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दूसरी पत्नी को कानूनन मृत पति की संपत्ति में क्या अधिकार है?

डी.के.साहिल ने पूछा है …….
मुझे दूसरी पत्नी के अधिकारों के बारे में जानना है?  मेरे स्वर्गीय पिता के दो पत्नियाँ है। दूसरी पत्नी को कोई भी औलाद/संतान नहीं है। लेकिन फिर भी वो हमारे जायदाद में हिस्सा चाहती है। इसलिए मैं जानना चाहता हूँ  कि क्या उसे कानूनन कुछ मिल सकता है?  अगर मिल सकता है तो किस अधिनियम के तहत और अगर नही तब भी किस अधिनियम के तहत? जब मेरे पिता जी जीवित थे तब उनकी दूसरी पत्नी ने मुक़दमा दायर किया था।  परिवार न्यायालय में मेंटेनन्स के लिए।  फिर बाद में इस बात पर सुलह/फैसला हुआ कि जब तक नौकरी में रहेंगे २०००/- रुपया और रिटायर होने के बाद १०००/- रुपया (जब तक जीवित रहेंगे) देंगे। इस बयां को दोनों ने जज के सामने स्वीकार किया। कृपया मुझे सलाह दें।  मैं बिहार में मधेपुरा जिला से हूँ। कृपया प्रश्न का उत्तर प्रकाशित होने पर मुझे भी मेल करें। हम हिन्दू हैं और मेरे पिता का दूसरा विवाह 1986 में हुआ था। 
उत्तर – – – – – 
किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उस की संपत्ति पर यदि मृतक ने कोई वसीयत नहीं की है तो केवल उस के उत्तराधिकारियों का ही अधिकार हो सकता है। अन्य किसी भी व्यक्ति का नहीं। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार पुरुष की मृत्यु के पश्चात उस की संतानें, माता और पत्नी उत्तराधिकारी हैं। इन सभी को संपत्ति का समान भाग प्राप्त होगा। तथा कोई भी उत्तराधिकारी मृतक की संपत्ति के बटवारे की मांग कर सकता है और उस के लिए वाद संस्थित कर सकता है। आप के पिता के मामले में भी यही नियम लागू होगा। 
हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 से किसी भी हिन्दू की एक पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह वर्जित है। यदि कोई व्यक्ति  एक पत्नी के होते हुए भी दूसरा विवाह करता है तो ऐसा विवाह अवैध होगा और दूसरी पत्नी अवैध होगी। ऐसी स्थिति में दूसरी पत्नी यदि उस के नाम कोई संपत्ति वसीयत नहीं कर दी गई है तो उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार मृतक पति की संपत्ति में कोई भी हिस्सा प्राप्त करने की अधिकारी नहीं है। आप के प्रश्न से लगता है कि आप के पिता की दोनों पत्नियाँ जीवित हैं। दूसरी पत्नी जिस से उन्हों ने 1986 में विवाह किया है वैध पत्नी नहीं है और आप के पिता की संपत्ति में किसी भी प्रकार का हित नहीं रखती है। उसे आप के पिता की संपत्ति में से कोई भी भाग प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। 
प ने बताया कि आप के पिता ने अदालत में समझौते से नौकरी के दौरान दो हजार रुपया प्रतिमाह और सेवा निवृत्त हो जाने पर एक हजार रुपया प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का समझौता किया था। लेकिन यह समझौता केवल उन के जीवन काल तक के लिए सीमित था। इस से यह भी पता लगता है कि आप के पिता अपनी दूसरी पत्नी को अपनी संपत्ति में से कुछ भी नहीं देना चाहते थे। आप के पिता की दूसरी पत्नी को आप के पिता की संपत्ति में से कानूनन कुछ भी नहीं मिल सकता है।
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