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ब्लागर हैं तो क्या? कानून से ऊपर नहीं

दिनेशराय द्विवेदी

कल से ही डी अजित के मामले की ब्लाग जगत में चर्चा है। पर्याप्त प्रयत्न करने के उपरांत भी इस मामले में दिया गया सर्वोच्च न्यायालय का मूल आदेश पढ़ने को नहीं मिल सका है। लेकिन इस निर्णय की जो रपटें यत्र-तत्र समाचार साइटों पर पढ़ने को मिली हैं उन से सर्वोच्च न्यायालय का संदेश बहुत स्पष्ट है। चाहे आप ब्लागरी कर रहे हों या किसी साइट पर कम्युनिटी चला रहे हों आप को कानूनों के प्रति जिम्मेदार होना पड़ेगा। आप के ब्लाग या कम्युनिटी पर कोई आलेख, या टिप्पणी, या कोई अन्य सामग्री चाहे वह किसी के नाम से हो या अनाम हो, ब्लाग या साइट स्वामी की अनुमति से ही वहाँ प्रकाशित होती है। यदि वह सामग्री कोई अपराध गठित करती है… (आगे पढ़ें)
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