पुश्तैनी संपत्ति में संतानों के हिस्से को पिता विक्रय या हस्तान्तरित नहीं कर सकता।
समस्या-
राजेश शर्मा ने अजमेर, राजस्थान से पूछा है-
मेरे पिता जी दो भाई हैं। उन के पास जो दादा जी की पैतृक संपत्ति थी उस को दोनों भाइयों ने आपसी सहमति से 100/- रुपए के स्टम्प पेपर पर नोटेरी करवा कर बँटवारा कर लिया था। मेरे पिता जी ने उन के हिस्से में आई सम्पत्ति की रजिस्ट्री अपने नाम करवा ली थी। उस बात को करीब 18 वर्ष हो चुके हैं। संपत्ति मे कुछ तो खेत की ज़मीन है ओर 2 मकान, ओर दो जगह प्लॉट थे। उस में से मेरे पिताजी ने कुछ संपत्ति बेच दी है। हम भी दो भाई हैं। कुछ साल पहले मेरे बड़े भाई की मेरे साले से किसी सामाजिक काम को लेकर झगड़ा हो गया। अब मेरे पिता ओर भाई मुझे अपनी पत्नी को छोड़ने का दबाव बना रहे हैं और कहते हैं कि अगर मैं ने अपनी पत्नी को नही छोड़ा तो वे अपनी पूरी संपत्ति बड़े भाई के नाम कर देंगे। लेकिन मेरे एक बेटा भी है ओर मैं अपनी पत्नी को नहीं छोड़ना चाहता। क्या मेरे पिता हमारी संपत्ति को बड़े भाई के नाम कर सकते हैं। पिता के पास उनकी खुद की खरीदी हुई संपत्ति भी है। उन्होंने बँटवारे के पेपर को भी रजिस्टर नहीं कराया था।
समाधान-
आप का और आप की पत्नी का रिश्ता यदि अच्छा है और कोई विवाद नहीं है तो यह किसी तरह संभव नहीं है कि भाई के झगड़े के कारण आप अपनी पत्नी को छोड़ दें। आज पत्नी कोई वस्तु नहीं है जिसे जब चाहे तब किसी कारण से छोड़ दिया जाए। यदि छोड़ भी देंगे तो इतने कानून हैं कि आप की पत्नी और साले आप को इतना चकरघिन्नी बना सकते हैं कि आप और आप के पिता व भाई सब परेशान हो सकते हैं और उन परिस्थितियों में सभी को सरेंडर होना पड़ सकता है। इस कारण आप को यह तो दृढ़ता से तय करना होगा कि आप पत्नी को नहीं छोड़ रहे हैं। चाहे आप को आप के पिता संपत्ति दें या न दें। वैसे भी आप की पत्नी का क्या दोष है? उस के भाई ने यदि कोई गलती की है तो उस की सजा क्यों आप की पत्नी को मिले?
आप के पिता की स्वअर्जित संपत्ति पर उन के जीवनकाल में उन के अतिरिक्त किसी का कोई अधिकार नहीं है। उसे वे बेच सकते हैं, दान कर सकते हैं या फिर वसीयत कर सकते हैं। लेकिन यदि आप के पिता के पास कोई पुश्तैनी संपत्ति है, (ऐसी संपत्ति जो आप के पिता या दादा या परदादा को 17 जून 1956 के पूर्व उन के पिता या पुरुष पूर्वज से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई थी तथा उस संपत्ति की आय से खरीदी गई संपत्ति पुश्तैनी संपत्ति हैं) तो उस में आप के पिता की सभी संतानों का हिस्सा है और उसे वे न तो किसी को दे सकते हैं न ही विक्रय कर सकते हैं। वे केवल उस संपत्ति में अपना हिस्सा हस्तान्तरित कर सकते हैं। बँटवारा पत्र का पंजीकृत होना जरूरी है। यदि वह पंजीकृत नहीं है तो मान्य नहीं होगा। लेकिन यदि पहले बँटवारा हो चुका हो और बाद में बँटवारे का ज्ञापन लिख कर उसे नोटेरी से सत्यापित कराया गया हो तो वह बँटवारे की सही सबूत हो सकता है।
यदि ऐसी कोई संपत्ति है तो आप उस संपत्ति के विभाजन का दीवानी वाद न्यायालय में प्रस्तुत कर के उस संपत्ति के हस्तान्तरण पर रोक लगाने के लिए स्थगन भी प्राप्त कर सकते हैं।
फिर भी संपत्तियों का मामला जटिल है। इस के सभी दस्तावेज देखे और आप से बात किए बिना नहीं बताया जा सकता कि आप के हितों की कैसे और कितनी रक्षा की जा सकती है। इस कारण से आप को दीवानी मामलों के किसी अच्छे स्थानीय वकील से तुरन्त सलाह लेनी चाहिए और उस के बाद ही कोई कदम उठाना चाहिए।
Mere par. dada g.ke pita gee ne Ne. Property waqf. 1935 me ki thi. Waqf is liye ki thi unka beta sharab ki lat me par gaya tha sharabi mere par dada ke 3 aulad thi 2 larke or ek larki tino bachche apne bap se preshan the tino ne milkar apne bap ko jan se mar diya or bade larke ne ikbal juram kar liya apne bhai ko or behan ko bacha liya or 20 sal ki saza bhugat ne jail chla gaya lekin achche chal chalan ki wajah se 7 sal me hi chut gaya jail se ane per dono bhai me jhagra hua ke property ka mutwlli me hu. Wo kehta me ho chote bhai ne bade bhai par mukadma kar diya ke tu bap ka katil hai tujhe koi haq nahi pahuch ta to chota bhai1968 me kes har gaya 1993 tak dono bhai chal base chote bhai ke char bete bade bhai ke 1 beta ab in char. Or. Ek me jhagra hai. Ab char bete bhi yehi kehte hai ke tere bap ne katal kar diya tha tujhe haq nahi pahchta waqf nama me ye likha h. Ke nasal dar nasal me is ko waqf karta ho matlab bech nahi sakte ane wali nasale istamal kar sakti h ab me ye janna chahta hoo ke jo cheez naslo ke liye waqf ki ja rahi ho wo kisi ek ke galat karne se bachche ko saza milegee. Kiya wo behaq hoga kiyo ke wo char bhai us ek bhai ko kuch bhi nahi dete kiya hume hamara haq mil sakta h ab filhal mukadma rampur waqf turibnal me chal raha h
अगर पुश्तैनी जमीन पिता द्वारा विक्रय किया जा चूका है तो उसे प्राप्त किया जा सकता है क्या
सशंक जी किसी जजमेंट कि जरुरत नहीं . आपके राज्य में ” हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम” लागू है, इसी अधिनियम में प्रावधान है उत्तराधिकार से सम्बन्धी,
पुश्तैनी संपत्ति में संतानों के हिस्से को पिता विक्रय या हस्तान्तरित नहीं कर सकता। इसके स्थगन के सम्बन्ध में क्या सुप्रीम कोर्ट कि कोई जजमेंट है ?