फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने वाले सरपंच के विरुद्ध क्या कार्यवाही करें?
|हितेश ने कैलाशपुरी, राजसमन्द से समस्या भेजी है कि-
हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में गत सरपंच ही सरपंच चुना गया। उस के द्वारा चुनाव के आवेदन में जाली फर्जी आठवीं पास का प्रमाण पत्र 1979-80 का दिया गया जो कुछ मौतबीर व्यक्तियों द्वारा सूचना अधिकार के द्वारा संबन्धित विद्यालय से सूचना करने पर पता लगा कि वह कभी उस स्कूल में पढ़ा ही नहीं। सरपंच ने गत कार्यकाल में प्रौढ शिक्षा में परीक्षा दी व उत्तीर्ण की जो प्रौढ organization के अनुसार तीसरी कक्षा के समान है, तथा बीपीएल सर्वे में सरपंच ने स्वयं को अनपढ बताया है। उपरोक्त सभी आरोपों के सबूत सूचना अधिकार से मंगवा लिए गए हैं। लिखित मे अपने पास रखे हैं। आप बताएँ कि क्या हम सरपंच के विरूद्ध हाईकोर्ट मे रिट द्वारा कोई कार्यवाही कर सकते हैं क्योंकी एसीजेएम न्यायालय में इसका इस्तगासा दिया गया है लेकिन पुलिस अन्वेषण में लीपापोती ही कर रही है। मामले को लम्बा खींच रही है। जब कि उन्हें सारे सबूतों की प्रमाणित कॉपी दे दी गई है। हम आगे क्या कार्यवाही करें और कौन सी कार्यवाही की जा सकती है? क्या भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो या भ्रष्टाचार न्यायालय में कोई कार्यवाही की जा सकती है, मार्गदर्शन करें।
समाधान-
सरपंच विधि पूर्वक चुना जा कर सरपंच बना है उस के विरुद्ध चुनाव लड़ने वाला कोई प्रत्याशी चुनाव याचिका जिला जज के समक्ष प्रस्तुत कर सकता था जो कि नहीं की गई है। अब तो समय निकल चुका होगा। आप ने सबूत एकत्र कर के अपराधिक मुकदमा चलाने के लिए न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया है यही एक मात्र तरीका है। जिस के द्वारा उस के विरुद्ध कार्यवाही की जा सकती है। इस परिवाद को आप ने धारा 156 (3) दं.प्र.सं. में पुलिस को अन्वेषण के लिए भिजवा दिया जिस की आवश्यकता नहीं थी। आप को चाहिए था कि आप उन सबूतों के साथ परिवादी और एक दो गवाहों का बयान करवा कर न्यायालय को ही प्रसंज्ञान लेने के लिए कहते।
अब यदि मामला पुलिस के पास है तो आप न्यायालय में आवेदन कर के यह कह सकते हैं कि पुलिस से अन्वेषण की प्रगति रिपोर्ट मंगाई जाए। यदि पुलिस लीपापोती कर के इस मामले में अभियोग पत्र प्रस्तुत करने से इन्कार करते हुए अन्तिम प्रतिवेदन प्रस्तुत करती है तो परिवादी व गवाहों के बयान करवा कर मजिस्ट्रेट को निवेदन किया जा सकता है कि वे इन सबूतों के आधार पर प्रसंज्ञान ले कर मुकदमा चलाएँ।
इस के अलावा आप राज्य सरकार पंचायत राज विभाग के निदेशक को सभी सबूतों को प्रस्तुत करते हुए सरपंच को उस के पद से हटाने के लिए आवेदन दे सकते हैं। राज्य सरकार को पंचायत अधिनियम की धारा 38 में सरपंच को हटाने का अधिकार है।