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न्यायाधीश और वकील काला कोट क्यों पहनते हैं?

भारत में कहीं भी आप किसी अदालत में जाएंगे। आप को काले कोटों की बहुतायत दिखाई देगी। चाहे भीषण गर्मी क्यों न पड़ रही हो। चेहरे से पसीने की बूंदें झर-झर झर रही हों। कोट के नीचे कमीज बनियान तर हो चुके हों लेकिन वकील कोट में ही दिखाई देंगे। यही नहीं, अंदर कमीज का भी गले का बटन बंद होगा और ऊपर से बैंड्स या टाई और बंदी दिखाई देगी। कहीं ऐसा न हो कि गले के रास्ते कहीं से हवा घुस जाए। आप यदि सर्वोच्च न्यायालय या किसी हाईकोर्ट में पहुँच जाएंगे तो वहाँ कोट के ऊपर एक गाउन और डाला हुआ मिलेगा।  वकील नहीं सारे न्यायाधीश भी यही वर्दी पहने नजर आएंगे। आप के मन में यह प्रश्न भी उठेगा कि क्या वकीलों और न्यायाधीशों को गर्मी नहीं लगती?  मुझ से तो कई लोग पूछ भी लेते हैं कि क्या आप को गर्मी नहीं लगती? मैं सहज रूप से उन्हें कह भी देता हूँ कि नहीं लगती। सिर्फ सुबह जब पहनते हैं तब लगती है, फिर कुछ देर में अंदर की बनियान, कमीज सब पसीने से भीग जाते हैं, तब जरा भी हवा अंदर प्रवेश करती है तो सब ठण्डे भी हो जाते हैं। 

लेकिन मेरा यह उत्तर सहज मिथ्या से अधिक कुछ नहीं। मुझे गर्मी लगती है, कई बार तो लगातार पसीने के कारण त्वचा पर खुजली होने लगती है। जब एक से दूसरी अदालत जाने के लिए धूप में हो कर गुजरना होता है तो काला रंग उष्मा का अच्छा ग्राहक होने के कारण कोट से तेजी से गर्मी अंदर प्रवेश करती है और पसीना गर्म हो उठता है। तब ऐसा लगता है जैसे खोलते हुए पानी में घुस गए हों। तब तुरंत ही पंखे के नीचे शरण लेनी होती है। पाँच मिनट हवा लगने के बाद ही कुछ राहत मिलती है।  एक दो बरसात हो जाएँ तो हालत और बुरी होती है। तब बाहर भी ऊमस होती है और पसीना सूखना बंद हो जाता है। लगता है जैसे दिन भर खौलते पानी में बैठे रहे। उसी में दिन भर काम भी करना होता है। बरसात होते ही बिजली आने-जाने लगती है और पंखे का सहारा भी छिन जाता है। कभी कभी तो यह सोचने लगता हूँ कि मैं ने क्या सोच कर वकालत के प्रोफेशन का चुनाव  किया था।

र्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय में यह परेशानी कम है। वहाँ सभी न्यायालय वातानुकूलित हैं। न्यायाधीशों को वहाँ कोट पहनने में कोई परेशानी नहीं होती। जितनी देर वकील अंदर न्यायालय कक्ष में रहते हैं उन्हें भी परेशानी नहीं होती। परेशानी होती है तो जिला न्यायालय और उस से नीचे के न्यायालयों के वकीलों को। अब आप को समझ आ रहा होगा कि भारत में दीवानी न्यायालय गर्मी के मौसम में क्यों  बंद कर दिए जाते हैं और क्यों राजस्थान जैसे सब से गर्म प्रदेश में ढाई माह के लिए न्यायालयों का समय सुबह सात से साढ़े बारह का क्यों कर दिया जाता है? लेकिन वकीलों को इस से भी राहत नहीं मिलती उन के काम केवल दीवानी अदालतों में ही नहीं होते उन्हें फौजदारी, राजस्व और दूसरी अदालतों में भी जाना होता है। इन में से राजस्थान में राजस्व न्यायालय और अनेक न्यायाधिकरण 10 से 5 बजे तक काम करते हैं। परिणामतः वकीलों को लगभग दिन भर अदालतों में रहना होता है।

प सोच रहे

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