जमानत के बाद पेशी पर हाजिर न होने पर गिरफ्तारी वारंट जारी होना व गिरफ्तारी होना सामान्य प्रक्रिया है।
समस्या-
प्रियंका गौतम ने इस्लामपुरा, सोरन, जिला टोंक राजस्थान से पूछा है-
मेरे पापा को 20 अगस्त 2016 को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है दारू के केस में जो कि 2006 का केस है। मेरे पापा की पिछली बार हम ने जमानत पर छुड़वाया था उस के बाद ताऱीख पर न जाने के कारण कोर्ट ने उन को भगोड़ा घोषित कर दिया। कोर्ट ने उन को भगोड़ा घोषित क्यों किया? 2010 के बाद कोई पुलिस वाला हमारे पास नहीं आया, कोई नोटिस नहीं आया।
समाधान-
जब दारू के केस में आप के पापा पहली बार पकड़े गए तो अदालत ने उन की जमानत ले कर उन्हें छोड़ दिया क्यों कि जमानत इस बात की थी कि वे हर तारीख पर अदालत में हाजिर होते रहेंगे। लेकिन वे तारीख चूके और उन का गिरफ्तारी वारंट निकला। आप ने उन की जमानत करवा ली। वे फिर से तारीख पर नहीं गए तो फिर से जमानत जब्त हो गयी और फिर गिरफ्तारी वारंट निकल गया।
इस तरह यह जरूरी नहीं है कि गिरफ्तारी वारंट निकालने के लिए किसी मुलजिम को फरार या भगोड़ा घोषित किया ही जाए और उस के पहले उसे तथा उस के पते पर कोई नोटिस या समन भेजा ही जाए।
हमें नहीं लगता कि आप के पिताजी को भगोड़ा घोषित किया गया है।दो-तीन बार जमानत पर छोड़े जाने के बाद भी कोई अभियुक्त पेशी चूके तो उसे भगोड़ा घोषित किया जा सकता है उस के लिए उस की संपत्ति को कुर्क करना होता है। यदि उन की संपत्ति कुर्क की गयी होती तो संपत्ति पर नोटिस जरूर चस्पा होते।
आप अपने पापा की जमानत करवा सकते हैं, हालांकि यह आसानी से नहीं होगी। फिर भी एक दो सप्ताह जेल में रहने के बाद हो सकती है। आप को प्रयत्न करना चाहिए।
मेरे फाधर को जमानत नहीं मिल रही है कोई करवाई नहीं हो पा पिलीज़ कोई मदद की जिए
Sir, मेरे पिता जी नेहरू महाविद्यालय ललितपुर में पुस्तकालय लिपिक के पद पर तैनात थे। उस समय के कार्यवाहक प्रधानाचार्य के भ्रष्टाचार में लिप्त रहने के कारण प्रधानाचार्य से बनती नहीं थी।जिस कारण प्रधानाचार्य ने गुमराह कर उनको 3/8/2006 को एक पत्र दिया जिसमें लिखा था कि आपको 58 बर्ष पूर्ण होने पर 31/8/2006 को सेवानिवृत्त किया जाता हैं। उसके वाद पिता जी ने 1/9/2006 से कॉलेज जाना बंद कर दिया लेकिन कुछ ही दिन बाद पता चला कि शासन द्वारा तो सेवानिवृत्त की आयु तो 60 बर्ष तय की गई हैं। पिता जी को अपने खिलाफ हुए इस षणयंत्र से गहरा मानसिक आघात हुआ और इसी आघात के कारण 26/12/2007 को उनका देहावसान हो गया। सेवानिवृत्त की तिथि से आज तक उनका कोई भी देयक जैसे pf, पेंशन आदि नहीं दिए गए। उनके देयकों के लिए मेरी माँ ने दावा प्रस्तुत किया तो प्रधानाचार्य ने समस्त देयकों के एवज में 2 लाख रुपये की अवैध माँग की, हर प्रकार से थक हारने के बाद मेरे पिता जी के समस्त देयकों वा गलत तरीके से सेवानिवृत्त किये जाने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सितम्बर 2008 में वाद दायर किया। लेकिन आज 8 साल के बाद भी सुनवाई के आभाव के कारण न्याय से वंचित हैं और आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा हैं। कृपया मार्ग बताये।