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मकान निर्माण में पुलिस के गैरकानूनी हस्तक्षेप के लिए क्या किया जाए?


राम कुमार मिश्रा पूछते हैं-
क भूखंड को ग्राम पंचायत ने पक्षकारों की सहमति से विभाजित कर दिया उस के उपरांत उस पर 1982 में बाउंड्रीवाल निर्मित कर ली गई। 1998 में पड़ौसी ने मेरे विरुद्ध एक मुकदमा किया जिस में पंचायत द्वारा स्वीकृत विभाजन का उल्लेख नहीं किया। अब 01.12.2009 को जब मैं ने अपने भूखंड़ पर मकान बनाना आरंभ किया तो वह अदालत से स्थगन आदेश ले आया और मेरे द्वारा कराया जा रहा निर्माण कार्य रुकवा दिया। मैं ने अदालत में स्टे आवेदन का उत्तर दिया और निर्माण कार्य चालू कर दिया। अब अदालत का आदेश मेरे पक्ष में हैं कि मैं निर्माण कार्य चालू रख सकता हूँ। लेकिन पुलिस मेरे पड़ौसी की शिकायत पर बार बार आ कर काम रुकवा देती है। मैं अनेक बार पुलिस को बता चुका हूँ कि लेकिन पुलिस मेरी नहीं सुनती और कहती है कि विपक्षी पक्षकार को आप के निर्माण पर आपत्ति है इस कारण से आप निर्माण नहीं कर सकते। मुझे क्या करना चाहिए?

 उत्तर-

रामं कुमार जी,

प के पड़ौसी ने जो स्थगन आदेश अदालत से प्राप्त किया था वह निरस्त हो चुका है, अर्थात अब आप वहाँ निर्माण कर सकते हैं। लेकिन पुलिस बार बार आ कर आप का निर्माण रुकवा देती है। ऐसा प्रतीत होता है कि अदालत के आदेश में कुछ अस्पष्टता है। दोनों आदेशों को देखे बिना कुछ भी कह पाना उचित नहीं है। फिर भी यदि आप के विरुद्ध कोई स्थगन आदेश नहीं है और पुलिस फिर भी दखल देती है तो इस के लिए आप जिस अदालत में स्थगन की कार्यवाही चल रही है वहाँ आवेदन प्रस्तुत कर के अदालत से स्पष्ट आदेश प्राप्त कर सकते हैं। 
स के अतिरिक्त स्थानीय पुलिस के इस अवैधानिक और अनुचित हस्तक्षेप के विरुद्ध क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक को शिकायत कर सकते हैं। यदि इस से भी काम न चले और आप समझते हैं कि पुलिस का हस्तक्षेप नाजायज है तो आप अपने वकील के माध्यम से पुलिस थाना इंचार्ज,  पुलिस अधीक्षक और जिले के कलेक्टर को एक नोटिस दिलवाएँ जिस में लिखें कि पुलिस का गैर कानूनी हस्तक्षेप जारी रहा तो आप हाईकोर्ट में रिट याचिका प्रस्तुत करेंगे। यदि फिर भी काम न बने तो आप रिटयाचिका दायर कर दें। अच्छा यह होगा कि जो वकील आप के मामले देख रहा है, उस की या फिर किसी वरिष्ठ वकील को सब दस्तावेज दिखा कर उन की राय से आगे के कदम उठाएँ।

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