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बेनामी लेन-देन अपराध है, और सजा तीन वर्ष तक की कैद

गर विकास न्यास ने एक महिला को भूमि का विक्रय किया। जब उस की और से भूमि की विकास न्यास के बैंक खाते में जमा कराई जाने लगी तो बैंक कैशियर ने कहा कि राशि अधिक है, जमाकर्ता के पैन कार्ड की सत्यापित फोटो प्रति चाहिए। जमा कराने वाले ने पूछा कि पैन कार्ड तो नहीं है, क्या किसी दूसरे के पैन कार्ड से काम चलेगा? तो कैशियर कहने लगा कि पैन कार्ड उसी का चलेगा जिस के नाम से राशि जमा कराई जा रही है या फिर आप चैक से जमा करवा दें। वहीं एक न्यास कर्मचारी ने सुझाव दिया कि दूसरे के खाते में राशि जमा करवा दें और उस के खाते का चैक जमा करवा दें तो हो जाएगा। मैं ने उसे कहा कि यह तो बेनामी लेन-देन है और अपराध है, इस पर तो सजा हो सकती है। 
बेनामी लेन-देन का अर्थ है यदि किसी व्यक्ति के नाम से कोई संपत्ति खरीदी जाती है और उस की कीमत का भुगतान कोई और करता है तो यह बेनामी लेन-देन कहलाएगा। इस तरह के लेन-देन को 5 सितम्बर 1988 से बेनामी लेन-देन प्रतिषेध अधिनियम 1988 के द्वारा अपराधिक बना दिया गया है। यदि कोई बेनामी लेन-देन करता है तो यह अपराध है और ऐसा करने वाले को तीन वर्ष तक की सजा और जुर्माने के दंड से दंडित किया जा सकता है। 
स तरह के लेन-देन के अपवाद भी हैं। जैसे, यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी या अविवाहित पुत्री के नाम से कोई संपत्ति खरीदता है और उस के मूल्य का भुगतान करता है तो इसे बेनामी लेन-देन की श्रेणी में नहीं माना जाएगा और यह अपराध नहीं होगा। किन्तु इस तरह क्रय की गई संपत्ति के बारे में यह धारणा की जाएगी कि वह पत्नी या पुत्री के लाभ के लिए खरीदी गई है। बाद में कीमत का भुगतान करने वाला पति या पिता उस संपत्ति पर इस आधार पर अपना अधिकार नहीं जमा सकता कि उस का भुगतान उस के द्वारा किया गया था। 
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