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कब्जा किसी भी संपत्ति के स्वामित्व का प्राथमिक साक्ष्य है।

समस्या-

घनश्याम गहलोत ने गंगापुर, भीलवाड़ा राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मेरा परिवार एक मकान में 70 वर्षो से बिना किराए के निवास कर रहा है, बिजली का बिल मेरे दादाजी के नाम पर है जिनका स्वर्गवास हो गया है। अब हमारे पास इस मकान के स्वामित्व के लिए क्या अधिकार है?

समाधान-

कान का बिजली कनेक्शन आप के दादाजी के नाम है। आप पुराने से पुराना दस्तावेज प्राप्त कर के सुरक्षित रखिए जिस से आप दादाजी के नाम के बिजली कनेक्शन को साबित कर सकें। उक्त मकान आप के दादाजी के उत्तराधिकारियों के स्वामित्व की संपत्ति ही मानी जाएगी क्यों कि उन का उस संपत्ति पर 70 वर्ष से अबाधित कब्जा है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 110 में यह प्रावधान है कि –

Burden of proof as to ownership:

When the question is whether any person is owner of anything of which he is shown to be in possession, the burden of proving that he is not the owner is on the person who affirms that he is not the owner.

यदि कभी यह प्रश्न उठे कि क्या कोई व्यक्ति उस संपत्ति का स्वामी है जो उस के कब्जे में है तो यह साबित करने का भार उस व्यक्ति पर होगा जो यह कहता हो कि यह संपत्ति उस व्यक्ति की नहीं है।

यदि आप का परिवार उस मकान में विगत 70 वर्षों से अबाधित रूप से निवास कर रहा है तो उस मकान के स्वामी आप ही हैं। यदि कोई इस बात पर आपत्ति करता है तो उसे साबित करना पड़ेगा कि आप उस के स्वामी नहीं है। इस तरह पूरी दुनिया में यह सिद्धान्त प्रचलित है कि कब्जा किसी भी संपत्ति के स्वामित्व का प्रथम दृष्टया सबूत है। इसीलिए कहा जाता है ‘कब्जा सच्चा दावा झूठा’।

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