पत्नी के प्रस्ताव के अनुसार स्त्री-धन लौटा कर सहमति से तलाक के लिए आवेदन करें, लेकिन पहले दाम्पत्य की पुनर्स्थापना के लिए आवेदन अवश्य प्रस्तुत कर दें
समस्या-
मेरी शादी जून 2009 में हुई। शादी के बाद से ही पत्नी के मायके वालों के हस्तक्षेप के चलते हमारे वैवाहिक जीवन में कड़वाहट आने लगी। मेरी पत्नी अपने मायके वालों के अनुसार ही चलती है और मेरे घर वालो को पसंद नहीं करती है। मेरे घर वालों द्वारा कही गई छोटी से छोटी बात जो उसके हित के लिए कही जाती उस को भी वह बढ़ा चढ़ाकर अपनी मम्मी से कह देती। फलस्वरूप हमारे दोनों परिवारों में टकराव कि स्थति आ गई। पत्नी भी आये दिन झगड़ा करती है जिस वजह से कलह रहने लगी। शादी के बाद पत्नी मुझे शहर से बाहर जैसे दिल्ली जाकर वहा जॉब तलाशने के लिए दबाव बनाने लगी। मैंने उसकी बात मान कर घर छोड़ दिया और नॉएडा में जॉब करने लगा। पत्नी भी साथ रहने लगी। एक वर्ष तक नौकरी करता रहा। लेकिन माँ कि बीमारी के चलते मुझे फिर से वापस आना पड़ा और हमेशा के लिए घर में रहने का निश्चय किया। लेकिन पत्नी को यह बिलकुल मंजूर नहीं हुआ और झगड़कर अपने मायके चली गयी। आज उसे मायके गए 4 महीने हो गए हैं। तब से उसने न ही मेरी कोई खबर ली और न मेरे घर वालों की। मेरी उससे कोई बात नहीं हुई तो मैं उससे मिलने ससुराल गया लेकिन वो मेरे पास नहीं आई और मिलने से इंकार कर दिया। फिर दो दिन बाद मैं पिताजी और ताउजी के साथ गया। उसे लेने के वास्ते तो उसने और उसके घर वालो ने भेजने से मना कर दिया और गलत आरोप लगाकर दहेज़ का मुकदमा लगाने कि धमकी देने लगे। तलाक के लिए भी कहा रहे हैं। हम लोग घर वापस आ गए लेकिन मेरी माँ और दीदी ने फ़ोन कर बात की तो उनका वही जवाब है कि मुझे मेरा सामान वापस कर दो और अब फैसला होगा। घर आने के लिए बिलकुल भी राजी नहीं है। मुकदमा कर के मेरे घर वालों को जेल भेजने कि धमकी दे रहे हैं। मैं आपको बता दूँ कि शादी से लेकर अभी तक मेरी तरफ से या मेरे घर वालों की तरफ से दहेज़ के नाम पर एक रुपये की भी मांग नहीं कि गयी है। आपसी कलह और झगड़े के चलते मैंने अपनी पत्नी को एक बार डाँटा जरूर था, वो भी तब जब उसने जिद में आकर अपने शरीर को नुक्सान पहुँचाने कि कोशिश की, जैसे दरवाजा बंद करके फांसी लगाने कि कोशिश, ब्लेड से हाथ कि नस काटने कि कोशिश या फिर मेरे सामने अपना सर दीवार पर पटकने के कारण। मेरे घर वाले और मैं अपनी पत्नी को बहुत चाहते थे। लेकिन मेरी पत्नी ने उस चाहत को नहीं समझा। वह सिर्फ अपने मायके वालों से मतलब रखती रही। मैंने बहुत कोशिश की कि उसे मना लूँ, लेकिन वो नहीं मान रही है। कृपया मार्गदर्शन करें कि कैसे मैं उस के द्वारा लगाये गए मुक़दमे से अपना और अपने परिवार वालों का बचाव कर सकता हूँ? जिस से हमें परेशानी और बदनामी का सामना न करना पड़े।
-विमल, कानपुर, उत्तरप्रदेश
समाधान-
