प्रस्ताव प्रपत्र हस्ताक्षर करने के पहले इच्छित बीमा पॉलिसी की प्रति प्राप्त कर उस की शर्तों को ठीक से समझ लें
| संजय कुमार राणा पूछते हैं –
मैंने 2007 में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल कम्पनी से एक यूलिप जीवन बीमा पालिसी जिसका नाम लाइफ स्टेज आरपी है प्राप्त की थी जिस का प्रीमियम 35000/- सालाना था, जो कि मैंने सिर्फ एक बार यानि पहली बार ही अदा किया और बाद में घर का बजट बिगड़ने से मैं अगली किस्तों का भुगतान नहीं कर पाया। कम्पनी मुझे बीच बीच में किस्तें जमा करने को पत्र भेजती रहती थी परन्तु वे सभी पत्र केवल अंग्रेजी में होने के कारण मेरी समझ से परे होते थे, और मैं भी अपनी व्यस्तता के कारण ध्यान नहीं दे पाया। मैंने सोचा की कम्पनी अगर मुझे कुछ जयादा नहीं देगी तो कोई बात नहीं, मेरा पैसा तो तीन साल बाद मुझे मिल ही जाएगा। परन्तु आज जब मुझे कम्पनी का एक पत्र मिला जिसके नीचे एक मल्टी पे कस्टमर चैक नं. 130150आईसीआईसीआई बैंक का सिर्फ 5684 रुपये और 62 पैसे का था। मैं उसे देखकर मैं चौंक गया और मैंने नेट से कम्पनी का कस्टमर केयर नं. ढूँढा और उसपर फोन किया तो जबाब आया की कम्पनी ने आपकी पालिसी बंद कर दी है और आपका जो पैसा बनता था उसका चैक आपको भेज दिया है। मैंने कहा कि मैडम मेरे 35000/- के बदले में मुझे सिर्फ इतने ही पैसे ही मिलेंगे तो वो कहने लगी, हाँ सर! जब मैंने इसका विरोध जताया तो उस ने कहा कि आप नजदीक की शाखा में जाकर ज्यादा जानकारी ले सकते हैं। कृपया मुझे बताएं कि मैं क्या कर सकता हूँ? मैं तो कंज्यूमर कोर्ट जाने की सोच रहा हूँ।
उत्तर –
राणा जी,
किसी भी कंपनी से कोई भी जीवन बीमा पॉलिसी प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव प्रपत्र हस्ताक्षर करने के पहले प्रस्ताव प्रपत्र और जो पॉलिसी आप प्राप्त करने जा रहे हैं उस की एक प्रतिलिपि की मांग बीमा कंपनी के ऐजेण्ट से अवश्य करनी चाहिए। प्रस्ताव प्रपत्र और बीमा पॉलिसी की प्रति आप को प्राप्त होने के बाद आप को उन की सभी शर्तें ध्यान पूर्वक पढ़नी चाहिए। केवल पढ़नी ही नहीं चाहिए अपितु उन्हें ठीक से समझ भी लेना चाहिए।
सभी बीमा पॉलिसियाँ संविदा की विधि से परिचालित होती हैं। सभी बीमा कंपनियों का कर्तव्य है कि वे संभावित ग्राहक को उस के द्वारा प्राप्त की जाने वाली बीमा पॉलिसी की प्रति दें और उस की शंकाओं का निवारण करें। यदि आप अंग्रेजी नहीं जानते हैं तो बीमा पॉलिसी की प्रति की हिन्दी या अपनी भाषा में मांगे और मिलने पर पढ़ कर समझ लें। एक बार आप प्रस्ताव प्रपत्र हस्ताक्षर कर के बीमा कंपनी को दे देते हैं, चिकिसकीय जाँच करवा लेते हैं और आरंभिक प्रीमियम अदा कर देते हैं तो बीमा कंपनी आप के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए बीमा पॉलिसी जारी कर देती है। अब आप का बीमा इस बीमा पॉलिसी में अंकित शर्तों से परिचालित होता है।
सभी बीमा पॉलिसी में एक सामान्य शर्त यह होती है कि यदि आप तीन वर्ष तक लगातार प्रीमियम अदा कर देते हैं तो फिर बीमा पॉलिसी निरस्त (लेप्स) नहीं होगी अपितु पेड-अप हो जाएगी और आप को जब तक बीमा पॉलिसी की प्रीमियम जमा हैं उन की पेड-अप राशि और बोनस का लाभ
