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पति-पत्नी के बीच परस्पर विश्वास ही दृढ़ दाम्पत्य का आधार है।

rp_judicial-sepr2.jpgसमस्या-

राहुल ने कानपुर, उत्तरप्रदेश से उत्तर प्रदेश राज्य की समस्या भेजी है कि-

मेरा विवाह 2003 को हुआ था । मेरा साला लालची प्रवृत्ति का व्यक्ति है जो अपनी बहन अर्थात मेरी पत्नी को निरन्तर गुमराह करता रहता है कई बार उधार रकम ले चुका है आज तक वापस नही किया । तथा मेरे पिता जी से भी पूर्व में रकम ले चुका है वापस मांगने पर दहेज़ में फ़ँसाने की धमकी देता है तथा मकान जो मेरी माँ के नाम है अपनी बहन/ मेरी पत्नी के नाम करने को दबाव बनाता है। किन्तु दुर्भाग्य से 2 वर्ष पूर्व मेरे पिताजी की इन सब कलह और धमकियों से परेशानी के कारण बीमारी बढ़ती गयी और असमय उनकी मृत्यु हो गयी। मृत्यु के पश्चात् इनके हौसले और भी बढ़ गए। मेरी पत्नी भी उसका सहयोग करती है तथा बिना बताये मायके चली गयी। मैं घर का एकलौता पुत्र हूँ 2 बहनें हैं। सब का विवाह हो चुका है। वे अपने ससुराल में रहती हैं। उन की और अपनी सुरक्षा के लिये मैं ने चुपचाप अपनी और माँ की तरफ से ज़िलाधिकारी को तथा पुलिस चौकी में पत्र द्वारा सूचित कर दिया दिया था कि भविष्य में साले द्वारा अपनी बहन/ मेरी पत्नी को मिला कर दबाव बनाने के लिए किसी भी अप्रिय घटना करवा सकता है। पिताजी की मृत्यु के 6 महीने पश्चात् अनुमान सच हुआ । ठीक पंद्रह दिन के पश्चात संरक्षण अधिकारी का नोटिस आया नोटिस आने के पश्चात् मैंने धारा-9 लगाया जो मुझे पहले करना चाहिए था। मैं ने सम्मान के साथ उसे साथ में रहने का आग्रह किया। दुर्भाग्य से बात नहीं बनी और घरेलू हिंसा पत्नी की तरफ से तथा पिता की तरफ से 498ए का परिवाद हो गया। 498ए का मामला अदालत ने मीडिएशन में भेज दिया। जानकारी चाहता हूँ कि मीडिएशन असफल होता है तो क्या मेरे द्वारा किया गाया प्रयास से मुझे राहत मिल सकती है क्या प्रयास उचित था।

समाधान-

गता है आप के व आप की पत्नी के बीच विश्वास पूरी तरह से अभी तक बना नहीं है, जब कि दाम्पत्य के स्थायित्व का आधार ही वही है। जिस का लाभ आप का साला व आप की ससुराल वाले उठाते हैं। यदि पत्नी और आप के बीच का विश्वास कम होता है तो आगे आप को विवाह विच्छेद का तरीका तलाशना पड़ेगा। यदि विश्वास बढ़ता है तो धारा-9 में आदेश करवा कर वह आप के साथ रहने को आ सकती है।

प ने पहले जो पुलिस को सूचना दी थी वह उचित कदम था। उस का लाभ आप को मिडिएशन में भी और आगे भी प्राप्त होगा। आप को चाहिए कि जो भी मुकदमे हैं उन में ठीक से पैरवी करवाएँ। पत्नी से लगातार बात करें और संपर्क में रहें जिस से आप दोनों के बीच का आपसी विश्वास बढ़े, क्यों कि उसी से समस्याओं का हल निकलेगा।

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