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बहुत आसान है झूठ से किसी का अपमान और बदनामी करना।

defamationसमस्या-

अंकित राय ने तहसील मुंगावली, मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है कि-

म लोग किसान हैं। मेरे पिताजी अपने खेत पर पानी के लिए दिनांक 26/05/2015 को कुआ खुदवा रहे थे को। हमारा एक पड़ोसी है ओर वह लोकल पत्रकार है। उसने तहसील को अवैध उत्खनन करने की झूठी शिकायत कर दी। जिस के चलते एसडीएम ने कार्यवाही की तो उस पत्रकार ने वहाँ के लोकल न्यूज़ पेपर मे झूठी घटना को बड़ा चड़ा कर छापा है। जब कि जो खबर पेपर मे छपी है। वैसा कुछ भी नहीं है। और मेरे पास इस के सत्यापित दस्तावेज भी हैं और जिस दिन जो खबर पेपर मे छपी थी उस दिन का पेपर भी मेरे पास है। यदि मै उस पत्रकार के खिलाफ कोर्ट में एक आबेदन दूँ। जो खबर छपी है वह झूठी है। तो उस पत्रकार के खिलाफ कोर्ट की तरफ से एक्शन होगा?

समाधान-

खबारों में रोज ही अनेक मिथ्या खबरें छपती हैं और कोई कार्यवाही नहीं होती। अगले दिन फिर कुछ खबरें झूठी छप जाती हैं। यदि अदालतें इस के खिलाफ कार्यवाही करने लगतीं तो अखबारों के लिए इस तरह की झूठी खबरें छापना आसान नहीं होता। यदि आप समझते हैं कि इस झूठी खबर से आप का अपमान हुआ है और आप की बदनामी हुई है तो आप उस इलाके के थाने पर क्षेत्राधिकार रखने वाले मजिस्ट्रेट के न्यायालय में अपने अपमान और बदनामी के लिए परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं क्यों कि किसी व्यक्ति का अपमान करना और मिथ्या बदनामी करना अपराध है जो धारा 500 आईपीसी के अंतर्गत दंडनीय है।

लेकिन यह एक संज्ञेय अपराध नहीं है जिस पर पुलिस स्वयं कार्यवाही कर सकती हो। इस के लिए आप को स्वयं न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करना होगा। अपने और गवाहों के बयान कराने होंगे। यदि मजिस्ट्रेट को लगता है कि प्रसंज्ञान लेने लायक मामला है तो वह प्रसंज्ञान ले कर अभियुक्तों के विरुद्ध समन जारी करेगा। उस के बाद सुनवाई हो कर यदि पाया गया कि आप द्वारा लगाया गया आरोप सिद्ध होता है तो अभियुक्तों को दोष सिद्ध पाया जाने पर उन्हें दंडित किया जा सकता है।

ब तक न्यायालय द्वारा प्रसंज्ञान नहीं लिया जाता है तब तक अभियुक्त न्यायालय में नहीं आएंगे। लेकिन आप को तो मुकदमे का जब तक निपटारा नहीं होता न्यायालय में हर पेशी पर उपस्थित होना पड़ेगा। यदि आप किसी पेशी पर उपस्थित होने की स्थिति में नहीं हैं तो अपने वकील से उपस्थिति को माफ करवाने के लिए आवेदन प्रस्तुत कराना होगा। यह प्रक्रिया परिवादी के लिए इतनी तकलीफदेह है कि अक्सर लोग इस तरह का परिवाद ही नहीं करते। यही कारण है कि इस तरह झूठ फैला कर किसी का भी अपमान करना, बदनामी करना आसान हो गया है।

प चाहते हैं कि इस मामले में कार्यवाही की जाए तो आप पहले अखबार के संपादक, प्रकाशक और मुद्रक को नोटिस दें कि उन्हों ने गलत खबर छापी है जिस से आप अपमानित हुए हैं और आपकी बदनामी हुई है। यदि वे इस खबर का स्पष्टीकरण प्रकाशित करते हैं और आप को उचित प्रकार से क्षतिपूर्ति अदा करते हैं तो ठीक अन्यथा आप फौजदारी और दीवानी कार्यवाही करेंगे। इस नोटिस का समय गुजरने तक भी यदि अखबार आप को उचित प्रकार से संतुष्ट नहीं करते हैं तो आप ऐसा परिवाद मजिस्ट्रेट के न्यायालय को प्रस्तुत कर सकते हैं। इस के साथ ही आप अपने अपमान और बदनामी करने के लिए क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए दीवानी वाद भी कर सकते हैं। लेकिन दीवानी वाद में आप जितनी क्षतिपूर्ति मांगेंगे उस के हिसाब से आप को न्यायालय की फीस भी अदा करनी होगी।

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