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परिसर का किराया बढ़ाने के लिए क्या किया जाए?

समस्या-

मारे घर में 25 व 28 वर्ष से दो किराएदार हैं। एक किराएदार द्वारा किराए में चूक करने के कारण उस से मकान खाली कराने का केस अदालत में चल रहा है।  3 साल हो गए हैं।  वह किराया हमारे बैंक खाते में जमा करवा रहा है।  किराए का कोई लिखित सबूत नहीं है। उस का किराया 2500 रुपया महिना था, वह हाउस टैक्स की रसीद को आधार बना कर उस में अंकित किराया 400 महिना ह्मारे बैंक खाते में जमा करवा रहा रहा है। उस से मौजूदा किराया कैसे प्राप्त किया जा सकता है?

दूसरा किराएदार केवल 100 रूपया महिना किराया देता है किराया कहने पर भी नहीं बढ़ाता है।  उस के पास खुद का घर है, लेकिन सिर्फ पैसा वसूल करने के लिए कब्जा कर रखा है। उस के पास एक कमरा है। उस का किराया कैसे बढ़वाया जाए? किराएदारी मौखिक है उस का किराया भी हाउस टैक्स में 100 रुपया ही है। आज का मौजूदा किराया 2000 रुपए होना चाहिए। उस पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं कर रखी है। बताएँ हमें क्या करना चाहिए?

-रईस खान, जयपुर, राजस्थान

समाधान-

राजस्थान में नया किराया कानून 1 अप्रेल 2003 से लागू हुआ है। यह कानून पुराने कानून से अलग है। इस में किराए में चूक का आधार इस प्रकार है कि चार माह का किराया बकाया हो जाने पर मकान मालिक बकाया किराया अदा करने का नोटिस देगा जिस में वह अपना बैंक व खाते का विवरण (नंबर आदि) बताएगा। यह नोटिस प्राप्त होने के एक माह के अंदर यदि किरायेदार बकाया किराया अदा कर देता है या बैंक खाते में जमा करवा देता है तो किसी तरह की चूक नहीं मानी जाएगी। लेकिन यदि किराएदार एक माह में किराया अदा नहीं करता है या उस के बाद करता है तो फिर किराए में जो चूक होगी वह अक्षम्य होगी। इस चूक के आधार पर परिसर खाली करने का प्रमाण पत्र किराया अधिकरण जारी कर सकता है। यदि आप के किराएदार ने ऐसी ही चूक की है तो फिर आप समझिए आप का परिसर खाली होने की डिक्री आप को प्राप्त हो जाएगी। बस इतना ध्यान रखें कि मुकदमा लड़ने में आप की ओर से कोई चूक न हो।

प का कोई किराए का एग्रीमेंट न होने से दोनों किराएदार मूल किराया अदा न कर के आप के द्वारा हाउस टैक्स में प्रदर्शित किराया अदा कर रहे हैं। यदि आप ने हाउस टैक्स बचाने के लिए सही किराया प्रदर्शित किया होता तो ऐसा न होता। लेकिन आप के लिए किराया बढ़वाने का एक मार्ग है। नए कानून में यह प्रावधान है कि यदि किराया कभी न बढ़ाया हो तो परिसर किराए पर देने की तारीख से प्रत्येक वर्ष किराया पाँच प्रतिशत बढ़ाया जा सकता है। दस वर्ष होने पर जो किराया हो गया है उस का पाँच प्रतिशत प्रतिवर्ष पुनः बढ़ाया जाएगा। यदि यह मान लिया जाए कि आप ने पहले किरायेदार को पच्चीस वर्ष पहले 400 रुपए प्रतिमाह पर किराए पर परिसर दिया था तो उस का किराया प्रतिवर्ष 20 रुपया बढ़ाए जाने पर दस वर्ष पश्चात 640 रुपए प्रतिमाह हो जायेगा। ग्यारहवें वर्ष में 640 रुपए का पाँच प्रतिशत 32 रुपया मासिक किराया प्रतिवर्ष बढ़ने लगेगा। इस तरह बीसवें वर्ष में किराया 384 रुपया बढ़ कर 1224 रुपया हो जाएगा तथा इक्कीसवें वर्ष से मासिक किराया 1224 का पाँच प्रतिशत अर्थात 61.20 रुपए प्रतिवर्ष बढ़ेगा और पच्चीसवें वर्ष में 1530 रुपए हो जाएगा। यदि आप किराया अधिकरण में किराया बढ़ाने का मुकदमा करें तो यह किराया आप को मिल सकता है। इस से अधिक किराया नहीं बढ़ाया जा सकता। इसी तरह आप दूसरे किरायेदार का किराया 28 वर्ष पूर्व 100 रुपया मान कर किराया बढ़ाने का मुकदमा कर सकते हैं। आप को बढ़ा हुआ किराया मुकदमा करने की तिथि से ही प्राप्त होगा इस के पहले का नहीं।

मेरी राय में आप को दोनों किराएदारों के विरुद्ध किराया बढ़ाने के लिए किराया अधिकरण के समक्ष तुरन्त अर्जी प्रस्तुत करना चाहिए।

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