पत्नी का विश्वास अर्जित कर विवाह को बचाने का यत्न करें
|रविन्द्र जी,
आप के द्वारा जो पत्रादि मुझे भेजे गए हैं, उन से पता लगता है कि आप की पत्नी ने आप पर मारपीट करने, मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और बाथरूम में बन्द करने के आरोप लगाए हैं तथा आप के व आप के परिवार के साथ न रहने की बात कह कर वह भाई के साथ चली गई है। काउंसलिंग अभी जारी है। आप ने अपने ऊपर लागए गए इन आरोपों से इन्कार कर दिया है। यदि आप पर आप की पत्नी द्वारा लगाए गए आरोप गलत और मिथ्या हैं तो आप को धारा 498ए अथवा किसी भी अन्य कार्यवाही से डरने की आवश्यकता नहीं है। पति-पत्नी के बीच के अधिकांश विवाद इसी लिए गंभीर हो जाते हैं कि पति और उस के परिजन अनावश्यक रूप से अपराधिक मुकदमे के भय से त्रस्त हो कर कदम उठाते हैं। इस लिए मेरी सलाह है कि किसी भी परिस्थिति में इस तरह का भय अपने मन से निकाल कर भय मुक्त हो कर कोई भी कार्यवाही करनी चाहिए।
कुछ भी कारण रहे हों। लेकिन आप के इस विवाद में एक कारण यह अवश्य है कि आप की पत्नी के मन में आप के और आप के परिवार के प्रति अभी तक अविश्वास है। एक पति विवाह के उपरान्त अपने ही परिवार के बीच रहता है जब कि पत्नी को अपना परिवार छो़ड़ कर एक अनजान परिवार में जाना होता है। उस के मन में इन नई परिस्थितियों के लिए अनेक भय रहते हैं। ये सारे भय केवल पति और उस के परिजनों के स्नेहिल व्यवहार पत्नी की गलतियों को अनदेखा कर के ही उस के मन से निकाले जा सकते हैं। पत्नी को ऐसा विश्वास पूर्ण वातावरण मिले कि वह अपने मायके के परिवार को विस्मृत करे और अपने पति के परिवार को ही अपना परिवार समझने लगे तो ही एक सफल गृहस्थ जीवन निर्मित किया जा सकता है। मुझे खे
द के साथ कहना पड़ रहा है कि आप लोग इस विश्वासपूर्ण वातावरण का निर्माण नहीं कर सके। यही इस विवाद की जड़ है। एक बार जब पति-पत्नी के बीच विवाद उठ खड़ा हो और न्यायालय तक चला जाए तो इस तरह का विश्वासपूर्ण वातावरण का निर्माण कर सकना दुष्कर हो जाता है। आप के प्रश्न से ही पता लगता है कि न केवल आप अपनी पत्नी का विश्वास जीत सके अपितु विवाद के बाद उस पर अविश्वास और करने लगे हैं।
फिर भी अभी आप के सामने अवसर है कि आप काउंसलिंग की बैठकों के दौरान काउंसलर से अपनी पत्नी के साथ बातचीत करने का एकांत अवसर प्राप्त कर सकते हैं और इस बीच बातचीत कर के उस में विश्वास उत्पन्न कर सकते हैं। यदि ऐसा संभव हो सकता है तो काऊंसलिंग सफल हो सकती है और आप का घर पुनः बस सकता है। लेकिन यदि एक दो बैठकों के बाद आप को लगे कि आप अपनी पत्नी का विश्वास नहीं जीत सकते तो आप को प्रयत्न करना चाहिए कि आप दोनों का आपसी सहमति से विवाह विच्छेद हो जाए। जिस से आप दोनों अलग हो कर अपना अपना जीवन फिर से नए सिरे से आरंभ कर सकें। काउंसलिंग के दौरान विवाह विच्छेद की सहमति के उपरान्त आप न्यायालय के समक्ष हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13-ब के अंतर्गत विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं और विवाह विच्छेद प्राप्त कर सकते हैं।
बहुत दिन से मेरे पास के लडकी आ रही है। उसकी कहानी आपसे शेअर करना चाहती हूँ लेकिन कहानी इतनी उलझी हुयी है कि टाइप करने के लिये हिम्मत नही जुता प्क़ा रही। देखती हूँ। अच्छी सलाह दी है।