पत्नी चार वर्ष से नहीं आती, कहती है मेरे माता-पिता के साथ नहीं रहेगी, क्या तलाक मिल सकता है?
|शैल जी अपनी समस्या इस तरह बयान करते हैं – – –
मेरी शादी मई 2003 में हुई थी मेरी पत्नी मार्च 2004 से उस के मायके में रह रही है। मई-2003 से मार्च-2004 के नौ माह के दौरान भी वह केवल दो माह मेरे साथ रही है। मार्च 2004 के बाद हम उसे चार बार लेने के लिए जा चुके हैं पर वह कहती है कि मुझे आप के माता-पिता से अलग रहना है। मैं मेरे माता-पिता से अलग रहना नहीं चाहता। मैं ने पिछले वर्ष ही धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत किया है। वहाँ भी वह यही कहती है कि मुझे आप के माता-पिता के साथ नहीं रहना है। क्या मुझे इस आधार पर तलाक मिल सकता है क्या? मेरी पत्नी के पिता पुलिस विभाग में हैं जो हमें झूठे मुकदमे में फँसा देने की धमकी दे रहे हैं जो कि पिछले छह वर्ष से वो उस के मायके रह ही है तो क्या वे हमें दहेज के झूठे मुकदमे में फँसा सकते हैं? अगर वो हमारे पास रहने आ भी गई तो हम उस पर विश्वास कैसे कर पाएँगे कि वह आगे हमें फँसा नहीं देगी?
उत्तर – – –
शैल जी,
एक तो आप ने धारा-9 में वैवाहिक वैवाहिक अधिकारों की पुनर्स्थापना का जो मुकदमा किया है उस में बहुत देरी कर दी है। यह काम तो आप को पहले वर्ष में ही कर लेना चाहिए था। यदि आप की पत्नी आप के माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहती है तो उस के भी कोई कारण अवश्य उस ने बताए होंगे। यदि वे कारण वास्तविक और वाजिब हैं तो उस का कहना सही है। लेकिन अपनी सुविधा या असुविधा के लिए वह ऐसा कहती है तो फिर आप की पत्नी का कथन वाजिब नहीं है। यदि उस के कारण वाजिब और वास्तविक नहीं हैं तो फिर आप का उस के साथ जीवन बिता पाना संभव नहीं है। आप को यह भी भय है कि आप के ससुर आप को फर्जी मुकदमे में फँसा सकते हैं। इस प्रकार के भय से दाम्पत्य जीवन तो नहीं चल सकता है । दहेज का मुकदमा तो अब चार वर्ष बाद कर पाना संभव नहीं है। धारा 498-ए का मुकदमा भी चल पाना संभव नहीं है। चलाया भी जाएगा तो उसे खारिज कराया जा सकता है। क्यों कि धारा 498-ए में तीन वर्ष से अधिक पुरानी घटना का प्रसंज्ञान लेना संभव नहीं है। यदि आप की पत्नी का कोई स्त्री-धन आप के पास है तो वह उस की मांग आप से कर सकती है और न देने पर धारा 406 भा.दं.संहिता का मुकदमा चला सकती है। इस के लिए बेहतर है कि आप स्वयं ही उसे एक नोटिस दे दें कि आप के पास उस का क्या-क्या स्त्री-धन सुरक्षित है और जब चाहे वह उसे प्राप्त कर सकती है। यदि फिर भी आप के ससुर आप को धमकी दें तो आप उन के एस.पी. को उन की शिकायत कर सकते हैं। एक पुलिस कर्मचारी यदि अपने पुलिस में होने की धमकी देता है तो वह अधिक गंभीर बात है। इस कारण से यदि आप के ससुर को यह प्रतीत होगा कि कोई फर्जी मुकदमा बनाना उन की नौकरी के लिए खतरा बन सकता है तो वे कभी यह काम नहीं करेंगे।
यदि आप की पत्नी के पास आप के माता-पिता के साथ नहीं रहने के कोई ठोस व वाजिब कारण हैं तो फिर आप को प्रयत्न करना चाहिए कि वे कारण नहीं रहें और यदि उन कारणों को समाप्त नहीं किया जा सकता है तो फिर आप की पत्नी सही कहती है और आप का अपनी प
त्नी के साथ अपने माता-पिता से अलग रहना ही बेहतर है। यदि ऐसा नहीं है तो फिर आप के लिए तलाक लेना ही बेहतर है। आप की पत्नी आप से चार वर्ष से अलग रह रही है जिस का कोई ठोस व वाजिब कारण नहीं है, इसी आधार पर आप उस से तलाक ले सकते हैं। आप धारा-9 के मुकदमे को धारा-13 के मुकदमे में परिवर्तित करवा सकते हैं और नया आवेदन भी प्रस्तुत कर सकते हैं। लेकिन यदि आप की पत्नी एक दिन भी आप के घर आ कर रहती है तो फिर यह कारण समाप्त हो जाएगा।
त्नी के साथ अपने माता-पिता से अलग रहना ही बेहतर है। यदि ऐसा नहीं है तो फिर आप के लिए तलाक लेना ही बेहतर है। आप की पत्नी आप से चार वर्ष से अलग रह रही है जिस का कोई ठोस व वाजिब कारण नहीं है, इसी आधार पर आप उस से तलाक ले सकते हैं। आप धारा-9 के मुकदमे को धारा-13 के मुकदमे में परिवर्तित करवा सकते हैं और नया आवेदन भी प्रस्तुत कर सकते हैं। लेकिन यदि आप की पत्नी एक दिन भी आप के घर आ कर रहती है तो फिर यह कारण समाप्त हो जाएगा।
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4 Comments
It’स गुडconversesion I am फेसिंग थिस इशू माय वाइफ हु एलिगेंट में फॉर कम्पन्सेशन फॉर केयर हिज एंड हेर चाइल्ड एव्री टाइम शी स्पेंट टाइम हेर मदर एंड शी वांट कमंंसेशन एंड राइट फॉर माय प्रॉपर्टी एंड हेर elengant फॉर में भोजन न देना गली देना मारपीट करना वर्य झूटी बनाबटी बतेंबतकर वो एयर उसकी माँ हमेशा परेशां करती रहती ह क्या करू उचित गाइड लाइन kare
बहुत उपयोगी जानकारी, ज्ञानवर्धन के लिये आभार आपका.
रामराम.
बहुत सुंदर सलाह दी आप ने, लेकिन पत्नी की इच्छा…. ऎसी बाते तो शादी से पहले करनी चाहिये थी. धन्यवाद इस अच्छी सलाह के लिये
हमेशा की भांति बेहद जानकारी भरी पोस्ट !
समय हो यदि तो
माओवादी ममता पर तीखा बखान ज़रूर पढ़ें: http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html