आप की परिस्थितियाँ स्पष्ट और विकट हैं। आप की पत्नी आप के साथ नहीं रहना चाहती और आप से वैवाहिक सम्बन्धों का विच्छेद अर्थात तलाक चाहती है। उस के मायके वाले उस के साथ हैं। हो सकता है अपने मायके वालों को उस ने मनगढ़न्त कहानियाँ सुना रखी हों। आप के कथनों से लग भी रहा है कि उस ने पहले फाँसी लगाने, दीवार से सिर फोड़ने और हाथ की नस काटने की कोशिश की है। ऐसी परिस्थिति में वह 498-ए भा.दं.संहिता के अन्तर्गत क्रूरता का व्यवहार करने का आरोप लगा सकती है। उसे विवाह के समय मिला स्त्री-धन भी कुछ तो आप के पास होगा ही। इस तरह वह आप के विरुद्ध धारा 406 भा.दं.संहिता का आरोप भी आप पर लगा सकती है। इन दोनों आरोपों में आप की और आप के परिवार वालों की गिरफ्तारी भी हो सकती है। बाद में भले ही जमानत पर आप लोग छूट जाएँ। आप गिरफ्तारी पूर्व जमानत के प्रावधान का उपयोग भी नहीं कर सकते क्यों कि यह प्रावधान उत्तर प्रदेश में प्रभावी नहीं है।
ऐसी स्थिति में आप के पास केवल यही मार्ग शेष रह जाता है कि आप उस की और उस के परिवार वालों की बात मान लें। उस का जो भी स्त्री-धन है उसे लौटा दें तथा सहमति से विवाह विच्छेद का आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत कर दें। इस के लिए आप दोनों परिवार बैठ कर निर्णय कर सकते हैं कि क्या किया जाए और कैसे किया जाए? प्रारंभ में इस संबंध में एक समझौते पर आप दोनों पहुँच जाएँ और उस समझौते को स्टाम्प पेपर पर लिख कर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर करवा कर उसे नोटेरी पब्लिक के यहाँ तस्दीक करवा लिया जाए।
समझौते के लिए बातचीत करने के पहले एक काम अवश्य करें कि आप अपनी ओर से पारिवारिक न्यायालय के समक्ष एक आवेदन धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत वैवाहिक संबंधों की पुनर्स्थापना के लिए अवश्य प्रस्तुत कर दें। जिस से विकट परिस्थिति उत्पन्न होने पर आप यह कह सकें कि आप के मन में आज भी दुर्भावना नहीं है और आप पत्नी के साथ दाम्पत्य निर्वाह करने को तैयार हैं।
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- स्त्री से उसका स्त्री-धन वापस प्राप्त करने का विचार त्याग दें।
- धारा-9 का आवेदन वापस लेकर विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत करें।
- तलाक के मुकदमे में ही स्त्री-धन वापस दिलाए जाने की राहत भी मांगें।
- तलाक का आधार हो तो दूसरे पक्ष की सहमति की जरूरत नहीं।
- विवाह के पूर्व जीवन के सभी पहलुओं पर विचार करना चाहिए।
- यदि वैवाहिक संबंधों की पुनर्स्थापना संभव न रह गई हो तो सहमति से विवाह विच्छेद श्रेयस्कर है।
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Sir mera naam rahul dixit hai mai Shahjahanpur u.p ka rahne wala hu. Meri shadi may 2010 me jabran ek aisi ladki se kar di gayi jiski umra mujhse 10 saal jyada thi. Maine ladki k bhaiyon ko aur bhabhi ko phone karke mana kiya mai bht roya bhi k mujhe shadi nhi karni aap kahi bhi karde abhi kuch nhi hua hai. Un logo ne mere gharwalo ko dhamki di k agar shadi nhi ki to achchaa nhi hoga. Meri umra us time 18 saal me 2 month kam thi. Mere baba herat patient hain sabne mujhe itna dara diya k agar shadi nhi ki to tumhare papa akele hain wo log kuch bhi kardenge baba ko kuch bhi ho sakta hai. Maine darke shadi karli jab meri patni mere ghar aayi to maine unse bhi kaha k maine itna mana kiya tha kya tumhe is baat ka pata nhi chala tum khud mana kardeti to wo log maan jaate. To wo kuch nhi boli maine kaha ab jo bhi hua so hua mere dil me tumhare liye koi jagah nhi hai lekin mai tumse nafrat bhi nhi karta hu. Tumhare