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दादी जी से भूमि के बँटवारे का वाद प्रस्तुत कराएँ

agricultural-landसमस्या-

पदम कुमाँवत ने मुखाब खुर्द, तहसील शिव, बाड़मेर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मेरे दादाजी की ली हुई १० बीघा जमीन है जो मेरे बड़े पापा के नाम करवाई हुई है। बड़े पापा जब १० साल के थे तब करवाई थी। मेरे दादाजी का स्वर्गवास हो गया। दादी जी बोल रही हैं तीनो बेटो के नाम जमीन करनी है। लेकिन बड़े पापा बोल रहे हैं मेरे नाम जमीन है आपका कोई हक़ नही है। क्या अब हम न्यायालय की शरण ले सकते हैं या कोई और उपाय कृपया मुझे आपकी राय जरूर दिलावे।

समाधान-

प के दादा जी ने उक्त जमीन तब खरीदी थी जब कि आप के बड़े पापा केवल दस वर्ष के थे। उन की अपनी कोई आय नहीं थी। इस तरह उक्त जमीन के स्वामी आप के दादा जी थे। संभावना इस बात की है कि यह जमीन 5 सितंबर 1988 के पूर्व खरीदी गई हो जब तक कि बेनामी ट्रांजेक्शन्स प्रोहिबिशन एक्ट प्रभावी नहीं हुआ था। इस तरह इस भूमि का स्वामित्व बेनामी था। कानून के अनुसार यह भूमिं आप के दादा जी की ही संपत्ति थी और इस का बँटवारा हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार होना चाहिए जिस में आप के दादा जी के सभी पुत्रों, पुत्रियों और पत्नी को बराबर का हिस्सा मिले। बस आप को यह साबित करना होगा कि यह संपत्ति आप के दादा जी ने खरीदी थी। यह सब आसान इस कारण से है कि उस समय आप के बड़े पापा जी की आयु सिर्फ 10 वर्ष की थी।

प की दादी जी चाहती हैं कि उक्त भूमि का बँटवारा कानून के अनुसार हो। वे भी उक्त भूमि की एक हिस्सेदार हैं और खुद बँटवारे का वाद प्रस्तुत कर सकती हैं। इस कारण सब से अधिक उपयुक्त उपाय यही है कि उक्त भूमि के बँटवारे का दावा आप की दादी की ओर से प्रस्तुत किया जाए। यदि यह भूमि कृषि भूमि है तो इस के बँटवारे दावा राजस्व न्यायालय में किया जा सकता है। यदि आप की दादी इस तरह का बँटवारे का दावा प्रस्तुत करने को तैयार न हों तो आप के पिताजी इस दावे को प्रस्तुत कर सकते हैं। इस दावे में आप के दादा जी के सारे उत्तराधिकारी तथा राज्य सरकार तहसीलदार के माध्यम से पक्षकार बनाए जाएंगे। एक बार वाद प्रस्तुत हो जाने के बाद यदि परिवार में सहमति बनती है तो उस सहमति के आधार पर बँटवारे की डिक्री पारित कराई जा सकती है।

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