बैंक या पुलिस से मूल द्स्तावेज वापस कैसे प्राप्त किए जाएँ?
|राजेश कुमार पूछते हैं —
परिवार का एक परिचित संजय कुमार 2007 में मेरी माताजी से हमारे भूखंड के स्वामित्व के मूल दस्तावेज बिजली कनेक्शन लगवाने के लिए ले गया। उस ने जुलाई 2007 में उन दस्तावेजों को प्रस्तुत कर कैनरा बैंक शेखपुरा से चार लाख रुपये का ऋण मेरे पिता के नाम से ले लिया। जब कि मेरे पिता जी का देहान्त 1994 में ही हो चुका था। जैसे ही मुझे जानकारी मिली मैं ने उस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट पुलिस थाना शेखपुरा में बैक मैनेजर और संजयकुमार के विरुद्ध दर्ज करवा दी, जो क्रमांक 13/2008 पर दर्ज है। संजय कुमार और बैंक मैनेजर ने पटना उच्च न्यायालय से जमानत करवा ली लेकिन पुलिस ने अभी तक कोई आरोप-पत्र अदालत में प्रस्तुत नहीं किया है। संजय कुमार शहर छोड़ गया है और हमारी संपत्ति के स्वामित्व के मूल दस्तावेज बैंक में रखे हैं। मेरे पास मेरे पिता जी का मृत्यु प्रमाण पत्र है। मैं अपनी संपत्ति के मूल दस्तावेज प्राप्त करने के लिए बैंक के अधिकारियों से मिला लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। कृपया सलाह दें कि मुझे अपनी संपत्ति के स्वामित्व के मूल दस्तावेज प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर —
राजेश जी,
आप के इस मामलें में पुलिस द्वारा न्यायालय में अब तक आरोप पत्र दाखिल न करना एक आश्चर्यजनक बात है। आप ने निश्चित रूप से यह पता किया होगा कि ऐसा क्या कारण है जिस के कारण ऐसा नहीं हो सका। यदि आप को पता न हो तो आप तुरंत पुलिस से पूछिए कि उस ने आरोप पत्र क्यों नहीं प्रस्तुत किया है।
जहाँ तक मूल दस्तावेज का प्रश्न है वे आप के द्वारा दर्ज कराई गई प्रथम सूचना रिपोर्ट से उत्पन्न मुकदमे में आवश्यक साक्ष्य हैं। इस लिए उन्हें मूल ही पुलिस द्वारा बैंक से बरामद किया जाना चाहिए था और आरोप-पत्र के साथ प्रस्तुत करना चाहिए था। आप को ये दोनों बातों की जानकारी पुलिस से करनी चाहिए। यह भी हो सकता है कि ये मूल दस्तावेज या ऋण के संबंध में निष्पादित किए गएया प्रस्तुत किए गए अन्य दस्तावेज किसी तरह की विशेषज्ञ जाँच के लिए भेजे गए हों और वहाँ से रिपोर्ट आना शेष हो। इसी कारण से आरोप पत्र प्रस्तुत करने में देरी हो रही हो। आप को चाहिए कि आप पुलिस के अन्वेषण अधिकारी से मिल कर इस मामले में जानकारी कर लें कि दस्तावेज कहाँ हैं?
यदि पुलिस ने आप की संपत्ति के स्वामित्व के मूल दस्तावेज बैंक से जब्त कर लिए हैं तो वे अब मुकदमे के समाप्त होने के उपरांत आप के आवेदन प्रस्तुत करने पर न्यायालय द्वारा आप को लौटाए जा सकेंगे। तब तक आप उप पंजीयक कार्यालय से उन की प्रमाणित प्रतियाँ प्राप्त कर अपना काम चला सकते हैं।
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श्रीमान जी, आज राजेश कुमार की समस्या पढ़कर काफी हैरानी हुई कि पुलिस ने अब तक आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है.उपरोक्त समस्या को पढते हुए एक ज़िज्ञासा हुई कि क्या आरोप पत्र (चालान ) दाखिल करने की कोई समय सीमा भी होती है या नहीं, अगर होती है तब कितनी होती है और क्या कोई ऐसी विशेष धारा भी होती है.जिसमें समय सीमा का कोई मापदंड नहीं होता है आरोप पत्र दाखिल करने का. इसके अतिरिक्त धारा 498ए व 406 में यह कितने दिनों की समय सीमा निर्धारित है. श्रीमान जी, मैं बहुत ज़िज्ञासु प्रवृति का व्यक्ति हूँ. इसलिए आपको ज्यादा परेशान कर सकता हूँ वैसे मेरी ज़िज्ञासा शांत करने के साथ ही आपके पाठकों को भी अच्छी अच्छी जानकारी प्राप्त हो सकेंगी. यह भी हो सकता है कि जो प्रश्न मैं पूछता हूँ वो शायद पहले किसी ने पूछा ही न हो और इससे आपको भी नित नई-२ जानकारी देने में ख़ुशी होगी. ऐसा मेरा विचार है. किसी प्रकार की गलती होने पर क्षमा करें.
श्रीमान जी, मैं आपको एक ईमेल से कुछ हिंदी के फोंट्स भेज रहा हूँ . जो हम पत्र पत्रिकाओं में प्रयोग करते है. हमारी पत्र पत्रिकाओं adobe pagemaker 7.0 के सोफ्टवेयर तैयार होती थी. इसलिए मुझे हिंदी की टायपिंग आती है. उस में सुविधा होती है. नेट पर हिंदी के लिए अंगरेजी आनी चाहिए. अगर आप अपने कंप्यूटर में उपरोक्त फोंट्स लोड कर लेते है. काफी सुविधा होगी. आपका अभी अभी ईमेल मिला है, आपके द्वारा सुझाई हिंदी सिखाने की कोशिश करूँगा.
हे राम…. कहां तक हम गिरेगे…. आप ने बहुत अच्छी सलाह दी यह सलाह ऒर भी बहुत से लोगो के काम आयेगी. धन्यवाद
अच्छी प्रस्तुती और अच्छा सलाह ,वास्तव में आज विश्वासघात का अपराध चरम पर है जिसका कानूनी समाधान खोजने के वजाय सामाजिक व व्यवहारिक समाधान खोजने की जरूरत है ,इंसानियत और इन्सान को हर तिकरमबाज धोखा देकर परेशान करता है ..शर्मनाक है ऐसी बातें ?