gharwalon ne jo bhi kiya uski saja tumhe kyon du. Thodi koshish tum karna thodi si mai karunga sb sahi hojayega. Uske baad wo apne ghar chali gayi shadi me mere gharwalon ne meri patni k liye gahne banwaye the jinki keemat us samay 2 lac k aaspas thi ab jyada hogi. Wo gahne aaj tak wo gharpe leke nhi aayi. Mai bahar rahta tha ek choti si naukri karta tha mai jab bhi unke phone pe phone karta tha wo humesha busy jata tha. Jab mai puchta tha to kahti thi apne mayke me baat kar rhi thi. Jab wo latreen me hoti thi tab bhi busy jata tha. Har time kisi se naat karti thi. Fir unke gaun ka ek ladka humare ghar aane laga wo unka rishtedar hi hai wo meri patni ko apni bahan kahta tha. Humare gaun k beech ki doori maatra 3 km hai. Wo ladka roj aajata tha kisi bahane se mere gharwalo se ghul mil gya. Ek din wo mujhe pas k ek kasbe me mil gya wo phone pe kisi ko gaaliyan de rha tha. Aur sharab k nashe me bhi tha. Wo kah rha tha tu marja mujhe tujhse koi mtlb nhi. Aur phone kaat rha tha udhar se baar baar phone aarha tha wo gaaliyan de rha tha har tarah ki maine usse kaha k laao mai samjhadeta hu to mujhe phone nhi diya. Fir maine usse ekdm se phone leliya aur no. Dekha to wo meri patni ka tha. Maine usse kuch nhi kaha aur gharpe doosre no. Pe phone kiya to pta chala k meri patni room andar se band karke ro rhi hai. Mai sb samajh gya maine undono k gharwalo ko bulana chaha lekin meri maa ne kasam de aur ro k mujhe rok diya. Kuch din baad wo apne ghar chali gyi aaj use ghar se gaye 2.5 saal hogaye hain.haan ek aham baat batana bhul hi gya is beechme uske ek bachchaa bhi hua mai chaunk gya kyonki usne mujhse kabhi koi sambandh banaye hi nhi the. Mai uske ghar gya aur usse pucha to wo ladne lagi mai chala aaya aur apne gharme sabse kaha lekin badnami k dar se aur mere papa akele hain shayad is dar se bhi unhone mujhe kuch nhi karne diya. Ek saal pahle ladke ka mundan tha humne bht kaha tab wo aayi maine unse baat ki k humare sath raho aur humare gahne yaha rakkho. To ladne lagi kaafi bahas hui maine bht samjhaya k tumhare bhai jindagi nahi kaatenge hume hi rahna hai lekin wo nhi maani usne apne bhaiyon ko phone kardiya aur unlogo ne kaha k gahne tumhe nahi denge tumhare uper lagake khatm kardenge tumhe. Aur wo chale gaye uske baad meri patni bhi bina kisi se puche apne bhateeje ko bulake chali gyi ab use 1 saal se jyada hochuka hai. Sir shadi ko 6 saal hochukr hain itne saalon me wo humare ghar 1 saal hi rahi hogi wo bhi tab jabtak wo ladka aata rha uaki asliyat jaanne k baad humne use nhi aane diya tabbse meri patni bhi nhi aarhi. Sir mai bht pareshan hu mai har time tantion me rahta hu. Mere saare sapne toot gaye gharwalo ki wajah se mai aajtak kuch nhi kar saka mai usse chhutkara chahta hu wo bachcha bhi mera nhi hai sir pllzz mujhe margdarshan de.
