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बहू से मकान का कब्जा लेने के लिए कब्जे का दीवानी वाद संस्थित करें

समस्या-

मेरी उम्र 75 साल है। मेरे पति की मौत 30.11.2008 में हो गई है। मेरा एक लड़का और एक लड़की है। दोनों की शादी हो चुकी है। लड़के की शादी 17 साल पहले हुई थी, उसके दो बेटे हैं। मेरे पति ने कुछ पैसे अर्जित कर यहाँ रोहतक में एक मकान बनाया था।  हम लोगो का गाँव उ० प्र० में है।  मेरे पति रोहतक में मंदिर में पुजारी थे।  हम सब लोग अभी तक उसी मकान में रह रहे हैं। मेरे पति ने कोई वसीयत नहीं की थी।  मेरे पति की मौत के बाद मैं ने अदालत से रजिस्टर्ड डिग्री का केस फाइल कर के मकान की रजिस्टर्ड डिक्री मेरे नाम करवा ली है।  जिसमें मेरे लड़का और लड़की ने अदालत में जाकर मकान मेरे नाम करने के बयान भी दिए हैं। लेकिन अब मेरी बहू और बेटे के बीच कई सालों से झगडा चल रहा है और दोनों ने एक दूसरे पर कोर्ट केस कर रखे हैं। मेरा लड़का करीब चार सालों से मेरे घर में नहीं रह रहा है। लेकिन बहू और बच्चे अभी भी मकान में ही रह रहे हैं। मुझे मेरी बहू शुरु से ही नहीं चाहती है। अब तो उसने मेरा जीना ही दुश्वार कर दिया है। बात बात पर मुझे गाली देती है, मारती पीटती है और मुझे कहती है कि मेरे घर से निकल जा।  इस सभी से तंग आकर मैंने अपने बेटा और बहू को अपनी चल अचल सम्पत्ति से बेदखल कर दिया है।  लेकिन वो लोग मेरे ही घर में रहकर मुझे ही मारते पीटते हैं और बहू कहती है कि मकान पर मेरा हक़ है। तू यहाँ से निकल जा। इसलिए मैं आपसे जानना चाहती हूँ कि इस पर कानून क्या है? क्यों कि मेरी जिन्दगी अब नरक बन चुकी है। क्या कानून में उन लोगों का कोई हिस्सा बनता है या नहीं? जबकि ये मेरी पूर्वजों की जायदाद नहीं है। पूर्वजों की जायदाद गाँव में है।

-श्रीमती राधा, रोहतक, हरियाणा

समाधान-

क्त मकान जो आप के पति ने बनवाया था और आप के पति की संपत्ति था। आप के पति ने कोई वसीयत नहीं की थी, इस कारण से आप के पति के देहान्त के साथ ही उक्त मकान पर आप का, आप के पुत्र और पुत्री का संयुक्त स्वामित्व स्थापित हो गया था। लेकिन आप के कथनानुसार आप के पुत्र-पुत्री ने अदालत जा कर मकान आप के नाम करवाया है। आप उसे स्पष्ट नहीं कर पा रही हैं। किसी भी पारिवारिक संयुक्त संपत्ति में हिस्सेदार व्यक्ति अपना हिस्सा किसी अन्य हिस्सेदार के पक्ष में त्याग सकता है। इस के लिए उप रजिस्ट्रार के कार्यालय में हक-त्याग विलेख पंजीकृत कराना होता है। आप के कथनों से लगता है कि आप के पुत्र-पुत्री ने वही विलेख आप के पक्ष में निष्पादित कर उपपंजीयक के यहाँ पंजीकृत करवाया है।

दि आप के पुत्र-पुत्री ने उक्त विलेख पंजीकृत करवाया है तो फिर रोहतक का मकान आप  की निजि संपत्ति है। इस पर किसी भी अन्य व्यक्ति का कोई अधिकार नहीं है। आप चाहें तो इस मकान से अपने बहू को उस के बच्चों सहित बेदखल कर सकती हैं। क्यों कि आप की बहू और उस के बच्चे इस मकान में आप के पति के समय से निवास कर रहे हैं, इस कारण से वे एक प्रकार से एक लायसेंस के माध्यम से उस में निवास कर रहे हैं। उन्हें आप के मकान से बेदखल करने के लिए आप को लायसेंस समाप्त करने की घोषणा कर के उन के विरुद्ध कब्जा प्राप्त करने का दीवानी वाद प्रस्तुत करना होगा। आप एक विधिक नोटिस प्रेषित कर के उन्हें लायसेंस समाप्त करने की सूचना दे सकती हैं और उस के बाद बहू के विरुद्ध बेदखली का वाद प्रस्तुत कर सकती हैं। इस वाद को प्रस्तुत करने के लिेए आप को न्यायालय शुल्क देनी पडे़गी जो कि मकान के उस भाग की कीमत के आधार पर तय होगी जिस भाग में आप की बहू निवास करती है। यह कुछ अधिक हो सकती है। इस कार्य को करने के लिए आप को रोहतक में किसी विश्वसनीय वकील से संपर्क करना होगा।

र्तमान में आप की बहू और उस की संताने आप के साथ ठीक व्यवहार नहीं कर रहे हैं और मार-पीट करते हैं, झगड़ा करते हैं। आप को इस के लिए महिलाओं का घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत मजिस्ट्रेट के न्यायालय में आवेदन करना होगा। इस आवेदन पर मजिस्ट्रेट आप की बहू और उस की संतानों को बुला कर आदेश देगा कि वे आप को तंग न करें, वह यह भी आदेश दे सकता है कि वे मकान के आप के वाले भाग में व दोनों के उपयोग वाले भाग में प्रवेश न करें। मजिस्ट्रेट द्वारा यह आदेश पारित कर देने के बाद यदि आप की बहू और उस की संतानें यदि आदेश का उल्लंघन करते हैं तो आप पुनः न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर न्यायालय के आदेश के उल्लंघन की सूचना दे सकती हैं। इस पर न्यायालय आप की बहू को तथा उक्त आदेश का उल्लंघन करने वाले को कारावास और जुर्माने के दंड से दंडित कर सकती है।

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