नरेगा के फंड पर प्रखंड कार्यालय में दो वर्ष काम करने वाले कंप्यूटर ऑपरेटर को बिना सूचना अकारण सेवा से हटाना अवैध है
|जयन्त कुमार सिन्हा ने पूछा है –
नरेगा के अन्तर्गत नियुक्त कम्प्यूटर ऑपरेटर ने लगातार 2 वर्षों (अगस्त 2006 से अगस्त 2008) तक प्रखण्ड कार्यालय में काम किया है तथा उसकी उपस्थिति अन्य सरकारी कर्मियों के साथ ही उपस्थिति पंजी में दर्ज हुई है क्या उसे बिना कोई कारण बताये व पूर्व सूचना दिये कार्य से विमुक्त किया जा सकता है?
उत्तर –
जयन्त जी,
कम्प्यूटर ऑपरेटर औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 2 (एस) में परिभाषित कार्मिक है। किसी दुराचरण के आरोप के कारण, सेवा निवृत्ति की आयु होने पर, लगातार बीमारी के कारण, सेवा संविदा (नियुक्ति पत्र) की किसी शर्त के कारण या स्वयं कार्मिक द्वारा सेवा त्याग को छोड़ कर नियोजक द्वारा किसी भी अन्य कारण से किसी भी कार्मिक को सेवा से हटाना औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 2 (ओओ) के अनुसार उस कार्मिक की छंटनी होती है।
औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25-एफ के अनुसार किसी भी ऐसे कार्मिक को जिस ने एक वर्ष की लगातार सेवा पूर्ण कर ली है, अथवा जिस तिथि को उस की छंटनी की जाती है उस तिथि से पूर्व के एक वर्ष में उस ने 240 दिन काम कर लिया है, और उसे छंटनी किया जाता है तो छंटनी किए जाने के लिए उस का कारण बताना आवश्यक है। छंटनी के लिए कार्मिक को नियोजक द्वारा पूर्व नोटिस दिया जाना आवश्यक है, जो कार्मिक को छंटनी किए जाने की तारीख के एक माह पूर्व मिल जाना चाहिए। यदि ऐसा कोई नोटिस नहीं दिया गया हो तो छंटनी के समय कार्मिक को एक माह का वेतन वास्तविक रुप में दिया जाना चाहिए। साथ ही कार्मिक ने जितनी अवधि तक सेवा की है, प्रत्येक वर्ष पर 15 दिन के वेतन के बराबर छंटनी का मुआवजा भी दिया जाना आवश्यक है। औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25-जी के अनुसार छंटनी केवल कनिष्ठतम कार्मिकों की ही की जा सकती है।
यदि उक्त प्रक्रिया अपनाए बिना किसी भी कार्मिक को सेवा से पृथक किया जाता है तो वह अवैधानिक होगी। ऐसी सेवा समाप्ति को कार्मिक स्वयं श्रम विभाग के समझौता (संराधन) अधिकारी के समक्ष शिकायत प्रस्तुत कर चुनौती दे सकता है।
आप के मामले में आप की उपस्थिति सब कार्मिकों के साथ उपस्थिति पंजी में दर्ज की गई है इस कारण से चाहे आप को नरेगा या किसी और फंड से वेतन चुकाया गया हो आप उस कार्यालय के कार्मिक हैं जहाँ आप ने काम किया है। आप को बिना कोई कारण बताए और औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25-एफ व धारा 25-जी में वर्णित प्रक्रिया जो संक्षेप में ऊपर वर्णित की गई है की पालना किए बिना सेवा से नहीं हटाया जा सकता है। यदि हटा दिया गया है तो वह उचित और वैध नहीं है। ऐसी सेवा समाप्ति पर समझौता अधिकारी के यहाँ शिकायत प्रस्तुत कर औद्योगिक विवाद उठाया जा सकता है।
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11 Comments
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चलिये इस से कई लोगों का भला हो जायेगा । –शरद कोकास
उपयोगी जानकारी
धन्यवाद
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जानकारी के लिए आभार।
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बहुत अच्छी जानकारी के लिये फ़िर से ध्न्यवाद
जानकर अभिभूत हुआ ।आभार।
छोटी छोटी कंपनियों मे, जहा पर उपस्थिति का कोई रिकार्ड नही रखा जाता है वहा कर्म चारी को अपनी उपस्थिति सिद्ध करना बहुत ही कठिन कार्य है । क्यो क्यों कि नियोक्ता तो अपना रिकार्ड रखता है लेकिन वह गुप्त रखता है और पगार देते समय कर्मचारी से केवल पेपर पर साइन करवा लेता है । कर्मचारी के पास अपनी नोकरी का कोई सबूत नही रहता है । एसा भी देखने मे आया है ।
इससे काफी लोगों का भला हो सकता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
बहुत उपयोगी जानकारी मिली, धन्यवाद.
रामराम.
आभार जानकारी का.