नगर पालिका सार्वजनिक भूमि पर दिए गए लायसेंस को कभी भी समाप्त कर अस्थाई निर्माण हटा सकती है।
|नेमीचन्द ने हाथरस, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
कुछ दिनों पहले की बात है नगर में दुकानों का अतिक्रमण हटाने के लिए नगर पालिका ने कार्यवाही की, जिस में अतिक्रमण के साथ साथ बहुत सी दुकानें भी तोड़ दीं। मेरे पडोसी की एक दुकान है और उस ने अपनी दुकान के आगे जो नगर पालिका की 2 फुट नाली है पर एक सीढ़ी बना रखी थी। पर नगर पालिका ने सब तोड़ दिया। मेरे पड़ौसी का कहना है कि वह तो उस दो फुट जमीन का किराया नगर पालिका को देता है। कुछ लोगों का कहना है कि नगर पालिका ने पहले अनुमति दे रखी थी कि दुकान के बाहर दो फुट जमीन और नाली को ढकने के लिए अस्थायी निर्माण किया जा सकता है। इस कार्रवाई पर मेरे प्रश्न निम्न प्रकार हैं १. कि क्या नगर पालिका किसी से अपनी भूमि का किराया लेती है यदि हाँ तो मेरे पडोसी जो नियम अनुसार किराया देता है उस कि दुकान क्यों तोड़ दी गई? २. नगर पालिका किस कानून की किस धारा के तहत नगर का अतिक्रमण हटा सकती है। ३. पहले अस्थायी निर्माण (जैसे दुकान के आगे ब्रंच लगाना, काउन्टर लगाना) की अनुमति देना फिर हटाने का आदेश देना क्या ऐसा कोई प्रावधान है?
समाधान-
नगरपालिका पूरे नगर के क्षेत्र में स्थित सार्वजनिक स्थलों और भवन निर्माण को नियंत्रित करती है। यदि बाजार में दुकान है और ऐसी परिस्थिति है कि नाली के ऊपर बनी सीढ़ी से यातायात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है तो वह सीढ़ी बनाने की अनुमति दे देती है। यह अनुमति किराएदारी नहीं बल्कि लायसेंस / अनुज्ञप्ति होती है। जिसे जब चाहे तब अनुज्ञप्ति प्रदान करने वाला व्यक्ति समाप्त कर सकता है। हर नगर में अब मकान निर्माण के समय सड़क की ओर 10 फुट सैट बैक छोड़ने का नियम बना है। जरूरत पड़ने पर और सड़क चौड़ी करने के लिए नगर पालिका उस सैट बैक की भूमि को पुनः अधिग्रहीत कर सड़क में शामिल कर सकती है।
आप का पड़ौसी किराया नहीं बल्कि लायसेंस की शुल्क देता था। नगर पालिका ने ऐसे लायसेंस समाप्त कर दिए होंगे क्यों कि जैसे जैसे यातायात में वृद्धि हुई है वैसे वैसे सड़क को अधिक चौड़ा रखना आवश्यक हो गया है। नालियाँ अब सड़क लेवल पर ढक दी जाती हैं जिस से उस तीन फुट के स्थान को पार्किंग के लिए उपयोग में लिया जा सके।
आप समझ गए होंगे कि दुकान या मकान के आगे निर्माण की जो भी अनुमति होती है वह अस्थाई होती है और आवश्यकता होने पर उसे समाप्त कर अस्थाई निर्माण को हटाया जा सकता है। घरों के आगे फैंसिंग कर के पौधे लगाने, सड़क पर रैम्प बनाने, दुकान के आगे ब्रंच, सीढ़ी या काउंटर लगाने की अनुमतियाँ इसी तरह की अस्थाई अनुमतियाँ हैं जिन्हें समाप्त किया जा सकता है।
सर में रानी लक्ष्मी नगर,नरकटहा,बांसी,सिद्धार्थ नगर,उत्तर प्रदेश में रहता हु मेरे यहाँ नगर पालिका लगता है मेरी एक जमीन है जो बहुत पहले लगभग ३० साल पहले उस जमीन पे आम का बगीचा था ओ किसी और का था लेकिन उस बगीचे को मेरे पापा के पापा देखभाल करते थे. किसी तरह बगीचे का मालिक चला गया या उसकी मृत्यु हो गया उसका परिवार भी नही था उसी दौरान मेरे बाबा उसकी देखने लगे और उसपे झोपडी बना लिए कुछ दिन बिता तो पुरे गाव वाले उसपे आके अपना कब्ज़ा करने लगे..फिर कोर्ट में केस किया गया फिर उनका झोपडी तोड़ के मेरा बनाया गया ऐसे में कुछ और साल बिता पहले टाउन लगता था लेकिन बाद में ओ नगर पालिका हो गया …फिर एक चेयरमैन आया वह आपस में समझौता करना चाहता था और हो भी गया की आप आधा जमीन ले लो और में आधे में विवाहघर बनवा देता हु गाव के लिए किसी तरह मेरे पिताजी मान गए की भाई सबका इसमे भला होगा ऐसे में समझौता हो गया लेकिन यह किसी कागज के पन्ने पे नही हुआ बस ऐसे हो गया.और विवाहघर बनाना स्टार्ट हो गया और हम भी अपना छोटा छोटा पावा डाला दिए, फिर २-३ साल बिता ऐसे में हमारा केस कैंसिल हो गया जो अलाहाबाद में चल रहा था ……बीच में जब विवाहघर बन रहा था तभी पापा मेरे दीवाल खड़ा करने सुरु किये तभी गाव वालो ने मिलके एक कागज पे सबके हस्तऱक्षर करवा के रुकवा दिए की सभी को इस निर्माड में आपत्ति है,अभी भी वह विवाहघर बन रहा है ऐसे में वहा के डीएम आये थे जगह खाली कराने के लिए लेकिन हमारा बहुत पुराना कब्ज़ा होने के नाते ओ रुक गए ऐसे में हम उनको कब्ज़े की फोटो भी दिखाए तब जाके रुके ,,,,,जैसे पता चला पापा को की केस कैंसिल हो गया है वैसे ही तुरंत दीवानी कर दिए है तब जाके नगर पालिका शांत हुआ…अब फिरसे यह केस स्टार्ट हो गया है नगर पालिका और मेरे बीच में……ऐसे में हमें कई बार स्टे मिल चूका है उसपे ……….ऐसे में मेरे यह प्रसन है १) क्या हमारा कब्ज़ा ( दीवाल, पावा)नगर पालिका हटवा सकती है..२)क्या वह जमीन किसी व्यक्ति या हमें दिया जा सकता है अगर हा या नही तो किस आधार धारा पे…३) क्या विवाहघर बनाना सही है बिना कोर्ट के आर्डर से ..४) अगर विवाहघर बन जाता है तो वह बिना कोर्ट के आर्डर से ही वह चलेगा या अनुमति लेना होगा …५) केस अगर हमारे पक्ष में होता है तो विवाह घर हमारा हो सकता है या नही….