पगड़ी, पट्टा और किराएदारी
| अश्विनी पूछते हैं – – –
नगर पालिका कोई दुकान किराए पर देती है तो किराएदार से कुछ राशि वापस न होने योग्य (जिस को हरियाणा में पगड़ी कहते हैं) लेती है। क्या ये दुकान हमेशा के लिए किराएदार के पास रहती है या उस को खाली करवाया जाता है तो वो (पगड़ी) की राशि उस किराएदार को वापिस मिलती है या नहीं? कृपया बताएँ! वैसे हमारे हरियाणा में किसी भी ऐसी दुकान को खाली नहीं करवाया गया है।
उत्तर – – –
अश्विनी जी,
जब भी कोई परिसर किराए पर दिया और लिया जाता है तो उस का किरायानामा लिखा जाता है, या नहीं भी लिखा जाता है। जब किरायानामा नहीं लिखा जाता है, तब किराएदारी मौखिक होती है। लेकिन जहाँ किराए पर देने वाले परिसर का स्वामी एक विधिक व्यक्ति (संस्था) होता है तो ऐसा किरायानामा अवश्य लिखा जाता है। नगरपालिका तो संवैधानिक संस्था है। यदि वह किसी परिसर को किराए पर देती है तो किरायानामा अवश्य लिखा जाता है। ऐसा किराएनामे में किराएदारी की शर्तें अंकित होती हैं। यदि आप के पास दुकान का किरायानामा है तो उसे ध्यान से पढ़ें। आप के प्रश्न का उत्तर उसी में मिल जाएगा।
वैसे नगर पालिकाएँ आज कल किसी भी भूमि या परिसर को किराए पर देने के स्थान पर पट्टे (Lease) पर देती हैं। यह पट्टा किसी निश्चित अवधि के लिए होता है। यहाँ तक कि जो भूखण्ड मकान बनाने के लिए विक्रय किए जाते हैं वे भी पट्टे पर होते हैं। इन मामलों में पट्टे आम तौर पर 99 वर्ष के लिए होते हैं तथा ऐसे भूखंड या परिसर का एक मुश्त प्रीमियम लिया जाता है, यह वापस नहीं होता। इस प्रीमियम के अलावा प्रतिवर्ष नगरीय कर या भाटक भी लिया जाता है। अब आप जिसे पगड़ी कह रहे हैं वह उस का प्रीमियम है और वार्षिक नगरीय कर या भाटक उस का किराया है।
अब यहाँ पट्टेदार उसे पट्टे पर दिए गए परिसर या भूखंड का पट्टा किसी दूसरे व्यक्ति को प्रीमियम प्राप्त कर के हस्तांतरित कर सकता है, लेकिन इस हस्तांतरण के लिए भू-स्वामी अर्थात नगर पालिका या नगर विकास न्यास की अनुमति की आवश्यकता होती है। पगड़ी शब्द का उपयोग आम तौर पर नगरों में मकान या दुकान किराए पर लेने के लिए मकान या दुकान के मालिक को सिक्योरिटी के बतौर दी जाने वाली राशि को कहते हैं। यह गैर कानूनी है इस का कोई उल्लेख किसी दस्तावेज में नहीं किया जाता है। यदि किरायेदार से दुकान/मकान मकान मालिक द्वारा खाली करायी जाती है तो उसे मकान मालिक से पगड़ी की राशि बाजार दर से वापस मिल जाती है। यदि वह किसी दूसरे किराएदार को हस्तांतरित करता है तो उसे फिर से पगड़ी मिल जाती है।
अब आप को खुद अपने किराएनामे को पढ़ कर तय करना होगा कि आप ने नगरपालिका को पगड़ी दी थी या फिर प्रीमियम दिया था। पर यह निश्चित है कि यह राशि आप को वापस नहीं मिलेगी।
More from my site
4 Comments
Sir hamneदुकाने नगरपालिका से99sal लीज पते पर li हुई है ! दुकान बने हुए ४० साल हो gae है ab Nagar पालिका हमारी दुकानों को Khali Karba Kar nayi banana chahti hai .kya kanoonan Bo h Dukane banane ke bad hame hi milengi .Kirpya
Sir hamneदुकाने नगरपालिका से99sal लीज पते पर li हुई है ! दुकान बने हुए ४० साल हो gae है ab Nagar पालिका हमारी दुकानों को Khali Karba Kar nayi banana chahti hai .kya kanoonan Bo h Dukane banane ke bad hame hi milengi .Kirpya
रेस्पेक्टेड सर,थे लैंड इस अवेलेबल फॉर लीज फॉर रेंट.साइट एड्रेस -हाईवे फिलिंग स्टेशन विलेज चौहान नियर टंगरा नह-१,डिस्ट्रिक्ट अमृतसर स्टेट पंजाब कंट्री इंडिया एंड आल्सो नेक्स्ट साइट एड्ड्रेसस-अ२ब फ्यूल पॉइंट विलेज जॉनके नियर हरिके पत्तन नह-५४,डिस्ट्रिक्ट टार्न तरन स्टेट पंजाब कंट्री इंडिया. आ लोट ऑफ़ ट्रैफिक एंड कस्टमर न बोथ थे हाइवेज .कांटेक्ट पर्सन अमित धवन -९८७२९९७६६६ मोबाइल नंबर.ईमेल ईद -अमित्धवन४५@याहू.कॉम.
जानकारी बहुत बढ़िया दी है आपने | गुजरात में भी यही रिवाज है १० महीने का किराया ही वंहा पगड़ी के रूप में लिया जाता है |जिसे वापस कर दिया जाता है |