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निलम्बन के आदेश के विरुद्ध विभागीय अपील कर उसे निरस्त कराने का प्रयत्न करें।

rp_gavel9.jpgसमस्या-

रानी कैन ने  नई दिल्ली से समस्या भेजी है कि-

मेरी मित्र अधिकारी अनुसूचित जाति से है उस की अगली प्रमोशन डीएस की है। 2013 में एक संविदा कर्मचारी के साथ मिलकर मार-पीट में 5 दिन बाद एफआरआई करवा दी। कार्यालय ने मामूली झड़प बताते हुए अनुभाग अधिकारी को क्‍लीन चिट दे दी। संविदा कर्मचारी को निकाल दिया। उस कर्मचारी ने कोर्ट में मारपीट का मुकदमा दायर कर दिया। अभी कोई तारीख नहीं हुई है। अचानक सचिव ने उसको निलम्‍बित कर दिया कि आपने अपने केस के बारे में बताया नही। धारायें 506,341,323 लगाई हैं।

समाधान

धारा 506,323 तथा 341 भा.दं.सं. में से केवल धारा 341 ऐसी है जो कि संज्ञेय है, शेष असंज्ञेय हैं। इस मामले में कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है और सीधे न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया गया है। उस परिवाद में पहले प्रसंज्ञान होगा तब सम्मन जारी होंगे। सम्मन मिलने पर ही अभियुक्त को ज्ञान होगा कि उस के विरुद्ध कोई मुकदमा चल रहा है।

म्मन मिलने के उपरान्त भी अभियुक्त चाहे तो न्यायालय द्वारा प्रसंज्ञान लिए जाने के आदेश के विरुद्ध रिविजन याचिका प्रस्तुत कर सकता है और विचारण को स्थगित किए जाने का आदेश प्राप्त कर सकता है।

चूंकि अभी आप की मित्र को अभी सम्मन प्राप्त नहीं हुआ है इस कारण यह स्पष्ट है कि उन्हें इस अभियोजन की सूचना नहीं है। यदि सूचना नहीं है तो विभाग को सूचित करने का कोई प्रश्न ही नहीं है। इस तरह आप की मित्र को चाहिए कि वह निलम्बन के विरुद्ध विभागीय अपील दाखिल करे और उसे निरस्त कराने का प्रयत्न करे।

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