पत्नी ससुराल में नहीं रहना चाहे तो क्या किया जाए?
|जितेन्द्र प्रसाद जी ,
आप ने जो सब से बड़ा गलत काम यह किया है कि अपनी नौकरी छोड़ दी है। इस तरह आप ने अपनी आय. के एक स्रोत को स्वयं ही समाप्त कर लिया है। यह सही है कि पारिवारिक समस्या उत्पन्न होने पर व्यक्ति बहुत परेशान हो जाता है और कभी कभी उसे कुछ नहीं सूझता। लेकिन जीवन की अधिकांश समस्याएँ अर्थाभाव से आरंभ होती हैं और उन में से अधिकांश की समाप्ति अच्छे अर्थोपार्जन से हो जाती है। आप को सब से पहला काम तो यह करना चाहिए कि पुनः नौकरी करने का प्रयत्न करें अथवा अपने माता-पिता की भूमि से होने वाली आय के अतिरिक्त अन्य किसी व्यवसाय से आय अर्जित करने का प्रयत्न करें। आप अर्थाभाव में कोई भी काम नहीं कर पाएंगे।
आप ने अपने ससुराल वालों के तीनों प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया है। आप का ऐसा करना अनुचित नहीं है। क्यों कि इकलौते पुत्र द्वारा अपने माता-पिता को अरक्षित छोड़ देना भी उतना ही बड़ा दुष्कृत्य है जितना कि अपनी पत्नी और बच्चों को अरक्षित छोड़ देना है। आप ने ठीक ही किया है। आप का परिवार परामर्श केन्द्र में बार बार जाना ठीक नहीं है। आप एक बार परिवार परामर्श केन्द्र को जवाब लिख कर दे दें कि आप अपने माता-पिता को नहीं छोड़ सकते, आप की पत्नी की मांग उचित नहीं है। आप इस जवाब की प्रतियाँ एस. पी. पुलिस और पुलिस के अन्य उच्चाधिकारियों को भी रजिस्टर्ड ए.डी. डाक से भेज दें तथा जवाब की एक प्रति अपने पास अवश्य सुरक्षित रखें। इस के बाद आप को परिवार परामर्श केन्द्र जाने की आवश्यकता नहीं है।
आप की पत्नी पाँच वर्षों के विवाहित जीवन में आप के साथ कुल 9 माह ही रही है। इस से ऐसा लगता है कि उसे आप के साथ रहे तीन वर्ष से अधिक समय हो चुका है। ऐसी अवस्था में धारा 498-ए का मुकदमा आप के विरुद्ध तब तक दर्ज नहीं किया जा सकता है, जब तक कि उस में मिथ्या आरोप न लगाएँ जाएँ। यदि ऐसा कोई अभियोग आप के विरुद्ध दर्ज हो जाए तो आप उस अभियोग की प्रथम सूचना रिपोर्ट को रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत कर सकते हैं। आप की
अच्छी जानकारी.
गुरुवर जी, आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है.