तीसरा खंबा का सहयोगी अँग्रेजी ब्लॉग "JUDICATURE INDIA" आज से प्रारंभ
|तीसरा खंबा ने विगत दो माह में जो काम किया है वह महत्वपूर्ण है। इस दृष्टि से कि उस ने यह खोजने का प्रयास किया कि हमारी न्याय प्रणाली को हुआ क्या है? जो यह तेजी से जनता मे विश्वास खोती जा रही है। इस खोज का परिणाम रहा कि न्याय प्रणाली की मूल समस्या उस का आवश्यकता से बहुत छोटा होना है। भारत के मुख्य न्यायाधीश स्वयं यह अभिव्यक्त कर चुके हैं कि भारतीय न्याय प्रणाली के पास जरूरत के मात्र १६ प्रतिशत जज हैं।
जजों की इस कमी को अतिशीघ्र पूरा किया जाना जरूरी है। यह भारत सरकार और प्रान्तीय सरकारों द्वारा वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराए बिना संभव नहीं है। जजों और अदालतों की संख्या बढ़ाए जाने की नीति सरकार के पास होना आवश्यक है। सरकार वोटों की राजनीति से प्रभावित होती है। वोटों का संतुलन जिधर होता है। सरकार का बजट उधर ही बहने लगता है। आज तक किसी भी राजनैतिक दल ने इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया है। अदालतों और जजों की संख्या बढ़ाए जाने की बात किसी भी राजनैतिक और चुनाव घोषणा पत्र में स्थान नहीं पा सकी है।
इस समस्या के हल का प्रारम्भ केवल इस मुद्दे पर जन जागरण के माध्यम से ही संभव है। हिन्दी में यह काम तीसरा खंबा कर रहा है। तीसरा खंबा में यह रेखांकित किया जा चुका है कि इस समस्या से सबसे अधिक प्रभावित वर्ग वकीलों का है। तीसरा खंबा ने इस काम को स्थानीय स्तर पर करने के प्रयास प्रारंभ कर दिए हैं। इस बीच यह आवश्यकता महसूस की गयी कि अंग्रेजी में भी साहित्य इस विषय पर होना आवश्यक है। इस कमी को पूरा करने के लिए सहयोगी अंग्रेजी ब्लॉग ‘जुडीकेचर इंडिया’ आज से प्रारंभ हो गया है।
जुडीकेचर इंडिया देश की एक गंभीर समस्या के हल के लिए काम करने की इच्छा से प्रारंभ हुआ है और इसकी जन्मदाता हिन्दी ही है। इन कारणों से हिन्दी ब्लॉगर जगत का साथ इसे मिलेगा इस का मुझे पूरा विश्वास है।
This site appears to recieve a great deal of visitors. How do you promote it? It offers a nice individual spin on things. I guess having something authentic or substantial to talk about is the most important thing.
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“हमारा लक्ष्य तीव्रतम गति से न्याय प्रदान करना होना चाहिए। किसी भी अदालत में कोई भी मुकदमा दो साल से अधिक लम्बित नहीं रहना चाहिए। तभी हम विकसित देशों के समान सुचारु रूप से राज्य व्यवस्था को चला पाऐंगे। ”
आपके प्रस्ताव का अनुमोदन करता हूँ.
कई दिनों से आपके आलेख पढता आ रहा हूँ, लेकिन अकसर यह कार्य रात को करता हूँ, एवं इन दिनों उस समय जाल लगभग रेंगने की स्थिति में होता है अत: कभी भी टिप्पणी नहीं कर पाया कि आपका चिट्ठा मेरे लिये सबसे महत्वपूर्ण एक चिट्ठा बन गया है.
लिखते रहें, आपका एक लेख मेरे दस लेखों से अधिक सामाजिक महत्व रखता है.
आपके अंग्रेजी चिट्ठे को मेरा पूरा सहयोग मिलेगा!!
मुझे तो आपकी ऊर्जा देख कर प्रसन्नता भी होती है और ईर्ष्या भी। आप अपने प्रॉजेक्ट्स में सफल हों – यह कामना है।
स्वागत दिनेश जी, आप हमारे लिए तो काम कर ही रहे हैं साथ ही हमसे जुडे समूचे समाज को इन पहलुओं से मानसिक रूप से परिचित व आंदोलित करने का माम कर रहे हैं आपका कार्य सचमुच सराहनीय है ।
उस प्रयास को मेरा प्रणाम ।
संजीव
छत्तीसगढ के शक्तिपीठ – 2