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मकान आप के स्वामित्व का है, आप पिता को उसे खुर्द बुर्द करने से रोक सकते हैं।

House and shopसमस्या-

भवेत् ने महोबा, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मारा जो नया मकान है वो मेरे और मेरे छोटे भाई के नाम है लेकिन उस में पिता जी का नाम संरक्षक के तौर पर डाला हुआ है। ये मकान उन्हीं के पैसों से बनाया हुआ है। मेरी शादी हो चुकी है मेरी शादी डरा के पैसों की धौंस दिखा के और इमोशनल ब्लैकमेल करके हुई है लेकिन मैं अभी भी बेरोजगार हूँ। जब मकान कि रजिस्ट्री हुई थी तब छोटा भाई क़ानूनी तौर पे नाबालिग था लेकिन अब बालिग़ है मेरी समस्या ये है कि पिता जी अपनी गलत आदतों की वजह से नए मकान की लोन लेते जा रहे हैं और कहीं वो पैसा लुटाते जा रहे हैं। इस के पहले जो दूसरा मकान था वो मकान संयुक्त तौर पर था उसमें दो परिवार रहते थे उस मकान में बीच में कोई दीवार नहीं थी वो तो उन्होंने अपनी गलत आदतों की वजह से उन्हीं को दे ही दिया है। अब उस पर हमारा अधिकार नहीं है। अब मेरी समस्या ये है कि क्या पिता जी इस मकान को भी इसी तरह किसी को दे देंगे और मैं मेरी वाइफ, मेरा छोटा भाई इसी तरह देखते रह जायेंगे और बाद में दर दर भीख मांगेगे या कोई एक्शन भी ले पाएंगे।

समाधान-

प की समस्या आप का चुप रहना, कोई कार्यवाही नहीं करना है। आप ने खुद कहा है कि नया मकान आप के व आप के भाई के नाम है, केवल संरक्षक के स्थान पर आप के पिताजी का नाम अंकित है। आप दोनो बालिग हो चुके हैं, वैसी स्थिति में संरक्षक का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। उक्त मकान आप दोनों की संयुक्त संपत्ति है तथा आप के पिता जी को उक्त मकान को रहन रख कर या उस की सीक्योरिटी देते हुए कर्ज लेने का कोई अधिकार नहीं है। यदि उन्होंने ऐसा किया भी है तो वह अनधिकृत है। इस से कर्ज लेने वाले को परेशानी हो सकती है, आप को नहीं।

वास्तव में आप को सन्देह इस कारण है कि वह मकान पिताजी का बनाया हुआ है। लेकिन इस से कोई फर्क नहीं पड़ता। बेनामी ट्रांजेक्शन्स प्रोहिबिशन्स एक्ट 1988 के अनुसार जो संपत्ति जिस के नाम खऱीदी गई है वह उसी की मानी जाएगी। उक्त मकान आप व आप के भाई का है इस कारण वह आप का ही माना जाएगा न कि आप के पिताजी का। आप के पिताजी किसी भी कानूनी कार्यवाही में उक्त मकान को अपना नहीं बता सकते। यदि बताते हैं तो भी उन का यह कथन नहीं माना जाएगा।

ब से पहले तो आप यह कर सकते हैं कि किसी स्थानीय वकील की मदद से स्थानीय समाचार पत्र में एक नोटिस प्रकाशित करवा दें कि उक्त मकान आप दोनों भाइयों की संपत्ति है तथा आप दोनों के अतिरिक्त किसी को भी उक्त मकान को विक्रय करने, बंधक करने या उस की सीक्योरिटी देने का अधिकार नहीं है। यदि किसी अन्य ने उक्त मकान के संबंध में किसी तरह का कोई विलेख निष्पादित किया हो तो उस का विधि के समक्ष कोई मूल्य नहीं है। इस से आप के पिताजी भी सावधान हो जाएंगे और उक्त मकान को इधर उधर करने का प्रयत्न नहीं करेंगे।

दि आप के पिता किसी तरह से उक्त मकान को खुर्द बुर्द करने के प्रायस में हों तो आप दीवानी न्यायालय में उन के विरुद्ध स्थाई निषेधाज्ञा का वाद प्रस्तुत कर अस्थाई निषेधाज्ञा का आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं और उस मकान को खुर्द बुर्द करने पर रोक लगवा सकते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आप का व आप के भाई का हिस्सा उक्त मकान में चिन्हित हो जाए या उस का बँटवारा हो जाए तो आप उक्त मकान के बँटवारे का वाद भी दीवानी न्यायालय में प्रस्तुत कर सकते हैं तथा उक्त मकान के हस्तान्तरण पर रोक लगाने के लिए अस्थाई निषेधाज्ञा का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकते हैं।

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