न्यायालय किसी भी व्यक्ति को अभियोजन लगातार रखने की अनुमति दे सकता है।
|समस्या-
मनोज सोनकर ने चेतगंज, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश से पूछा है-
फौजदारी मुकदमे में शिकायतकर्ता की मृत्यु हो गई है। मुक़दमा गवाह के लिए नीयत है। क्या मुक़दमा वादी/शिकायतकर्ता की मृत्यु के बाद मुकदमा को मृतक के परिवार द्वारा चलाया सकता है। यदि कोई विधि व्यवस्था हो तो कृपया बताने कष्ट करें।
समाधान-
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 302 निम्न प्रकार है-
302. अभियोजन का संचालन करने की अनुज्ञा—(1) किसी मामले की जांच या विचारण करने वाला कोई मजिस्ट्रेट निरीक्षक की पंक्ति से नीचे के पुलिस अधिकारी से भिन्न किसी भी व्यक्ति द्वारा अभियोजन के संचालित किए जाने की अनुज्ञा दे सकता है ; किन्तु महाधिवक्ता या सरकारी अधिवक्ता या लोक अिभयोजक या सहायक लोक अिभयोजक से भिन्न कोई व्यक्ति ऐसी अनुज्ञा के बिना ऐसा करने का हकदार न होगा :
परन्तु यदि पुलिस के किसी अधिकारी ने उस अपराध के अन्वेषण में, जिसके बारे में अभियुक्त का अभियोजन किया जा रहा है, भाग लिया है तो अभियोजन का संचालन करने की उसे अनुज्ञा न दी जाएगी ।(2) अभियोजन का संचालन करने वाला कोई व्यक्ति स्वयं या प्लीडर द्वारा ऐसा कर सकता है।
उच्चतम न्यायालय ने चांद देवी बनाम मंजू के. हुमतानी के प्रकरण में निर्णय दिया है कि मजिस्ट्रेट उक्त इस धारा के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को जो मृत शिकायतकर्ता का विधिक प्रतिनिधि भी हो सकता है, अभिजोजन को लगातार चलाते रहने के लिए अनुमति प्रदान कर सकता है। आप भी इस उपबंध के अंतर्गत अपना आवेदन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं।
बदलते माहौल में कई बार छोटी-छोटी बातें भी बड़ी प्रेरक सी बन जाती हैं। मेरा ब्लॉग कुछ यादों को सहेजने का ही जतन है। अन्य चीजों को भी साझा करता हूं। समय मिलने पर नजर डालिएगा
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