Sir mera naam rahul dixit hai mai Shahjahanpur u.p ka rahne wala hu. Meri shadi may 2010 me jabran ek aisi ladki se kar di gayi jiski umra mujhse 10 saal jyada thi. Maine ladki k bhaiyon ko aur bhabhi ko phone karke mana kiya mai bht roya bhi k mujhe shadi nhi karni aap kahi bhi karde abhi kuch nhi hua hai. Un logo ne mere gharwalo ko dhamki di k agar shadi nhi ki to achchaa nhi hoga. Meri umra us time 18 saal me 2 month kam thi. Mere baba herat patient hain sabne mujhe itna dara diya k agar shadi nhi ki to tumhare papa akele hain wo log kuch bhi kardenge baba ko kuch bhi ho sakta hai. Maine darke shadi karli jab meri patni mere ghar aayi to maine unse bhi kaha k maine itna mana kiya tha kya tumhe is baat ka pata nhi chala tum khud mana kardeti to wo log maan jaate. To wo kuch nhi boli maine kaha ab jo bhi hua so hua mere dil me tumhare liye koi jagah nhi hai lekin mai tumse nafrat bhi nhi karta hu. Tumhare gharwalon ne jo bhi kiya uski saja tumhe kyon du. Thodi koshish tum karna thodi si mai karunga sb sahi hojayega. Uske baad wo apne ghar chali gayi shadi me mere gharwalon ne meri patni k liye gahne banwaye the jinki keemat us samay 2 lac k aaspas thi ab jyada hogi. Wo gahne aaj tak wo gharpe leke nhi aayi. Mai bahar rahta tha ek choti si naukri karta tha mai jab bhi unke phone pe phone karta tha wo humesha busy jata tha. Jab mai puchta tha to kahti thi apne mayke me baat kar rhi thi. Jab wo latreen me hoti thi tab bhi busy jata tha. Har time kisi se naat karti thi. Fir unke gaun ka ek ladka humare ghar aane laga wo unka rishtedar hi hai wo meri patni ko apni bahan kahta tha. Humare gaun k beech ki doori maatra 3 km hai. Wo ladka roj aajata tha kisi bahane se mere gharwalo se ghul mil gya. Ek din wo mujhe pas k ek kasbe me mil gya wo phone pe kisi ko gaaliyan de rha tha. Aur sharab k nashe me bhi tha. Wo kah rha tha tu marja mujhe tujhse koi mtlb nhi. Aur phone kaat rha tha udhar se baar baar phone aarha tha wo gaaliyan de rha tha har tarah ki maine usse kaha k laao mai samjhadeta hu to mujhe phone nhi diya. Fir maine usse ekdm se phone leliya aur no. Dekha to wo meri patni ka tha. Maine usse kuch nhi kaha aur gharpe doosre no. Pe phone kiya to pta chala k meri patni room andar se band karke ro rhi hai. Mai sb samajh gya maine undono k gharwalo ko bulana chaha lekin meri maa ne kasam de aur ro k mujhe rok diya. Kuch din baad wo apne ghar chali gyi aaj use ghar se gaye 2.5 saal hogaye hain.haan ek aham baat batana bhul hi gya is beechme uske ek bachchaa bhi hua mai chaunk gya kyonki usne mujhse kabhi koi sambandh banaye hi nhi the. Mai uske ghar gya aur usse pucha to wo ladne lagi mai chala aaya aur apne gharme sabse kaha lekin badnami k dar se aur mere papa akele hain shayad is dar se bhi unhone mujhe kuch nhi karne diya. Ek saal pahle ladke ka mundan tha humne bht kaha tab wo aayi maine unse baat ki k humare sath raho aur humare gahne yaha rakkho. To ladne lagi kaafi bahas hui maine bht samjhaya k tumhare bhai jindagi nahi kaatenge hume hi rahna hai lekin wo nhi maani usne apne bhaiyon ko phone kardiya aur unlogo ne kaha k gahne tumhe nahi denge tumhare uper lagake khatm kardenge tumhe. Aur wo chale gaye uske baad meri patni bhi bina kisi se puche apne bhateeje ko bulake chali gyi ab use 1 saal se jyada hochuka hai. Sir shadi ko 6 saal hochukr hain itne saalon me wo humare ghar 1 saal hi rahi hogi wo bhi tab jabtak wo ladka aata rha uaki asliyat jaanne k baad humne use nhi aane diya tabbse meri patni bhi nhi aarhi. Sir mai bht pareshan hu mai har time tantion me rahta hu. Mere saare sapne toot gaye gharwalo ki wajah se mai aajtak kuch nhi kar saka mai usse chhutkara chahta hu wo bachcha bhi mera nhi hai sir pllzz mujhe margdarshan de.
