DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

बँटवारे पर उत्तराधिकारियों में सहमति न होने पर बँटवारे का दीवानी वाद ही सही हल है।

real5समस्या-

अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश से पूछा है-

मेरे पिताजी का ६मार्च 2014 को देहांत हो गयाहै। पिता का बनवायाकानपुर में दो मंजिला मकान है। मेरी सरकारीपोस्टिंग झाँसी में है। नीचेमंजिल में बड़े भाई रहते हैं। ऊपर की दूसरी मंजिल में मंझले भाई, आगेऔर पीछेके दो कमरे और किचन मेरे पास थे। जब पिताजी बीमार हुए तो मेरे कमरों मेंरहनेलगे। उनकी मृत्यु के बाद त्रयोदशी के उपरांत मैं झाँसी आ गया। तोमेरे मंझले भाई ने मेरे कमरों में अपना कब्ज़ा कर लिया। मेरे दोनों भाई अबकह रहे है कि पिता जी के बैंक खाते में 6 लाख रुपये हैं उनसे तीसरी मंजिलमें कमरे बनवा लो। जबकि उन नीचे के दोनों हिस्सों की कीमत ३०-३० लाख है। मुझे यह मंज़ूर नहीं है। वे दबंग है। मुझे न्यायालय जाना चाहिए कि नहीं।मुझे न्याय प्राप्त करने के लिया क्या करना चाहिए?

समाधान-

मुझे नहीं लगता कि आप भाइयों के बीच का यह विवाद आप आपस में बैठ कर निपटा सकते हैं। आप को तुरन्त पिताजी की सारी संपत्ति के विभाजन के लिए दीवानी वाद दायर करना चाहिए। जिस में आप को मांग करनी चाहिए कि पिताजी की जो भी चल-अचल संपत्ति है उस का समान बँटवारा किया जाए। यही एक मात्र उचित मार्ग है।

प न्यायालय से बँटवारे के वाद में यह प्रार्थना कर सकते हैं कि प्रत्येक उत्तराधिकारी को समान हिस्सा दिया जा कर अचल संपत्ति के भाग का पृथक कब्जा दिलाया जाए और संभव न होने पर संपत्ति को विक्रय कर सब को उन के हिस्से का मूल्य दिलाया जाए। फिर न्यायालय में बँटवारे के वाद की सुनवाई के दौरान हो सकता है सब के बीच आपसी समझौते से मार्ग निकल आए।

प को लग सकता है कि वाद की सुनवाई के दौरान भाई तो संपत्ति के कब्जे में रहेंगे और आप को खर्च करना पड़ेगा। तो आप यह कर सकते हैं कि वाद प्रस्तुत करने के तुरंत बाद ही नकद राशि को बैंक आदि में रुकवाने के लिए अस्थाई निषेधाज्ञा के लिए आवेदन कर सकते हैं और संपत्ति को रिसीवर के कब्जे में देने के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। यदि न्यायालय ने रिसीवर नियुक्त किया तो कब्जे वाले उत्तराधिकारियों को रिसीवर को किराया देना होगा जो रिसीवर के पास जमा होगा और बँटवारा होने पर सब को उन के हिस्से के साथ मिल सकेगा।