धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया …
|आषुतोष मजूमदार ने भिलाई, छत्तीसगढ़ से समस्या भेजी है कि-
मुस्लिम धर्म छोड़ने की प्रक्रिया क्या है? एक मुस्लिम बालिका को हिन्दू लड़के से हिन्दू रीति रिवाज से शादी के लिए किन शर्तों का पूरा करना जरूरी है? क्या बिना धर्मान्तरण के मुस्लिम लड़की का हिन्दू लड़के से विवाह वैध है? कृपया मुस्लिम धर्म से हिन्दू धर्म में धर्मान्तरण की विधि की कानूनी प्रक्रिया बताएँ?
समाधान-
धर्मान्तरण की कोई कानूनी प्रक्रिया निर्धारित नहीं है। ईसाई धर्म की बपतिस्मा जैसी रस्मों का अन्य धर्मों में अभाव दीख पड़ता है। इस्लाम में या किसी भी धर्म में उसे छोड़ने के लिए किसी भी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है। जहाँ तक हिन्दू धर्म का प्रश्न है वह धर्मांतरण का समर्थन नहीं करता और इसमें धर्मांतरण के लिये कोई रस्म मौजूद नहीं है। यह स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है कि कोई व्यक्ति हिंदू कब बनता है क्योंकि हिंदू धर्म ने कभी भी दूसरे धर्मों को अपने प्रतिद्वंद्वियों के रूप में नहीं देखा। अनेक हिंदुओं की धारणा यह है कि ‘हिंदू होने के लिये व्यक्ति को हिंदू के रूप में जन्म लेना पड़ता है’ और ‘यदि कोई व्यक्ति हिंदू के रूप में जन्मा है, तो वह सदा के लिये हिंदू ही रहता है’; हालांकि, भारतीय कानून किसी भी ऐसे व्यक्ति को हिंदू के रूप में मान्यता प्रदान करता है, जो स्वयं को हिंदू घोषित करे। इस तरह जिस धर्म में प्रवेश लेना हो धर्म ग्रहण कर लेने की घोषणा कर देने से धर्मान्तरण पूर्ण हो जाता है। हिन्दू धर्म में अनेक सम्प्रदाय हैं। इन सम्प्रदायों के गुरू दीक्षा दे कर संप्रदायों में प्रवेश कराते हैं। इसी तरह आर्य समाज की संस्थाएँ इस कार्य को संपन्न करती हैं और उस का नियमित रिकार्ड भी रखती हैं। किसी मुस्लिम पुरुष या स्त्री को किसी हिन्दू सम्प्रदाय अथवा आर्य समाज की पद्धति से हिन्दू धर्म में प्रवेश कराया जा सकता है। आर्य समाज या धर्मगुरू दीक्षा या धर्मप्रवेश का प्रमाण पत्र भी जारी करते हैं।
भारत में केन्द्र सरकार के नगरीय विकास मंत्रालय ने धर्म परिवर्तन की घोषणा के गजट प्रकाशन के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित की है जिस के अनुसार भारत के गजट में धर्म परिवर्तन की घोषणा का प्रकाशन कराया जा सकता है। इस के लिए एक स्थानीय प्रमुख समाचार पत्र में धर्म परिवर्तन की घोषणा का प्रकाशन तथा धर्म परिवर्तन की घोषणा का शपथ पत्र नॉन जुडिशियल स्टाम्प पेपर पर शपथ आयुक्त, नोटेरी या प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा प्रमाणित करवा कर प्रकाशन की शुल्क सहित निर्धारित फार्म में प्रेषित करते पर भारत के गजट में धर्म परिवर्तन की घोषणा का प्रकाशन कराया जा सकता है। इस से स्पष्ट है कि धर्म परिवर्तन की घोषणा का शपथ पत्र निष्पादित कर उसे शपथ आयुक्त, नोटेरी या प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट से प्रमाणित करा लेने तथा स्थानीय प्रमुख समाचार पत्र में उस की घोषणा के प्रकाशन से धर्म परिवर्तन पूर्ण हो जाता है। यदि एक बार गजट में प्रकाशन हो जाए तो उस धर्म परिर्तन को दी गई चुनौती का सफल होना असंभव हो जाता है। निर्धारित प्रपत्र इस लिंक से डाउनलोड किया जा सकता है।
