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दामाद ससुर का आश्रित नहीं, उसे अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल सकती।

Compassionate Appointmentसमस्या-

राहुल कुमार ने पीपल्दा, जिला कोटा राजस्थान से पूछा है-

मेरे ससुर जी का देहान्त हो गया है, वे कानूनगो के पद पर राजकीय सेवा में थे। मेरी पत्नी उन की इकलौती पुत्री है, लेकिन वह पढ़ी लिखी नहीं है। मैं बी.ए., बी.एड हूँ। क्या मुझे अनुकंपा नियुक्ति मिल सकती है?

समाधान-

नुकंपा नियुक्ति अपने आप में संविधान की मूल आत्मा के विरुद्ध है। राजकीय सेवाओं में नियुक्त होने का हर नागरिक को अधिकार है। इस कारण राजकीय सेवाओं में नियुक्तियाँ योग्यता के अनुसार सभी योग्य नागरिकों को खुली भर्ती के आधार पर अवसर प्रदान करते हुए ही होनी चाहिए। अनुकंपा नियुक्ति इस सामान्य नियम का अपवाद है जो जनविरोधी भी है। एक राजकीय कर्मचारी के देहान्त के उपरान्त उस के परिवार को पेंशन प्राप्त होती है। एक साधारण किसान जो खेत में पसीना बहाता है, एक मजदूर जो उद्योगों में अपना पसीना बहाता है उस की मृत्यु पर तो उस के आश्रित को कुछ नहीं मिलता। फिर किसी राज्य कर्मचारी के आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति क्यों मिलनी चाहिए? क्या यह भारत के अन्य नागरिकों के साथ अन्याय नहीं है?

फिर भी संविधान ने राजकीय कर्मचारी की सेवा में रहते हुए मृत्यु हो जाने पर अचानक उस का परिवार संकट में न आ जाए इस कारण से नियमानुसार उस के किसी एक आश्रित को नौकरी देने की छूट दे रखी है। अनुकंपा नियुक्तियाँ राज्य की अनुकंपा हैं, यह किसी का अधिकार नहीं है। यदि राज्य के पास स्थान रिक्त हो। कोई आश्रित योग्य हो तो उसे ऐसी नौकरी अनुकंपा के रूप में दी जा सकती है। वह भी केवल सख्ती के साथ केवल नियमों के अनुरूप ही।

राजस्थान के अनुकंपा नियुक्ति नियमों में विवाहित पुत्रियाँ भी आश्रित की श्रेणी में नहीं आतीं दामाद तो दूर की बात है। आप की पत्नी यदि पढ़ी लिखी होती तो भी वह अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त करने की अधिकारी नहीं होती। आप तो उन के दामाद हैं। आप को अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त नहीं हो सकती।

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