न्यायालय में लंबित किसी प्रकरण को दूसरे न्यायालय में कैसे स्थानान्तरित कराया जाए?
|समस्या-
सुधा ने इन्दौर, मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरे पति द्वारा मुझ पर तलाक प्रकरण किया गया है मैं अपने गम्भीर रूप से बीमार एवं वृद्ध माता के घर पर हूँ। दो अलग-अलग न्यायालयों द्वारा स्वीकृत भरण पोषण एवं अंतरिम भरण पोषण की राशि मेरे पति द्वारा हीला हवाली करने और न्यायालय के दखल के पश्चात मुझे प्रदान की जाती है। उक्त भरण पोषण राशियों की स्वीकृति के सम्बन्ध में मेरे पति द्वारा एक प्रकरण के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय मैं चुनौती प्रस्तुत की थी, जिस में उच्च न्यायालय के आदेश द्वारा उक्त भरण पोषण राशियों को उचित एवं सही माना है। उक्त तलाक प्रकरण को मैं अपने घर से 300 कि.मी.दूर परिवार न्यायालय से स्थानीय ए डी.जे न्यायालय में स्थानांतरित करवाना चाहती हूँ, इसके लिये मुझे क्या करना होगा ?
समाधान-
आप का विवाह विच्छेद का प्रकरण पति द्वारा हिन्दू विवाह अधिनियम के अन्तर्गत प्रस्तुत किया गया है। इस अधिनियम की धारा 21-ए में इस अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत प्रकरणों के स्थानान्तरण के उपबंध हैं। इस के अतिरिक्त इस अधिनियम के प्रकरणों पर दीवानी प्रक्रिया संहिता प्रभावी है। धारा 21-ए में उपबंधित है कि यदि धारा 10 और 13 के प्रकरण अलग अलग स्थानों पर प्रस्तुत किए गए हों तो बाद वाले मुकदमे को पहले वाले मुकदमे के स्थान पर स्थानान्तरित किया जा सकता है। इस के लिए स्थानान्तरण चाहने वाले व्यक्ति को उच्च न्यायालय में आवेदन करना होगा। धारा 24 दीवानी प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय किसी भी प्रकरण को किसी पक्षकार की सुविधा के लिए अपने अधीन किसी भी न्यायालय को स्थानान्तरित कर सकता है।
आप को चाहिए कि आप उक्त प्रकरण के स्थानान्तरण के लिए अपने उच्च न्यायालय को आवेदन प्रस्तुत करें। जिस में वे कारण अंकित किए जाएँ जिनके आधार पर आप अपना प्रकरण किसी खास न्यायालय में स्थानान्तरित करना चाहती हैं। उच्च न्यायालय विपक्षी पक्षकार को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के उपरान्त स्थानान्तरण के सम्बंध में उचित आदेश पारित कर सकता है।