हो जाने से तथा विवाह के उपरान्त जबरन होने वाले यौन व्यवहार ने उसे पति द्वेषी बना दिया हो। जिस का अनिवार्य परिणाम यह हुआ हो कि आप की पत्नी ब्रह्मकुमारी हो गयी हों। इस तरह की संस्थाएँ स्त्रियों की इन्हीं विपरीत परिस्थितियों का तो लाभ उठाती रही हैं।

प को इन परिस्थितियों के लिए सारा दोष अपनी पत्नी और बच्चों को देना बिलकुल बन्द करें और अपनी समस्या पर विचार करें। इन सारी परिस्थितियों का निर्माण करने में आप का, आप के परिवार का और सामाजिक स्थितियों का योगदान सब से अधिक रहा है। वास्तव में अधिकांश वैवाहिक समस्याएँ किसी एक व्यक्ति के दोष के कारण नहीं अपितु अपनी सामाजिक परिस्थितियों के कारण उत्पन्न होती हैं।

ब तक जो कुछ हुआ भूल जाएँ। पुलिस ने कुछ नहीं किया या अदालत कुछ नहीं करती, बहुत समय तक परिणाम नहीं देती। यह सब सोचना बन्द कीजिए। पुलिस का चरित्र और अदालतों की गति न आप बदल सकते हैं और न कोई और ये सब एक बड़े परिवर्तन के मोहताज हैं। ये तब बदलेंगे जब देश की राजनीति बदलेगी और समाजोन्मुखी होगी। वर्तमान राजनीति में तो सब कुछ बाजारोन्मुखी है। आप को अपना भविष्य का जीवन खुद तय करना होगा।

जो जा चुका, जा चुका उसे भूल जाइए। पत्नी और बच्चे आप को छोड़ कर जा चुके हैं। बच्चे वयस्क हैं उन की कोई जिम्मेदारी आप की नहीं है। पत्नी खुद कमाती हैं। वे आप से कुछ भी मांग सकने में समर्थ नहीं हैं। समझ लीजिए कि वे कभी आप के जीवन में नहीं थे। यदि आप की कोई संपत्ति है तो उस के आप स्वयं स्वामी हैं और उस का प्रबंधन खुद कर सकते हैं, किसी को हस्तान्तरित कर सकते हैं या उस की वसीयत कर सकते हैं। आप की समस्या अकेले रहने की है तो पत्नी और बच्चे तो आप के लिए षड़यंत्रकारी हैं, उन के साथ रहने के बजाए अकेले रहने की स्थिति अधिक बेहतर है। इसे आप को स्वीकार करना होगा। डिप्रेशन से निकलिए, उस के लिए जरूरी हो तो किसी मनोविज्ञानी से काउंसिलिंग लीजिए और बैंक की नौकरी पर जाना आरंभ कीजिए। आप का सब से बड़ा शत्रु तो आप का मन है जो आप को नौकरी जाने से रोकता है। उस की चिकित्सा कीजिए। यदि आपने बैंक की नौकरी पर जाना आरंभ कर दिया तो बहुत समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। शेष भी समाप्त होने का मार्ग तय होगा। बहुत लोग अकेले रहेते हैं जिन के पास अपने घर नहीं होते। दुनिया में स्त्री और बच्चों के अलावा भी बहुत कुछ है। संगीत, लेखन आदि कलाएँ हैं, सामाजिक कार्य हैं, आप नौकरी से बचे समय में उन में अपना मन लगा सकते हैं। आप ने लिखा है “जब पत्नी और बच्चे सताएं तो पति कहाँ जाये?” मैं इस के उत्तर में अब आप को कहना चाहता हूँ कि जब आप का मन खुद आप को सताए तो क्या करें?

प की पत्नी और बच्चे जाते जाते रोजनामचा में रपट दर्ज करा गये हैं या आप ने कराई है वह रपट दर्ज है। थाने से उस की प्रतिलिपि प्राप्त कीजिए। छह माह हो चुके हैं छह और निकल जाने दीजिए। उस के बाद आप डेजर्शन और पत्नी के ब्रह्मकुमारी पंथ में संन्यास ले लेने के आधार पर विवाह विच्छेद हेतु आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं।

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