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बेनामी संपत्ति पर उसी का अधिकार है जिस के नाम वह खरीदी गई है

समस्या-

सासाराम, बिहार से संजु कुमार ने पूछा है-

 हम तीन भाई हैं।  मैं सबसे छोटा हूँ।  पिताजी ने 1982 में बडे भाई के नाम से उनकी किशोरावस्था में (जब वे 11-12 साल के थे) दो कट्ठा जमीन खरीदी थी।  उस जमीन पर अन्य दो भाईयों का क्या अधिकार है?  स्वयं पिताजी का उस जमीन पर कितना अधिकार है?  कृपया कानून की धाराओं का भी उल्लेख करें।

 समाधान-

प के पिता जी ने 1982 में यह जमीन खरीदी थी।  तब यह एक बेनामी खरीद थी। अर्थात जमीन खरीदने के लिए धन आप के पिताजी ने दिया था और उस जमीन के विक्रय पत्र का निष्पादन आप के भाई के नाम हुआ था।  आप के पिता जी के पास यह अधिकार था कि वे न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर के यह घोषणा करवा सकते थे कि यह जमीन उन की है और उन का उस भूमि पर स्वामित्व है।  इस वाद में यह डिक्री पारित की जा सकती थी कि भूमि का स्वामित्व बेनामी है और वास्तव में आप के पिताजी उस भूमि के स्वामी हैं।

 किन्तु बेनामी ट्रांजेक्शन्स (प्रोहिबिशन) एक्ट 1988 में पारित हुआ और 5 सितंबर 1988 को प्रभावी हो गया।  इस अधिनियम के द्वारा बेनामी संपत्ति हस्तान्तरण को अवैध तथा दंडनीय अपराध बना दिया गया। इसी अधिनियम की धारा 4 के द्वारा यह उपबंधित किया गया कि किसी भी बेनामी संपत्ति पर किसी भी अधिकार के संबंध में कोई भी दावा उस व्यक्ति के विरुद्ध जिस के नाम वह संपत्ति रिकार्ड में है इस आधार पर नहीं किया जा सकेगा कि वह उस संपत्ति का वास्तविक स्वामी है। इस प्रकार 5 सितंबर 1988 के बाद कोई भी व्यक्ति बेनामी संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित कराने का अधिकारी नहीं रहा। इस का असर यह हुआ कि उक्त तिथि के उपरान्त बेनामी संपत्ति उसी व्यक्ति के स्वामित्व की हो गईँ जिस के नाम वे रेकार्ड में दर्ज हैं।

प के पिता जी द्वारा आप के भाई के नाम खरीदी गई जमीन को आप के पिता जी 5 सितंबर 1988 के पूर्व तक दावा प्रस्तुत कर उसे अपनी संपत्ति घोषित करवा सकते थे लेकिन अब उन्हें या किसी भी अन्य व्यक्ति को यह अधिकार नहीं रह गया है। इस तरह आप के पिता जी के द्वारा आप के भाई के नाम खरीदी गई संपत्ति पर केवल उसी भाई का अधिकार है जिस के नाम वह खरीदी गई थी। अन्य किसी का भी कोई अधिकार नहीं रह गया है।

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