कोई भी लड़का और लड़की जो भिन्न भिन्न धर्मों के हैं उन्हें आपस में विवाह करने के लिए अपना धर्म त्याग करने की कोई आवश्यकता नहीं है। वे विशेष विवाह अधिनियम के अन्तर्गत जिला विवाह पंजीयक जो कि जिला कलेक्टर ही होता है को निर्धारित नोटिस देने के उपरान्त 30 से 90 दिनों की अवधि में विवाह संपन्न कर सकते हैं। यह विवाह पंजीकृत होता है और स्वंय विवाह पंजीयक इस विवाह का पंजीयन प्रमाण पत्र प्रदान करता है। यदि इस पद्धति से विवाह हुआ हो तो वह बिना धर्मान्तरण के वैध होगा। लेकिन किसी भी धार्मिक रीति से हुआ विवाह तभी वैध हो सकता है जब कि स्त्री पुरुष दोनों एक ही धर्म के हों या धर्मान्तरण कर एक ही धर्म के हो गए हों।
ग्राम प्रधान द्वारा पट्टे दिए गए थे वो पट्टे पहले स्वामीप्रसाद के नाम थे स्वामीप्रसाद एस सी का है उसने किसी एस सी के आदमी को पट्टे की ज़मीन बिना परमिसन के बेच दी धारा १५७ए ए के अंतर्गत एस डी एम साहब ने आदेश ०८/०३/२००२ को राज्य सरकार को लगा डी इसी ज़मीन के दो पट्टे कर दिए गए १, आमीन और २, सकीना के नाम आदेश २४/०६ २००३ को ये पट्टे दर्ज हो गए उसके बाद जिसने स्वामी से ख़रीदा था ए डी एम साहब ने पट्टे १३/०७/२०१३ को निरस्त कर दिए पूरा रकवा दो बीगा पुख्ता है आमीन व सकीना को कैसे बचाया राय रे दे
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रेस्पेक्टेड सर
गुड इवनिंग मरे पिता जी के gujarne के बाद मेरे बारे भाई को अनुकम्पा नुकती हुए है बड़े भाई को शादी हुआ था लेकिन बड़े भाई के ससुर ने गुस्सा में आकर कहा की मरे बेटी को रखो गे की नहीं बड़े भाई ने गुस्सा में कहा की नहीं रखूँगा तो उसदिन से हमारा भाई का रिस्ता टूट गया जिसका कोई लिखित प्रूफ नहीं है बड़े भाई का देहांत हो गया है माता जी का भी देहांत हो गया है बिभाग कहता है की उससे लिखबा कर लॉए तो सारा भविसिया निधि का भुगतान होगा इस रिश्ते को टूटे हाय ३० बर्ष हो गया हम दो भाई है और दो बहन है इसका कोई निदान बताये हमे क्या करना होगा बड़े भाई ने एक लिखित रूप में दिए है की हमारा सारा सम्पति में दोनों भाई का हिस्सा मिले क्या हमे मिलेगा
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दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया …
गुरु जी पर ये बात तो उस बात से असंगत लग रही है जिसमे एक हिन्दू और मुस्लिम के जोड़े की शादी धर्माँतररण ना होने की वजह से मान्य नहीं मानी जाती ऐसी कई केसेस का फैसला माननीय सुप्रीम कोर्ट तक में हुआ है जबकि लड़का लड़की दोनों ही हिन्दू या मुस्लिम पद्धति से रहते थे.
यदि अलग अलग धर्मों के लोग धार्मिक पद्धति से विवाह नहीं कर सकते। दोनो में से कम से एक को धर्म परिवर्तन कर दूसरे का धर्म अंगीकार करना होगा। तो विवाह वैध होगा। किन्तु विशेष विवाह अधिनियम के अन्तर्गत होने वाले विवाह के लिए यह जरूरी नहीं है। इस अधिनियम में विवाह के लिए धर्म का कोई महत्व नहीं है।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया …
बहुत बहुत धन्यवाद गुरु जी
एक छोटी सी चीज़ जो आपके मार्गदर्शन को पढ़ के लगी की
१. क्या कोई खुद को स्वम को धर्मान्तरित कर सकता है या किसी विशेष धर्म गुरु की सहायता से ही होगी
किसी गुरू की कोई आवश्यकता नहीं, केवल स्वघोषणा पर्याप्त है।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया …
thanks for information and updation sir.
ramesh kumar
उपरोक्त को रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजकर इसका चार्ज भी भेजना होता है.. इसमें गजट नोटिफिकेशन में प्रिंट होने के कुछ चार्ज होते हैं जिसमे नोटिफिकेशन पब्लिश की हुई एक कॉपी का चार्ज सम्मिलत होता है.., उसके अलावा २ कॉपी अतिरिक्त के पैसे अलग से देना होते हैं.. केश या बैंक ड्राफ्ट से Controller of Publications, Civil Lines, and Delhi- 110054. के पते पर भेजना होते हैं , ये जानकारी एक बार तस्दीक करके ही भेजें..