नगर पालिका द्वारा सड़कें दुरुस्त न रखने के लिए जनहित वाद प्रस्तुत करें।
|समस्या-
विवेक मिश्रा ने सिवनी, मध्य प्रदेश से पूछा है-
मेरे निवास स्थान में पिछले कई वर्षों से सडकों की हालत बहुत ही ज्यादा बदतर है। यहाँ के अधिकारी और नेता सभी अपने इस सामाजिक कर्तव्य में लापरवाही बताने से नहीं चूकते। मेरा सवाल है कि कानून का कोई ऐसा उपाय बताऐं कि मैं अपने निवास स्थान के इन सोए हुए अधिकारी और नेताओ को जगा सकूं।
समाधान-
सड़कों को नागरिकों के लिए सुविधाजनक बनाए रखने का कार्य नगरीय क्षेत्र में नगर पालिका और नगर निगमों का है। यह नगर पालिका की जिम्मेदारी है कि वह सड़कों की मरम्मत नियमित रूप से कराए और उन्हें सुविधा जनक बनाए रखे। यदि आप के यहाँ की सड़कों पर गड्ढे पड़ गए हैं और दुर्घटनाएँ होने लगी हैं तो उन दुर्घटनाओँ के लिए नगर पालिका जिम्मेदार है। यदि नगरपालिका अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रही है तो यह जनहित के विरुद्ध है।
सिविल प्रोसीजर कोड की धारा 91 में यह उपबंध है कि कोई भी दो या अधिक नागरिक न्यायालय की अनुमति से कोई भी जनहित वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। इस के लिए आप को कम से कम एक व्यक्ति को और अपने साथ मिलाना होगा। फिर दोनों मिल कर नगर पालिका को एक विधिक नोटिस दे सकते हैं कि नगर में सड़कें मरम्मत के बिना खराब हो गई हैं जिस से दुर्घटनाएँ हो रही हैं, यातायात दुर्गम हो गया है और वाहन आदि खराब हो रहे हैं आदि आदि। यदि नगर निगम 60 दिनों में इन की मरम्मत नहीं करती है या नई सड़कें नहीं बनाती है तो आप कानूनी कार्यवाही करेंगे।
यदि 60 दिनों में नगर निगम सक्रिय नहीं होता है तो आप न्यायालय से इस तरह के निर्देश देने के लिए नगर निगम के विरुद्ध दीवानी वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। इस मामले में न्यायालय नगर निगम को निर्देश दे सकता है। ऐसा निर्देश जारी होने पर समय सीमा में उस की पालना नहीं होने पर आप नगर निगम के सक्षम अधिकारियों के विरुद्ध न्यायालय के आदेश की अवमानना के लिए कार्यवाही कर सकते हैं। इस मामले में आप को अपने नगर के वकीलों से बात करनी चाहिए। निश्चित रूप से उन में से कोई इस मामले का अध्ययन कर के आप के काम को करने को तैयार हो जाएगा।