बीमा कंपनी द्वारा दावा अस्वीकार करने पर उपभोक्ता न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करें।
|देवेन्द्र ने अमृतसर, पंजाब से पूछा है-
मैं ने अगस्त 2012 में आईओबी बैंक से कम्यूटर का शोरूम बनाने के लिए 11 लाख रुपए का ऋण लिया था। बैंक ने मेरे घर को सीक्योरिटी में रख कर मुझ 11 लाख की लिमिट दी थी। अप्रेल 2013 में मेरी दुकान में चोरी हो गई। मेरा सारा सामान चोरी हो गया। बैंक ने स्टाक का बीमा करवा रखा था लेकिन बीमा कंपनी ने मेरा दावा अस्वीकार कर दिया। मेरे पास बैंक का ऋण चुकाने के लिए कुछ भी नहीं है। मुझे क्या करना चाहिए?
समाधान-
बैंक तो अपना ऋण आप से वसूल करेगा क्यों कि उस ने ऋण आप को दिया था। वह सीक्योरिटी में रखे मकान को कुर्क कर के ऐसा कर सकता है।
मूल समस्या बीमा कंपनी द्वारा आप का दावा अस्वीकार करना है। बीमा कंपनी ने आप का दावा किस आधार पर खारिज किया है यह जानने की कोशिश करें। यदि वह आधार गलत है तो आप बीमा कंपनी को नोटिस दे कर उपभोक्ता न्यायालय में अपना परिवाद बीमा कंपनी के विरुद्ध प्रस्तुत करें। चूंकि बीमा बैंक द्वारा कराया गया था, इस कारण आप इस परिवाद में बैंक को भी प्रतिपक्षी पक्षकार बना सकते हैं और उपभोक्ता न्यायालय से यह निवेदन कर सकते हैं कि जब तक आप के परिवाद का निर्णय न हो जाए बैंक आप से ऋण की वसूली को स्थगित रखे।
इस परिवाद को करने के लिए आप को किसी अच्छे वकील की मदद लेनी होगी जो कि बीमा कंपनी से इस परिवाद के माध्यम से चोरी से हुई आप की क्षतियों की क्षतिपूर्ति दिलवा सके।