DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

ठेकेदार का कर्मचारी कानून के माध्यम से कंपनी का स्थाई कर्मचारी नहीं हो सकता

 देवेन्द्र कर्मा पूछते हैं –

मैं दस वर्षों से कॉन्ट्रेक्टर के द्वारा कंपनी में नौकरी कर रहा हूँ, परन्तु अभी तक स्थाई नहीं किया गया है। क्या मैं कानून की मदद से अपनी नौकरी स्थाई करवा सकता हूँ? कृपया मेरी मदद कीजिए।

 उत्तर – 

देवेन्द्र जी,

र कंपनी यह चाहती है कि उस के उद्योग के लिए जितने कर्मचारियों को नियोजित किया जाना है उन में से अधिक से अधिक कर्मचारी ठेकेदारों के माध्यम से नियोजित किए जाएँ। इस तरह से वे कर्मचारियों के प्रति बहुत सी कानूनी जिम्मेदारियों से बच जाते हैं। उन के लिए यह आर्थिक रूप से भी बहुत लाभकारी होता है। क्यों कि ठेकेदार के कर्मचारियों को बहुत कम वेतन पर काम पर रखा जा सकता है। यदि ठेकेदार के कर्मचारी अपनी सेवा शर्तों में सुधार और वेतन वृद्धि के लिए कोई मांग रखें तो उस से आसानी से इन्कार किया जा सकता है। उन्हें कर्मचारियों को नौकरी से हटाने की भी कोई आवश्यकता नहीं पड़ती। वे ठेकेदार का ठेका समाप्त कर देते हैं। उसी ठेकेदार को किसी अन्य नाम से नया ठेका आवंटित कर नए लोगों को नौकरी दे देते हैं। इस तरह कंपनियों ने श्रमिकों को संगठित हो कर अपनी सेवाशर्तों के लिए सौदेबाजी करने का जो अधिकार कानून से प्राप्त हुआ है उस का तोड़ निकाल लिया है।
ठेकेदार कंपनी का कर्मचारी न हो कर ठेकेदार का कर्मचारी होता है। इस कारण से वह कंपनी के विरुद्ध किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं कर सकता है। वह कंपनी में स्थाई होने की मांग भी नहीं कर सकता है। कानून में भी ऐसा कोई मार्ग नहीं है कि कोई ठेकेदार का कर्मचारी अदालत के माध्यम से कंपनी में स्थाई होने के लिए कोई मांग कर सके और उसे मनवा सके। 
वैसे भारत में एक कानून बना हुआ है, जिस का नाम ठेकेदार श्रमिक (उन्मूलन) अधिनियम 1970 है। इस के अंतर्गत यह प्रावधान बना हुआ है कि यदि उचित सरकार चाहे तो वह किसी भी उद्योग के किसी भी प्रोसेस में ठेकेदार द्वारा श्रमिक नियोजित किए जाने को प्रतिबंधित कर सकती है। लेकिन सरकार को इस में कोई रुचि नहीं है, स्वयं सरकारी संस्थान इन दिनों सारे काम ठेकेदार श्रमिकों से करवाने लगे हैं। ट्रेड यूनियन आंदोलन इतना बिखरा हुआ है कि इस ओर कोई ध्यान ही नहीं देता कि उद्योगों में ठेकेदार द्वारा श्रमिकों को नियोजित करने पर पाबंदी लगाने के लिए सरकार के समक्ष कार्यवाही करे। इस का नतीजा यह है कि अधिकांश उद्योगों में सभी प्रकार के कामों के लिए ठेकेदार के श्रमिक नियोजित किये जा सकते हैं। इस कानून का उपयोग श्रमिकों के लाभ के लिए होने के स्थान पर शतप्रतिशत श्रमिकों के विरुद्ध होता है।
कुछ वर्ष पूर्व सर्वोच्च न्यायालय ने एक निर्णय अवश्य यह दिया है कि फैक्ट्री के केंटीन में काम करने वाले कर्मचारियों को चाहे वे ठेकेदार द्वारा नियोजित किए गए हों कंपनी का ही कर्मचारी माना जाएगा। क्यों कि किसी भी फैक्ट्री में केंटीन चलाना फेक्ट्री के मालिक का कानूनी दायित्व है। इस निर्णय के उपरांत जिन केंटीन कर्मचारियों ने कानून के अंतर्गत आवश्यक कार्यवाही की उन्हें कंपनी के कर्मचारी मान लिया गया है।&n
bsp;
कुछ ऐसे मामलों में जिन में कंपनी ने कुछ ऐसे कर्मचारियों को नियोजित किया है जिन का सुपरविजन सीधे कंपनी के हाथों में है, जो अपने द्वारा किए गए कार्यों के लिए कंपनी के प्रति जिम्मेदार हैं और सीधे कंपनी को रिपोर्ट करते हैं, जिन के काम की सूची कंपनी बनाती है। जो प्रकृति से कंपनी के ही कर्मचारी हैं और ठेकेदार केवल नाम का व छाया मात्र है। न्यायालयों ने यह माना है कि वे कंपनी के ही कर्मचारी हैं और उन्हें कंपनी के कर्मचारी का अधिकार दिलाया है। 
स के अतिरिक्त कोई मार्ग नहीं है जिस से एक ठेकेदार का कर्मचारी कंपनी में स्थाई हो सके। यदि आप समझते हैं आप इन में से किसी श्रेणी के कर्मचारी हैं तो आप अपने नजदीक के किसी ऐसे वकील से मिलें जो लंबे समय से श्रम कानून की प्रेक्टिस कर रहा है। वह आप की पूरी बात जान कर आप को बता सकता है कि आप को कानूनी मदद मिल सकती है अथवा नहीं। वैसे सामान्य उत्तर यह है कि ठेकेदार का कर्मचारी सदैव ही ठेकेदार का कर्मचारी ही रहेगा, कंपनी का कर्मचारी नहीं हो सकता। यह दूसरी बात है कि कंपनी को नए कर्मचारियों की भर्ती करनी हो और वह ठेकेदार के कर्मचारियों में से कुछ लोगों की भरती कर ले। लेकिन तब कंपनी में उस की नौकरी एकदम नई होगी और उसे ठेकेदार की नौकरी छोड़नी पड़ेगी, वह ठेकेदार के यहाँ लंबे सेवा काल के लाभों से वंचित हो जाएगा।

Print Friendly, PDF & Email
4 Comments