मेरी पतनी व उसके मायके बाले मुझे व मेरे परिवार पर झूठा दहेज केस करना चाहते हम को डराते और हमारे घर 8,8-10,10 अनजान लोग लाते है हमे मारने को भी कहते है मुझे कया करना चाहिए
विमल जी, आपको उपरोक्त सलाह बहुत अच्छी दी गई है. आप अपने पक्ष की कार्यवाही शीघ्रता से शुरू कर दें.क्योकि ये बड़ी दुर्भाग्य कि बात है कि हमारे देश में पतियों कि रक्षा के लिए कोई भी कानून नहीं है और पत्नियों के लिए इतने कानून है कि वह अगर अपने पति और ससुराल वालो को चाये तो १० मिनट में जेल के अन्दर करवा सकती है आपको जो दिनेश सर ने सलाह दी है वही करना उचित रहेगा वरना आपको इसके बहुत गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे, क्योंकि हमारे देश में “सारा सच” हमारे देश की महिलाएं ही बोलती है कि उनको दहेज के लिए तंग किया गया है. किसी गरीब व् पीड़ित पति की इन मामलों में कोई सुनाई नहीं होती है.
जब तक हमारे देश में दहेज विरोधी लड़कों के ऊपर दहेज मांगने के झूठे केस दर्ज होते रहेंगे तब तक देश में से दहेज प्रथा का अंत सम्भव नहीं है. आज मेरे ऊपर झूठे केसों ने मुझे बर्बाद कर दिया. आज तक कोई संस्था मेरी मदद के लिए नहीं आई. सरकार और संस्थाएं दहेज प्रथा के नाम पर घडयाली आंसू खूब रोती है, मगर हकीकत में कोई कुछ नहीं करना चाहता है.सिर्फ दिखावे के नाम पर कागजों में खानापूर्ति कर दी जाती है.
अगर आप पीड़ित पतियों कि एक झलक देखना चाहते है तो मेरा ब्लॉग http://www.becharepati.blogspot.com देखे जी ….
आज कुछ लड़कियाँ और उसके परिजन धारा 498A और 406 को लेकर इसका दुरूपयोग कर रही है. हमारे देश के अन्धिकाश भोगविलास की वस्तुओं के लालच में और डरपोक पुलिस अधिकारी व जज इनका कुछ नहीं बिगाड पाते हैं क्योंकि यह हमारे देश के सफेदपोश नेताओं के गुलाम बनकर रह गए हैं. इनका जमीर मर चुका है. यह अपने कार्य के नैतिक फर्ज भूलकर सिर्फ सैलरी लेने वाले जोकर बनकर रह गए हैं. असली पीड़ित लड़कियाँ तो न्याय प्राप्त करने के लिए दर-दर ठोकर खा रही हैं.
रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा का पिछला आलेख है:–.हम तो चले तिहाड़ जेल दोस्तों !
विमल जी, आपको उपरोक्त सलाह बहुत अच्छी दी गई है. आप अपने पक्ष की कार्यवाही शीघ्रता से शुरू कर दें. वरना आपको इसके बहुत गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे, क्योंकि हमारे देश में “सारा सच” हमारे देश की महिलाएं ही बोलती है कि उनको दहेज की तंग किया गया है. किसी गरीब कहूँ पीड़ित आदमी की इन मामलों में कोई सुनाई नहीं होती है.
जब तक हमारे देश में दहेज विरोधी लड़कों के ऊपर दहेज मांगने के झूठे केस दर्ज होते रहेंगे तब तक देश में से दहेज प्रथा का अंत सम्भव नहीं है. आज मेरे ऊपर झूठे केसों ने मुझे बर्बाद कर दिया. आज तक कोई संस्था मेरी मदद के लिए नहीं आई. सरकार और संस्थाएं दहेज प्रथा के नाम घडयाली आंसू खूब रोती है, मगर हकीकत में कोई कुछ नहीं करना चाहता है.सिर्फ दिखावे के नाम पर कागजों में खानापूर्ति कर दी जाती है.
रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा का पिछला आलेख है:–.खुद मिटा देंगे लेकिन "जन लोकपाल बिल" लेकर रहेंगे
बहुत गलत बात हे कि ओरते इस धारा का गलत प्रयोग करने लगी है ! ऐसे और भी मामले सुनने को मिल रहे है. इसे में उन्हें परेशानी होगी जो वास्तव में परेशानी में होती है !
आपका सलाह मुझे बहूत अच्छा लगा क्योकि आपसी कलह को और आगे जाने से उसका गलत परिणाम निकल सकता है इसलिए आपस मे सुलह कर सबंध सुधर सकते है |