मानसिक क्रूरता के लिए न्यायिक पृथक्करण प्राप्त करें
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असीमा ने अपनी समस्या इस तरह रखी है –
मेरे पति अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र हैं, मेरी कोई ननद भी नहीं है। लेकिन मुझे ससुराल में मानसिक रूप से बहुत परेशान किया जा रहा है। छोटी-छोटी बात पर मेरी दीदी के ससुराल में जा कर शिकायत की जाती है। मुझे एक पैसा भी खर्चे के लिए नहीं दिया जाता। मैं अपना और अपनी बेटी का सारा खर्च उठाती हूँ। क्या उन की संपत्ति व आय पर मेरा या बेटी का कोई हक नहीं है। आप बताएँ मुझे क्या करना चाहिए?
उत्तर –
असीमा जी,
आप को ससुराल में इकलौते पुत्र की पत्नी होते हुए भी परेशान किया जा रहा है, ऐसा अन्य परिवारों में भी मैं ने देखा है। आप की इस समस्या का उपचार प्रतिरोध ही है। यदि आप चुपचाप सहन करती जाएँगी तो यह सब चलता रहेगा। आप का प्रतिरोध उचित है, इस के लिए आप को अपने परिजनों से भी समर्थन जुटाना पड़ेगा। आप अपना और अपनी बेटी का खर्च खुद ही उठाना पड़ रहा है और कोई खर्च नहीं दिया जाता है तो इस का परिणाम यह होगा कि आप की अपनी आय लगातार खर्च होती रहेगी और आप कुछ भी न बचा पाएँगी। फिर संकट के समय आप के पास अपना कोई कोष नहीं होगा और आप हमेशा दूसरों पर आश्रित बनी रहेंगी। आप की यह स्थिति बिलकुल ठीक नहीं है।
आप की बेटी सिर्फ आप की नहीं है, वह आप के पति की भी है, आप के पति का दायित्व है कि वह उस के पालन पोषण के लिए परिवार की आर्थिक स्थिति के मुताबिक खर्च करे। आप को बेटी के लिए खर्च की मांग करनी चाहिए। आप की मांग पूरी नहीं होने पर न्यायालय में दं.प्र.संहिता की धारा 125 के अंतर्गत आवेदन कर सकती हैं। न्यायालय निश्चित कर देगा कि आप को बेटी के पालन पोषण के लिए कितनी राशि प्रतिमाह दी जाए। आप के साथ जो व्यवहार हो रहा है वह क्रूरता की श्रेणी में आ सकता है। आप अपने पति व ससुराल वालों को स्पष्ट कह सकती हैं कि आप यह व्यवहार सहन नहीं करेंगी, यदि ऐसा ही सब चलता रहा तो आप न्यायालय जा कर न्यायिक पृथक्करण के लिए आवेदन करेंगी और अलग रहने लगेंगी और यदि सब कुछ ठीक नहीं रहा तो तलाक भी ले सकती हैं। आप क्रूरता के आधार पर न्यायालय से न्यायिक पृथक्करण की डिक्री प्राप्त कर सकती हैं और तलाक की भी।
आप यदि स्वयं कमाती हैं तो आप न्यायालय से न्यायिक पृथक्करण प्राप्त कर अलग रह सकती हैं। आप की समस्या का इलाज आप के अस्थाई रूप से अलग रहने से हो सकता है। शायद आप के अलग रहने से आप के पति और ससुराल वालों को कुछ समझ आ जाए। मामला सुलझ जाने पर आप व आप के पति दोनों या दोनों में से कोई एक न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर न्यायिक पृथक्करण की डिक्री को अपास्त (समाप्त) करवा सकते हैं। यदि मामला न सुलझे तो एक वर्ष बाद आप तलाक के लिए भी आवेदन कर सकती हैं।
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7 Comments
I’d come to come to terms with you one this subject. Which is not something I typically do! I enjoy reading a post that will make people think. Also, thanks for allowing me to speak my mind!
I’d be inclined to admit with you one this subject. Which is not something I typically do! I really like reading a post that will make people think. Also, thanks for allowing me to comment!
Good Post
अच्छी जानकारी.
सहमत हे जी आप से
nice post
अपने बिलकुल सही राय दी है। असीमा अगर खुद कमाती है तो उसके लिये ऐसा करना आसान होगा। आभार।