तलाक और भरण-पोषण दोनों अलग बिन्दु हैं, और दोनों के आधार भी भिन्न हैं
|भाई रमेश जैन, खुद एक ब्लागर हैं। वे सिरफिरे नहीं हैं, लेकिन उन्हों ने अपना तखल्लुस ‘सिरफिरा’ रख छोड़ा है। मुझे उन का यह तखल्लुस पसंद नहीं। इस लिए आगे से उन्हें केवल रमेश जैन ही लिखूंगा। उन्हों ने पिछली पोस्ट “क्रूरता विवाह विच्छेद के लिए एक मजबूत आधार है” पर टिप्पणी करते हुए पूछा है –
क्या क्रूरता और परित्याग के आधार पर (दोनों आधारों के होते हुए) एक साथ तलाक का आवेदन किया जा सकता है और क्या पुरुष क्रूरता के आधार पर तलाक मिलने के बाद भी महिला को गुजारा भत्ता देने के लिए जिम्मेदार होता है? क्या क्रूरता के आधार पर तलाक का आवेदन करने के लिए समय सीमा ( जैसे-शादी के एक या दो साल बाद ही) होती है?
उत्तर –
भाई, रमेश जी,
आप का प्रश्न बहुत उत्तम है। कोई भी व्यक्ति जो किसी भी प्रकार की राहत प्राप्त करने के लिए न्यायालय में कोई भी वाद अथवा प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करता है तो वह जो राहत प्राप्त करना चाहता है, उस के जितने भी आधार उस के पास उपलब्ध हैं उन पर एक साथ राहत की मांग कर सकता है। इतना ही नहीं उसे सारे आधारों का अपने वाद या आवेदन पत्र में उल्लेख करना चाहिए। यही अभिवचन का नियम है। क्यों कि यदि उस ने कोई आधार अंकित नहीं किया है, तो यही समझा जाएगा कि या तो उस के पास वह आधार उपलब्ध ही नहीं था अथवा उस आधार को उस ने त्याग दिया है। इस लिए जब भी कोई स्त्री या पुरुष तलाक/विवाह विच्छेद के लिए प्रार्थना पत्र या वाद प्रस्तुत करता है तो उसे यह राहत प्राप्त करने के लिए सभी उपलब्ध आधारों को अपने प्रार्थना पत्र/वाद में अंकित करना चाहिए।
किसी महिला को उस के पति या पूर्व पति से गुजारा भत्ता प्राप्त करने का जो अधिकार है उस के अनेक आधार हैं। इस कारण यह कहा जाना सही नहीं होगा कि यदि पति अपनी पत्नी से क्रूरता के आधार पर तलाक प्राप्त कर लेता है तो फिर तलाक शुदा पत्नी को पति से गुजारा-भत्ता नहीं दिलाया जा सकता है। मान लीजिए एक स्त्री से उस के पति को क्रूरता के आधार पर तलाक प्राप्त हो जाता है। स्त्री को कोई गुजारा भत्ता नहीं दिलाया जाता है। लेकिन कालांतर में वह स्त्री पूरी तरह से स्वयं का भरण पोषण करने में असमर्थ हो जाती है, और उस के तलाकशुदा पति के अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिस से कि वह गुजारा भत्ता प्राप्त कर सके और तलाकशुदा पति भी गुजारा भत्ता देने में सक्षम है, वैसी परिस्थिति में न्यायालय को तलाकशुदा पति से उस की पूर्व पत्नी को गुजारा-भत्ता क्यों नहीं दिलाना चाहिए। इस कारण किसी पुरुष को क्रूरता के आधार पर अपनी पत्नी से तलाक प्राप्त कर लेने पर भी विशिष्ठ परिस्थितियों में उस का पोषण करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इस तरह के मामलों में प्रत्येक मामले का निर्णय उस मामले के गुण-दोष के आधार पर होगा।
सामान्यतया हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्
गत किसी भी आधार पर तलाक के लिए प्रार्थना पत्र विवाह की तिथि से एक वर्ष की अवधि में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है। किन्तु विशेष परिस्थितियों में न्यायालय ऐसा प्रार्थना पत्र ग्रहण कर सकता है।
गत किसी भी आधार पर तलाक के लिए प्रार्थना पत्र विवाह की तिथि से एक वर्ष की अवधि में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है। किन्तु विशेष परिस्थितियों में न्यायालय ऐसा प्रार्थना पत्र ग्रहण कर सकता है।
More from my site
7 Comments
दोनों प्रश्नों का उत्तर इतनी शीघ्रता देने के लिए धन्यवाद स्वीकार कीजिये. आपकी सलाह, सुझाव, ब्लॉग में प्रकाशित जानकारी से और प्रश्नों के उत्तरों आदि देने से मेरी काफी मदद हो रही है.