मिलेगा। लेकिन यदि आप तीन वर्ष के पहले कोई प्रीमियम समय पर जमा नहीं करते हैं तो आप की पॉलिसी निरस्त हो जाएगी और आप को कोई धन नहीं मिलेगा अथवा नाम मात्र का धन प्राप्त होगा। निरस्त होने के उपरांत एक निश्चित समय तक आप अपनी निरस्त बीमा पॉलिसी को प्रीमियम की राशि ब्याज सहित जमा करवा कर उसे पुनर्चलित करवा सकते हैं। लेकिन निश्चित अवधि के उपरान्त आप की पॉलिसी पुनर्चलन के योग्य नहीं रह जाती।
मिलेगा। लेकिन यदि आप तीन वर्ष के पहले कोई प्रीमियम समय पर जमा नहीं करते हैं तो आप की पॉलिसी निरस्त हो जाएगी और आप को कोई धन नहीं मिलेगा अथवा नाम मात्र का धन प्राप्त होगा। निरस्त होने के उपरांत एक निश्चित समय तक आप अपनी निरस्त बीमा पॉलिसी को प्रीमियम की राशि ब्याज सहित जमा करवा कर उसे पुनर्चलित करवा सकते हैं। लेकिन निश्चित अवधि के उपरान्त आप की पॉलिसी पुनर्चलन के योग्य नहीं रह जाती।
आप के मामले में आप के द्वारा प्रीमियम की दूसरी किस्त जमा नहीं करवाने पर आप की बीमा पॉलिसी निरस्त हो गई और जब तक वह पुनर्चलन के योग्य थी तब तक कंपनी वाले आप को पत्र भेजते रहे कि पॉलिसी को पुनर्चलित करवा लें। लेकिन जब आप ने निर्धारित अवधि में अपनी बीमा पॉलिसी का पुनर्चलन नहीं करवाया तो उन्हों ने आप को भुगतान योग्य धनराशि चैक के माध्यम से भिजवा दी। इस में बीमा कंपनी की कोई त्रुटि नहीं है। आप चाहें तो अपनी कंपनी के पास के शाखा कार्यालय जा कर पूरी बात समझ सकते हैं। मेरी राय में आप को उपभोक्ता अदालत में शिकायत करने से कुछ भी प्राप्त नहीं होगा। आप व्यर्थ की उलझनों में और जा फँसेंगे।
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6 Comments
THESE KIND OF FRAUDULENT SHOULD BE STOPPED AND NEVER ADVISED TO ATTACHED WITH ICICI …JUST DELETE THIS WORD FROM YOUR DIST NARY …ICICI EK CHOR BANK
THESE KIND OF FRAUDULENT SHOULD BE STOPPED AND NEVER ADVISED TO ATTACHED WITH ICICI …JUST DELETE THIS WORD FROM YOUR DIST NARY …ICICI EK CHOR BANK
बहुत सही सलाह दी आप ने, वैसे मैने भारत मे देखा हे लोग बहुत कम सलाह लेते हे मित्रो से, बस गुपचुप काम कर लेते हे, या उन लोगो से सलाह लेते हे जिन्हे खुद नही मालूम होता, ओर फ़िर ऎजेंटॊ की लुभावनी बातो मे आ जाते हे, लेकिन हम हर बात को कुरेद कर पूछ्ना चाहिये जब तक समझ मे ना आये, यह एजेंट इसी बात की कमीशन खाते हे, लेकिन हम शर्म कर जाते हे, ओर यही फ़ंस जाते हे
आईसीआईसीआई यानि मैने देखा..मैने देखा..मैने चोर मंडली की सरदार है निशांत मिश्रा जी की यह बात तथ्य के काफ़ी निकट है.
रामराम.
ये सब मिलीभगत से गरीब जनता को लूट रहे हैं, जनता को सांतवना के लिये कहने भर को रेगुलेटर बैठा रखे हैं जो इनका ही हित देखते हैं, यदा कदा झूंठी बयान बाजी इनके खिलाफ़ कर देते हैं.
रामराम
ICICI चोर बैंकिंग के चक्कर में फंसकर बहुतेरे लुट चुके हैं. वैसे बाकी कम्पनियाँ भी कोई दूध की धुली नहीं हैं लेकिन तरह-तरह की शर्तें लगाकर ग्राहकों का मेहनत का पैसा हड़पने में ICICI नंबर वन है. इन लोगों ने प्रीमियम इलाकों में अपनी लकदक ब्रांचें ऐसे ही नहीं खोल लीं. इनके टॉप लेवल पर जो भी लोग सालाना करोड़ों का वेतन लेते हैं वह सब संजय कुमार राणा जैसे लोगों की जेब से ही निकलता है.