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दीवानी वाद कैसे स्थानान्तरित कराए जा सकते हैं?

समस्या-

योगेश तिवारी ने अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़ से पूछा है-

सिविल वाद व्यवहार न्यायालय में विचाराधीन हो और किसी पक्षकार को यह लगे कि उसे इस न्यायालय मे न्याय नहीं मिल पायेगा तो वह मामले को को अपीलीय न्यायालय मे ले जा सकता है या नहीं और ले जा सकता है तो कौन कौन से न्यायालय में ले जा सकता है।

समाधान-

आम तौर पर दीवानी वाद स्थानान्तरित नहीं किए जा सकते। उन की सुनवाई केवल उन्हीं न्यायालयों द्वारा की जा सकती है जिन्हें दीवानी प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के अनुसार क्षेत्राधिकार प्राप्त हो। लेकिन अपील न्यायालयों को दीवानी वादों स्थानांतरित करने का अधिकार है। दीवानी प्रक्रिया संहिता की धारा 23 के अंतर्गत अपील न्यायालय को स्थानान्तरण के लिए आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है। दीवानी वाद निम्न आधारों पर समान अधिकारिता वाले न्यायालयों में स्थानान्तरित किए जा सकते हैं-

(i) मुकदमे के किसी पक्षकार के मन में उचित आशंका हो कि उसे उस अदालत से न्याय नहीं मिल सकता है जिसमें मुकदमा लंबित है;
(ii) कार्यवाही या परस्पर विरोधी निर्णयों की बहुलता से बचने के लिए;
(iii) जहां न्यायाधीश एक पक्ष में रुचि रखता है या दूसरे के खिलाफ पक्षपात करता है;
(iv) जहां दो मुकदमों में पक्षकारों के बीच तथ्य और कानून के सामान्य प्रश्न उत्पन्न होते हैं;
(v) जहाँ सुविधा के संतुलन की आवश्यकता होती है; जैसे जहाँ संपत्ति का अधिकार है या पक्ष या उनके गवाह रहते हैं; या खाता बही आदि रखी जाती है;
(vi) जहां दो व्यक्तियों ने कार्रवाई के एक ही कारण पर विभिन्न न्यायालयों में एक दूसरे के खिलाफ मुकदमा दायर किया है;
(vii) जहां स्थानांतरण देरी और अनावश्यक खर्चों से बचता है;
(viii) जहां कानून के महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल हैं; या जनता का काफी तबका मुकदमेबाजी में रुचि रखता है;
(ix) जहां स्थानांतरण अदालत की प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकता है;
(x) जहां स्थानांतरण किसी विशेष विवाद आदि के केवल एक निर्णय के लिए आवश्यक है।

स्थानान्तरण के लिए आवेदन अपीलीय न्याायालय को प्रस्तुत किया जा सकता है। मामला किस न्यायालय को स्थानान्तरित किया जाए यह अपीलीय न्यायालय इस आधार पर तय करेगा कि किसी पक्षकार को अनावश्यक रूप से कोई असुविधा नहीं हो।

यदि स्थानान्तरण किसी विशेष कारण से किसी दूसरे जिले की न्यायालय में चाहा जाए तो आवेदन उच्च न्यायालय को तथा दूसरे प्रान्त में चाहा जाए तो उच्चतम न्यायालय को धारा 25 दीवानी प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत प्रस्तुत किया जाएगा।