एक सवाल मेरा भी है यदि आप उत्तर दे सके यदि पति पत्नी को मारता हो और पत्नी उससे विवाह के एक साल के अन्दर ही उससे अलग हो जाती है और तलाक चाहती है तो उसे सीधे तलाक की अर्जी देनी चाहिए ( एक साल बाद ) या उसके पहले उस पर घरेलु हिंसा के तहत भी उसके खिलाफ एफ आई आर दाखिल करनी चाहिए क्या इससे उसका केस और मजबूत होगा तलाक और भरण पोषण के लिए या सिर्फ तलाक की अर्जी ही काफी है |
अच्छी जानकारी .
@रमेश कुमार जैन
1.आप के पहले प्रश्न का उत्तर है कि आप विधिक सेवा प्राधिकरण से इस कार्य के लिए वकील प्राप्त कर सकते हैं।
2. आप की वर्तमान में कोई आय नहीं है और आय अर्जित करने में असमर्थ हैं तो आप गरीबी की रेखा के नीचे का प्रमाण पत्र बनवा सकते हैं। आवश्यक तथ्यों और सबूतों की पूर्ति कर देने पर अधिकारी ऐसा प्रमाणपत्र बनाने को बाध्य होगा।
कृपया भूल सुधार करें-उपरोक्त वाक्य इस तरह से पढ़े:वैसे-आपके पुराने लेखों में जानकारी के अनुसार बच्चे के पाँच साल का होने तक मिलना संभव नहीं है,इसलिए ……………………………………मिलने नहीं दिया गया है.)
श्रीमान जी,आपने मुझे बहुत महत्वपूर्ण जानकारी दी है,इस बार अपने प्रश्न का उत्तर इतनी जल्दी से पाकर बहुत खुश हूँ.उपरोक्त लेख को पढ़कर मेरी एक-दो ओर निम्न जिज्ञासा है.कृपया करके मेरी जिज्ञासा शांत करने का कष्ट करें :-
1.क्या क्रूरता/परित्याग के दोनों आधारों पर तलाक का आवेदन करने हेतु और बच्चे की कस्टडी (वैसे-आपके पुराने लेखों में जानकारी के अनुसार बच्चे के पाँच साल का होने तक मिलना संभव है,इसलिए कम से कम बच्चे को अपने पिता से मिलाने के आदेश क्योंकि फ़िलहाल बच्चा दो साल का है और अब तक एक बार भी मिलने नहीं दिया गया है.) हेतु आवेदन के लिए भी विधिक सेवा प्राधिकरण से कानूनी सहायता(वकील)प्राप्त की जा सकती है?
2.क्या कोई व्यक्ति मानसिक व शारीरिक बीमारी के कारणों के चलते अपनी जमा पूंजी खत्म होने पर और वर्तमान स्थिति में अपने भूतकाल में किये जाने वाले कार्य को करने में असमर्थ(जबकि सरकार को अपने भूतकाल कार्य पर लागू सर्विस टैक्स और इनकम टैक्स देता रहा हो)हो.वो अपना गरीब रेखा से नीचे का प्रमाण पत्र बनवाने का आवेदन कर सकता है और क्या सक्षम अधिकारी ऐसा प्रमाण पत्र बनाने के लिए बाध्य है?
बहुत अच्छी जानकारी है। धन्यवाद।