प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हो गयी है तो पहले जमानत कराइए फिर बचाव की कोशिश करिए।
|झुन्ना श्रीवास्तव ने बतौली, बिहार से समस्या भेजी है कि-
बिजली बिभाग ने हम पर टोका फसाकर चोरी से बिजली जलाने की प्राथमिकी दर्ज करा दी। जबकि मेरे पास बैध कनेक्शन है। मैं पुलिस को रसीद दिखाया, लेकिन फिर भी पुलिस गिरफतारी आदेश जरी कर दी है। पुलिस बोल रही है, आप बिजली बिभाग से लिखवाकर लायें की बैध कनेक्शन है। लेकिन बिजली बिभाग बोल रहा है की अगर कोर्ट मांगेगा तो लिख कर देंगे। मैं सूचना के अधिकार से भी माँगा लेकिन सूचना नहीं दे रहे हैं। मैं पुलिस और बिजली बिभाग के पास गुहार कई बार लगाई लेकिन कोई नहीं सुन रहा है। बिजली बिभाग 5 मीटर तार का जब्ति की सूचि बनाई गई है। जिस पर सिर्फ़ बिजली कर्मचारी का ही हस्ताक्षर है। जबकि कुछ भी जप्त नहीं किया गया। नियमनुसार स्थानीय व्यक्ति से जब्ति सूचि पर हस्ताक्षर कराना चाहिए था। जब्ति सूचि नियमानुसार नहीं बनाना अपराध है कि नहीं अगर है तो मैं अलग से कोर्ट में परिवाद दाखिल कर सकता हूँ कि नहीं? मुझे इस की शिकायत कहाँ करनी चाहिए।
समाधान-
ऐसा कोई नियम नहीं है कि जब्ती की सूची पर बिजली विभाग का कर्मचारी गवाह नहीं हो सकता। यह जरूर है कि पुलिस को स्वतंत्र गवाह तलाश करना चाहिए था। लेकिन यदि स्वतंत्र गवाह की तलाश की जाए और कोई उपलब्ध नहीं हो तो बिजली विभाग का कर्मचारी भी गवाह बनाया जा सकता है। आप के ये सभी तर्क जब आप के विरुद्ध मुकदमा चलेगा तब आप के बचाव में काम आ सकते हैं। अन्वेषण के इस स्तर पर नहीं।
यह भी कोई जरूरी नहीं कि जिस के पास वैध कनेक्शन है वे चोरी कर ही नहीं सकते। सब से ज्यादा वे ही चोरी करते हैं जिन के पास कनेक्शन हैं। सारे उद्योगों के पास वैध कनेक्शन होते हैं और सब से ज्यादा कटिया वही मारते हैं जिस का कभी पता नहीं चलता। यह तर्क भी कोई अधिक मायने नहीं रखता।
यदि एफआईआर दर्ज हो गयी है तो पहले जमानत कराइए। फिर आप अपने तर्क अदालत में बचाव में प्रस्तुत करते रहिएगा।